Thursday, June 25, 2020

श्री शुभ सम्वत् 2076-77 ईसवीय सन् 2020 के व्रत-उपवास-त्यौहार

            जनवरी-2020        
01.बुध-सतगुरू श्री गोविन्द सिंह महाराज का प्रकाशोत्सव प्रारम्भ। ईसाई नव वर्ष दिवस। ईसवीय सन् 2020 प्रारम्भ।
02.गुरू-सतगुरू श्री गोविन्द सिंह जयन्ती। बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 28/19 पर।
03.शुक्र-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री अन्नपूर्णाष्टमी व्रत। शाकम्भरी यात्रा। शाकम्भरी देवी नवरात्रारम्भ। शुक्र धनिष्ठा नक्षत्र में 17/23 पर।  
04.शनि-गुरू पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 16/18 पर।        
05.रवि-शाम्ब दशमी (उड़ीसा)। सूर्य पूजा (उड़ीसा)। रवि दशमी पर्व।
06.सोम-पुत्रदा एकादशी व्रत सबका। श्री हरि जयन्ती। मन्वादि।
08.बुध-प्रदोष व्रत। शुक्र कुम्भ राशि में 28/23 पर। 
09.गुरू-गुरू उदय पूर्व में 28/22 पर। 
10.शुक्र-स्नान-दान-व्रतादि की पौषी पूर्णिमा। पुष्याभिषेक यात्रा। शाकम्भरी। शाकम्भरी जयन्ती। शाकम्भरी देवी नवरात्र समाप्त। शाकम्भरी यात्रा समाप्त। पौष-मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त।
माघ मास कृष्ण पक्ष 
11.शनि-माघ कृष्ण पक्षारम्भ। माघ-मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। माघ मास भर प्रयाग में त्रिवेणी या काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करना चाहिए। तिलपात्र दान। सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 19/35 पर। बुध उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 10/59 पर।
12.रवि-श्री स्वामी विवेकानन्द जयन्ती
13.सोम-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 20/19 पर। सौभाग्य सुन्दरी व्रत। संकट हर गणपति व्रत। गौरी चतुर्थी व्रत। श्री गणेश जी की उत्पत्ति। तिलकुटी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। लोहड़ी। बुध मकर राशि में 11/34 पर।
14.मंगल-सूर्य की मकर संक्रान्ति 26/08 पर। चन्द्र-दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का पुण्यकाल अगले दिन।      निरयण सूर्य उत्तरायण और संकल्पादि में प्रयोजनीय शिशिर ऋतु प्रारम्भ। धनु (खर) मास समाप्त। शुक्र शतभिषा नक्षत्र में 15/57 पर।
15.बुध-संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल सूर्योदय से 08/32 तक। (खिचड़ी पर्व)। काष्ठ-अन्न-तिल दान। काशी के दशाश्वमेध घाट व प्रयाग में स्नान। गंगासागर यात्रा। तिल संक्रान्ति (खिचड़ी)। पोंगल। केतु (वक्री) मूल नक्षत्र में 21/34 पर।    
16.गुरू-संक्रान्ति करिदिन।
17.शुक्र-अष्टका श्राद्ध, पार्वण की तरह विधि। अन्वष्टका। श्री स्वामी विवेकानन्द जयन्ती (तिथि अनुसार)। श्री रामानन्दाचार्य जयन्ती। कालाष्टमी। 08 तिथि क्षय।
19.रवि-रवि दशमी पर्व। मंगल ज्येष्ठा नक्षत्र में 14/32 पर। बुध श्रवण नक्षत्र में 10/41 पर।
20.सोम-षटतिला एकादशी व्रत सबका। सूर्य सायन कुम्भ राशि में 20/18 पर। 
21.मंगल-तिल द्वादशी। राष्ट्रीय माघ मासारम्भ। सूर्य की अभिजित प्रवृत्ति 14/44 पर। 
22.बुध-प्रदोष व्रत। मेरू त्रयोदशी व्रत (जैन)। आदिनाथ निर्वाण दिवस (जैन)।
23.गुरू-रटन्ती कालिका पूजन। मास शिवरात्रि व्रत। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती।    
24.शुक्र-स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या। मौनी अमावस्या। प्रयाग या काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान। महोदय पर्व। अन्वाधान। त्रिवेणी अमावस्या (उड़ीसा)। द्वापर युगादि। सूर्य श्रवण नक्षत्र में 21/51 पर।
माघ मास शुक्ल पक्ष
25.शनि-माघ मास शुक्ल पक्षारम्भ। गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ। श्री बल्लभावतार। बल्लभ जयन्ती। माघ के सम्पूर्ण स्नान में असमर्थ व्यक्तियों को आज से तीन दिन तक गंगा में स्नान करना चाहिये। सूर्य की अभिजित निवृत्ति 18/20 पर। शुक्र पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 17/08 पर।
26.रवि-चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। भारतीय गणतन्त्र दिवस। बुध धनिष्ठा नक्षत्र में 29/04 पर।
27.सोम-गौरी तृतीया। हिजरी जमादि उस्सानी 6 माह शुरू। बुध उदय पश्चिम में 20/14 पर।  
28.मंगल-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। भौम-अंगारकी पर्व। वरद 04। तिल 04। कुन्द 04। कुन्द पुष्प से देव पूजा। सोपपदा। वेदारम्भ में अनध्याय। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। 03 तिथि वृद्धि। लाला लाजपत राय जयन्ती। 
30.गुरू-बसंत पंचमी। श्री पंचमी। वागीश्वरी जयन्ती। सरस्वती पूजा। तक्षक पूजा। रतिकाम महोत्सव। महात्मा गाँधी (बापू निर्वाण दिवस)। सर्वोदय पखवारा शुरू। बुध कुम्भ राशि में 26/54 पर।  
31.शुक्र-मन्दार षष्ठी। श्री शीतलाषष्ठी (बंगाल)।
फरवरी-2020
01.शनि-अचला सप्तमी व्रत। रथ 07। पुत्र 07। मन्वादि 07। विधान 07। आरोग्य 7। अरूणोदय में गंगा स्नान। श्री माधवाचार्य जयन्ती। चन्द्रभागा 7 (उड़ीसा)। नर्मदा जयन्ती।
02.रवि-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। भीष्माष्टमी। भीष्मोद्देश्य से तर्पण। शुक्र मीन राशि में 26/18 पर। शनि उदय पूर्व में 14/13 पर।   
03.सोम-महानन्दा नवमी। श्री हरसू ब्रह्मदेव पुण्य तिथि (चैनपुर) रोहतास (कैमूर-बिहार)। बुध शतभिषा नक्षत्र में 29/26 पर।        
05.बुध-जया एकादशी व्रत सबका। भैमी 11 बंगाल। भक्त पुण्डरीक उत्सव (पंढरपुर)। शुक्र उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में 21 /55 पर।
06.गुरू-भीष्म द्वादशी। भीष्मोद्देश्य से तर्पण। तिल द्वादशी। तिलोत्पत्ति। सोपपदा 12। वेदारम्भ में अनध्याय। सूर्य धनिष्ठा नक्षत्र में 24/57 पर।
07.शुक्र-प्रदोष व्रत। कल्पादि 13। मरूस्थल मेला 3 दिन (जैसलमेर) राजस्थान। मंगल मूल नक्षत्र व धनु राशि में 27/51 पर।       
09.रवि-स्नान-दान-व्रतादि की माघी पूर्णिमा। भक्त रविदास जयन्ती। भैरवी जयन्ती। तिल दान। तिल पात्र दान। माघी मासम् (दक्षिण भारत)। ललिता जयन्ती। भैरव जयन्ती। अन्वाधान। माघ मासीय स्नान-दान-व्रत-यम नियमादि समाप्त।
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष
10.सोम-फाल्गुन मास कृष्ण पक्षारम्भ। माघ मासीय व्रत का पारण। फाल्गुन-मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। 02 तिथि क्षय। 
12.बुध-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/17 पर। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक।
13.गुरू-श्री सीताराम दास आेंकारनाथ महाराज का जन्मोत्सव (बंगाल)। आेंकार पंचमी। सूर्य की कुम्भ संक्रान्ति 15 /03 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 08/39 से संक्रान्ति काल तक, तत्पश्चात् सामान्य पुण्यकाल संक्रान्ति काल से सूर्यास्त तक। गो, अन्न-दान, गोदावरी में स्नान।
15.शनि-कालाष्टमी।
16.रवि- श्री सीताष्टमी। जानकी जयन्ती। अष्टका श्राद्ध। अन्य अष्टका में असमर्थ व्यक्तियों को करना चाहिये। अन्वष्टका। बुध वक्री 30/21 पर।
17.सोम-समर्थ गुरू श्री रामदास जयन्ती। श्री रामदास नवमी। शुक्र रेवती नक्षत्र में 08/03 पर।
18.मंगल-स्वामी दयानन्द जयन्ती।
19.बुध-विजया एकादशी व्रत सबका। सूर्य शतभिषा नक्षत्र में 29/30 पर। सूर्य सायन मीन राशि में 10/19 पर।
20.गुरू-प्रदोष व्रत। राष्ट्रीय फाल्गुन मासारम्भ। बुध अस्त पश्चिम में 17/49 पर।  
21.शुक्र-महाशिवरात्रि व्रत (महानिशीथ काल 23/45 से 24/36 तक )। चतुर्दश ज्योतिर्लिंग पूजा। वैद्यनाथ जयन्ती। ऋषि बोधोत्सव। आर्य समाज सप्ताह प्रारम्भ। कृतिवासेश्वर दर्शन पूजन। श्री ताम्बेश्वर मंदिर सिद्ध पीठ ट्रस्ट (फतेहपुर) में महारूद्राभिषेक। 
23.रवि-स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या। अन्वाधान।
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष
24.सोम-फाल्गुन मास शुक्ल पक्षारम्भ।
25.मंगल-परमहंस स्वामी रामकृष्ण जयन्ती। फुलरिया दूज। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ।
26.बुध-पं. लेखराम वीर तृतीया जयन्ती। हिजरी रज्जब 7 माह शुरू। अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती सज्जरी अलह के मजार पर उर्स का मेला शुरु।   
27.गुरू-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। मंगल पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 13 /10 पर।
28.शुक्र-ब्रह्मर्षि याज्ञवल्क्य जयन्ती। शुक्र अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि में 25/32 पर। 04 तिथि वृद्धि।
29.शनि-आर्य समाज सप्ताह समाप्त।
मार्च-2020
01.रवि-गो रूपिणी षष्ठी (बंगाल)। आचार्य सुन्दर साहिब पुण्य तिथि (सच्चिदानन्द सम्प्रदाय)। 
03.मंगल-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री अन्नपूर्णाष्टमी व्रत। होलाष्टकारम्भ। अष्टान्हिका प्रारम्भ (जैन)। बुध (वक्री) धनिष्ठा नक्षत्र में 13/22 पर। बुध उदय पूर्व में 28/37 पर। 
04.बुध-श्री दुर्गाष्टमी व्रत का पारण। सूर्य पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 11/42 पर।              
05.गुरू-फागु दशमी (उड़ीसा)। श्री हरि जयन्ती।
06.शुक्र-आमलकी एकादशी व्रत सबका। रंगभरी एकादशी। श्री काशी विश्वनाथ श्रृंगार दिवस। बिड़कुला ढाल थापड़ा (भद्रा के बाद)।
07.शनि-गोविन्द द्वादशी। शनि प्रदोष व्रत (पुत्रार्थियों को यह व्रत करना चाहिए)। श्याम बाबा खाटू वाले का मेला (राजस्थान)। गुरू उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 30/07 पर।  
08.रवि-14 तिथि क्षय।
09.सोम-स्नान दान-व्रतादि की पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रयुता परमपुण्यदायिनी फाल्गुनी पूर्णिमा (परमपुण्य काल सूर्योदय से सूर्यास्त तक)। होलिका दहन (भद्रा के पश्चात्)। जेलपोणी (भद्रा के बाद)। मन्वादि। करि दिन। डोल यात्रा। हुताशनी पूर्णिमा। माघी मासम् (दक्षिण भारत)।  महाप्रभु चैतन्य जयन्ती। फाल्गुन-मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त। जन्मदिन हजरत अली।
चैत्र कृष्ण पक्ष
10.मंगल-चैत्र मास कृष्ण पक्षारम्भ। चैत्र-मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। काशी में होली। धुरड्डी। छारेंडी। वसन्तोत्सव। होलिका विभूति धारण। धूलि वंदन। श्वपच स्पर्श। साभ्यंग स्नान। आम्र कुसुम प्राशन। बसन्त नवसस्येष्टि। बसन्तोत्सव। करिदिन (देशाचार से)। बसन्त प्रतिपदा। बसंत स्नान। रतिकाम महोत्सव। होलाष्टक समाप्त। मेला आनन्दपुर साहब। बुध मार्गी 09/16 पर।
11.बुध-भ्रातृ द्वितीया। भैया दूज। भगिनी गृह में भोजन। संत तुकाराम जयन्ती।
12.गुरू-कल्पादि। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/09 पर। छत्रपति शिवा जी जयन्ती (तिथि के अनुसार)।  ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। शुक्र भरणी नक्षत्र में 06/18 पर।    
14.शनि-रंग पंचमी। श्री जयन्ती। श्री पंचमी। शीतला षष्ठी। स्कन्द षष्ठी (बंगाल)। श्री एकनाथ षष्ठी। विजय गोविन्द हलंकर दिवस (मणिपुर)। नव चण्डी मेला प्रारम्भ (मेरठ)। 06 तिथि क्षय। सूर्य की मीन संक्रान्ति 11/53 बजे। चन्द्र दर्शन मु.45 समर्घ। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल सूर्योदय से संक्रान्ति काल तक, तत्पश्चात् विशेष पुण्यकाल संक्रान्ति काल से सूर्यास्त तक। गौ-अन्न दान, गोदावरी में स्नान। संकल्पादि में प्रयोजनीय बसन्त ऋतु प्रारम्भ। मीन (खर) मासारम्भ।
15.रवि-शीतला सप्तमी व्रत। भानु सप्तमी पर्व।
16.सोम-श्री शीतलाष्टमी व्रत (आज के दिन बासी भोजन विहित है)।
17.मंगल-सूर्य उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में 20/14 पर। मंगल उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 19/28 पर। बुध शतभिषा नक्षत्र में 21/10 पर।
19.गुरू-पापमोचिनी एकादशी व्रत सबका।
20.शुक्र-सूर्य सायन मेष राशि में 09/09 पर। बसन्त सम्पात। सायन बसन्त ऋतु प्रारम्भ। सूर्य का उत्तर गोल प्रवेश। देवताओं का मध्यान्ह, दैत्यों की मध्य रात्रि, उत्तराक्रान्ति, महाविषुव दिन।
21.शनि-शनि प्रदोष व्रत। वारूणी योग 19/40 से। गँगा वरूणा संगम पर स्नान। आदि केशव भगवान का दर्शन पूजन। दमनोत्सव। मधुश्रवा त्रयोदशी। मेला पृथूदक पिहोवा तीर्थ (हरियाणा)। 12 तिथि वृद्धि। राष्ट्रीय चैत्र मासारम्भ। 
22.रवि-मास शिवरात्रि व्रत। वारूणी योग 10/09 तक। मंगल मकर राशि में 14/39 पर।    
23.सोम-शबे मिराज।
24.मंगल-स्नान दान श्राद्धादि की अमावस्या।  आज के दिन गँगा स्नान से सहस्त्र गायों के दान का फल प्राप्त होता है। चान्द्र सम्वत्सर 2076 (परिधारी) विक्रमीय समाप्त। अन्वाधान। शुक्र कृत्तिका नक्षत्र में 29/28 पर।           
चैत्र शुक्ल पक्ष
25.बुध-चैत्र मास शुक्ल पक्षारम्भ। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। विक्रम सम्वत् 2077 (प्रमादी) प्रारम्भ। चैत्र वासन्तिक नवरात्रारम्भ। कलश स्थापन। ध्वजारोहण। वर्षपति पूजा। कल्पादि 1। आरोग्य व्रत 1। विद्या व्रत 1। नवसम्वत्सरोत्सव। गुड़ी पड़वा। गुरू अमरदास गुरयाई दिवस। आर्य समाज स्थापना दिवस।
26.गुरू-श्रृंगार (सिंधारा) देशाचार से। सिन्धी सम्प्रदाय का श्री झूलेलाल जयन्ती महोत्सव। हिजरी सावान 8 माह शुरू।
27.शुक्र-मत्स्य जयन्ती। गणगौर। गणगौरी व्रत। सौभाग्य शयन तृतीया। आन्दोलन 3। सायं दोलारुढ़ शिव गौरी पूजन। सरहुल (बिहार)। मनोरथ तृतीया व्रत। अरून्धती व्रत-पूजन। मन्वादि 3।
28.शनि-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। गुरू अंगददेव जोति जोत। शुक्र वृष राशि में 15/39 पर।  
29.रवि-श्री रामराज्य महोत्सव मध्यान्ह-व्यापिनी पंचमी कर्क लग्न में। श्री पंचमी। कल्पादि 5। डोलोत्सव। श्री गुरु हरगोविन्द सिंह जोति जोत।
30.सोम-श्री सूर्य षष्ठी व्रत। स्कन्द षष्ठी व्रत (गया में प्रसिद्ध)। श्री अशोक षष्ठी व्रत (बंगाल)।
31.मंगल-वासन्ती दुर्गा पूजारम्भ। आयंबील (ओली) प्रारम्भ जैन। श्री अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रारम्भ 27/50 बजे से। अशोक कलिका प्राशन। सूर्य रेवती नक्षत्र में 06/29 पर। बुध पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 08/17 पर।
अप्रैल-2020
01.बुध-महानिशा पूजा। श्री दुर्गाष्टमी। भवानी उत्पत्ति। अष्टमी का हवनादि आज ही करें। श्री महाष्टमी व्रत। श्री अशोकाष्टमी। श्री बुधाष्टमी। प्राशस्त्य योग 19/29 से 27/41 तक। श्री अन्नपूर्णा परिक्रमा समाप्त 27/41 बजे। श्री अष्टभुजी दुर्गा शक्ति पीठ (दुर्गा मंदिर) ‘वाई’ ब्लाक, किदवई नगर कानपुर में शतचण्डी यज्ञ का हवन पूर्णाहुति एवं महाप्रसाद वितरण। शक्ति संगीत सभा।    
02.गुरू-श्री रामनवमी व्रत सबका। श्री दुर्गानवमी। तारा जयन्ती। श्री स्वामी नारायण जयन्ती। श्री राम-जन्म महोत्सव (मध्यान्ह कर्क लग्न में) रामावतार। अयोध्या परिक्रमा, दर्शन पूजन। नवमी का हवनादि आज ही करें। चैत्र नवरात्र समाप्त।       
03.शुक्र-श्री धर्मराज दशमी। नवरात्र व्रत का पारण। 
04.शनि-कामदा एकादशी व्रत सबका। श्री विष्णु दोलोत्सव। सायं दोलारुढ़ पूजन।
05.रवि-मदन द्वादशी। प्रदोष व्रत। अनंग त्रयोदशी व्रत। हरि दमनोत्सव। मंगल श्रवण नक्षत्र में 24/00 पर।   
06.सोम-श्री महावीर जयन्ती (जैन)।  मीनाक्षी कल्याणम्। शिव नृसिंह दमनकोत्सव (महानिशीथ काल में)। दमनक चतुर्दशी।     
07.मंगल-व्रत की पूर्णिमा। गुरु हरकिशन जोति जोत। श्री गुरु तेगबहादुर गुरयायी। बुध मीन राशि में 14/21 पर।   
08.बुध-स्नान-दान-व्रतादि की चित्रा नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी चैत्री पूर्णिमा (परम पुण्यकाल 06/07 से 08/05 तक। चांडक पूजा (बंगाल)। अन्वाधान। मन्वादि 15। सर्वदेव दमनकोत्सव। श्री हनुमान जयंती (सूर्योदय काल में दक्षिण भारत एवं काशी के संकट मोचन मन्दिर में)। इष्टि। चित्रान्न दान-भक्षण। वैशाख कृष्ण पक्षारम्भ। वैशाख मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। तुलसी पत्र से श्री विष्णु पूजा। मास पर्यन्त पनिसरा चलाना चाहिये। (अशक्ति में धर्म घटादि दान)। मास भर चन्दन से श्री विष्णु पूजा। 01 तिथि क्षय। शुक्र रोहिणी नक्षत्र में 16/04 पर।
वैशाख कृष्ण पक्ष
09.गुरू-वैशाख कृष्ण पक्षारम्भ। शबे बरात। बुध उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में 19/20 पर। 
10.शुक्र-गुड फ्राइडे।
11.शनि-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 22/00 पर। सती अनसुइया जयन्ती। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। म्ेंजमत ;भ्वसलद्ध ैंजनतकंलण्  
12.रवि-श्री गुरु तेगबहादुर जयन्ती।
13.सोम-सूर्य अश्विनी नक्षत्र में एवं सूर्य की मेष संक्रान्ति 20/22 पर। चन्द्रदर्शन मु.30 साम्यर्घ। वैशाखी पंजाब एवं उड़ीसा। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 16/22 से सूर्यास्त तक, सामान्य पुण्यकाल 13/58 से सूर्यास्त तक। सतुआ जल कुम्भादि दान। हरिद्वार या काशी के असी संगम पर स्नान। मीन (खर) मास समाप्त। बुधास्त पूर्व में 24/08 पर।
14.मंगल-श्री शीतलासप्तमी व्रत। कालाष्टमी। श्री गुरू अर्जुनदेव जयन्ती। भीमराव अम्बेडकर जयन्ती।  
15.बुध-श्री शीतलाष्टमी व्रत। पर्युषितान्न (बासी) भोजन करना विहित है। अष्टका। 
17.शुक्र-बुध रेवती नक्षत्र में 21/41 पर।
18.शनि-वरुथिनी एकादशी व्रत सबका। श्री वल्लभाचार्य जयन्ती।
19.रवि-सूर्य सायन वृष राशि में 20/05 पर।
20.सोम-सोम प्रदोष व्रत।
21.मंगल-मास शिवरात्रि व्रत। राष्ट्रीय वैशाख मासारम्भ।
22.बुध-श्राद्ध की अमावस्या। 14 तिथि वृद्धि।
23.गुरू-स्नान-दानादि की अमावस्या। बाबू कुँवर सिंह जन्म दिवस (बिहार)।
वैशाख शुक्ल पक्ष
24.शुक्र-इष्टि। वैशाख मास शुक्ल पक्षारम्भ। चन्द्रदर्शन मु.30 साम्यर्घ। देव दामोदर तिथि (आसाम)। गुरू अंगददेव जयन्ती। मंगल धनिष्ठा नक्षत्र में 28/53 पर। बुध अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में 26/34 पर।
25.शनि- भगवान परशुराम जयन्ती (प्रदोष काल व्यापिनी तृतीया में)। छत्रपति शिवा जी जयन्ती। हिजरी रमजान 9वां माह शुरु। रोजा शुरू।
26.रवि-अक्षय तृतीया। त्रेतायुगादि। पितृ पितामहादि के निमित्त सक्तु चीनी फल धर्म घटादि दान। त्रिलोचन दर्शन-यात्रा। बद्री केदार यात्रा। मातंगी जयन्ती। कल्पादि।
27.सोम-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। अगस्त्यास्त 13/27 पर। सूर्य भरणी नक्षत्र में 27/57 पर। शुक्र मृगशिरा नक्षत्र में 17/01 पर।  
28.मंगल-श्री आद्य शंकराचार्य जयन्ती। श्री सूरदास जयन्ती। श्री रामानुजाचार्य जयन्ती (दक्षिण भारत)।
29.बुध-श्री रामानुजाचार्य जयन्ती (उत्तर भारत में)। चन्दन षष्ठी (बंगाल)।
30.गुरू-श्री गंगा सप्तमी। गंगोत्पत्ति। गंगावतरण (मध्यान्ह में गंगा पूजन)।
मई 2020
01.शुक्र-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री बगलामुखी जयन्ती। मई दिवस। श्रमिक दिवस (अखिल विश्व के मजदूरों का पर्व)। महाराष्ट्र एवं गुजरात दिवस। बुध भरणी नक्षत्र में 16/01 पर।  
02.शनि-श्री सीता नवमी। वैष्णव मतानुसार श्री जानकी जयन्ती। त्रिचूर पूरम (केरल)।
04.सोम-मोहिनी एकादशी व्रत सबका। परशुराम द्वादशी। रुक्मिणी द्वादशी। मंगल कुम्भ राशि में 20/40 पर। 12 तिथि क्षय।      
05.मंगल-भौम प्रदोष व्रत। अशोक त्रिरात्र व्रत। 
06.बुध-सायान्ह-व्यापिनी चतुर्दशी में श्री नृसिंह जयन्ती। श्री नृसिंह चतुर्दशी व्रत। श्री नृसिंहावतार। श्री छिन्नमस्ता जयन्ती। गुरू अमरदास जयन्ती।     
07.गुरू-स्नान-दान-व्रतादि की विशाखा नक्षत्रयुता परमपुण्यदायिनी वैशाखी पूर्णिमा (परमपुण्य काल 11/08 से 16 /15 तक)। अन्वाधान। कृष्ण मृग चर्म-तिल-सुवर्ण दान। यम (धर्मराज) के लिये जल कुम्भादि दान। सायंकाल कूर्म जयन्ती। कूर्मावतार। बुद्ध पूर्णिमा। बुद्ध परिनिर्वाण दिवस।  वैशाख मासीय व्रत-यम नियमादि समाप्त। रवीन्द्रनाथ टैगोर जयन्ती। बुध कृत्तिका नक्षत्र में 20/52 पर।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 
08.शुक्र-ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्षारम्भ। ज्येष्ठ मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। माता आनन्दमयी जयन्ती।
09.शनि-देवर्षि नारद जयन्ती। वीणा-दान। बुध वृष राशि में 20/55 पर। 
10.रवि-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/47 पर। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक।  
11.सोम-सूर्य कृत्तिका नक्षत्र में 06/23 पर। शनि वक्री 09/38 पर।     
13.बुध-बुध रोहिणी नक्षत्र में 26/55 पर। शुक्र वक्री 12/15 पर।
14.गुरू-महापंचक प्रारम्भ 06/23 से। कालाष्टमी। सूर्य की वृष संक्रान्ति 17/16 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 10/52 से संक्रान्ति काल तक, तत्पश्चात् सामान्य पुण्यकाल संक्रान्ति काल से सूर्यास्त तक। संकल्पादि में प्रयोजनीय ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ। गौ-अन्न-जल-तिल दान। गोदावरी में स्नान। मंगल शतभिषा नक्षत्र में 14/00 पर। बुध उदय पश्चिम में 10/21 पर। गुरू (वक्री) 20/02 पर।     
15.शुक्र-श्री शीतलाष्टमी व्रत। पर्युषितान्न (बासी) भोजन करना विहित है। श्री गुरु हरगोविन्द सिंह गुरयायी। शहादत हजरत अली।  
18.सोम-अचला एकादशी व्रत सबका। अपरा व्रत।
19.मंगल-भौम प्रदोष व्रत।
20.बुध-मास शिवरात्रि व्रत। सावित्री चतुर्दशी व्रत। फलहारिणी कालिका पूजन। पंच गौड़ों का त्रिदिनात्मक वट सावित्री व्रतारम्भ। वट सावित्री व्रत का प्रथम संयम। सूर्य सायन मिथुन राशि में 19/10 पर। बुध मृगशिरा नक्षत्र में 24/37 पर। राहु (वक्री) मृगशिरा नक्षत्र में 17/11 पर।    
21.गुरू-वट सावित्री व्रत का द्वितीय संयम। शबे कद्र।  
22.शुक्र-स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या। पंचगौड़ों का वट सावित्री व्रत। शनि जयन्ती। भावुका। बरगदाही। राष्ट्रीय ज्येष्ठ मासारम्भ। रमजान का आखिरी जुमा (जुमातुल विदा)।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
23.शनि-महापंचक समाप्त 28/52 पर। ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्षारम्भ। करिदिन। भावुका करिदिन। करवीर व्रत। दस दिनात्मक गँगा दशहरा व्रतारम्भ। गँगा स्तोत्र का नित्य वृद्धि क्रम से पाठ। श्री गंगा दशाश्वमेध स्नान प्रारम्भ। 
24.रवि- चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। सोपपदा 2। वेदारम्भ में अनध्याय। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 26/33 पर। बुध मिथुन राशि में 23/58 पर। 
25.सोम-सायान्हव्यापिनी तृतीया में रम्भा व्रत। श्री महाराणा प्रताप की 480 वीं जयन्ती (राजस्थान)। हिजरी सव्वाल 10 वां माह शुरु। ईदुल फितर (ईद)।  
26.मंगल-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। श्री गुरु अर्जुनदेव बलिदान दिवस। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक।
28.गुरू-विन्ध्यवासिनी षष्ठी। अरण्य षष्ठी (बंगाल)। जामात्रि षष्ठी (बंगाल)। शुक्र (वक्री) रोहिणी नक्षत्र में 12/28 पर।
29.शुक्र-बुध आर्द्रा नक्षत्र में 14/07 पर। 
30.शनि-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। अष्टमी तिथि में शुक्लादेवी का आवाहन। धूमावती जयन्ती। मेला क्षीर भवानी (काश्मीर)। 
31.रवि-नवमी में उपोषण करके शुक्ला देवी का पूजन। शुक्र अस्त पश्चिम में 05/41 पर। 
जून 2020
01.सोम-गंगा दशमी। श्री गंगा दशहरा। गंगा जन्म लग्न 2 (वृष)। दस दिनात्मक गंगा दशहरा व्रत समाप्त। सेतु बन्ध श्री रामेश्वर प्रतिष्ठा दिवस। श्री रामेश्वर यात्रा, दर्शन, पूजन।
02.मंगल-निर्जला एकादशी व्रत सबका। भीमसेनी एकादशी। चीनी सुवर्ण सहित दान। काशी के दशाश्वमेध-घाट से श्री विश्वनाथ मंदिर तक कलश यात्रा, दर्शन एवं पूजन। गायत्री जयन्ती। रुक्मिणी विवाह (उड़ीसा)।
03.बुध-चम्पक द्वादशी। द्वादशी में त्रिविक्रम पूजा। प्रदोष व्रत। दाक्षिणात्यों का त्रिदिनात्मक वट सावित्री व्रतारम्भ। दाक्षिणात्यों के वट सावित्री व्रत का प्रथम संयम। मंगल पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 09/40 पर। 
04.गुरू-दाक्षिणात्यों के वट सावित्री व्रत का द्वितीय संयम। 14 तिथि क्षय।
05.शुक्र-स्नान-दान-व्रतादि की ज्येष्ठा नक्षत्रयुता परमपुण्यदायिनी ज्येष्ठी पूर्णिमा (परमपुण्य काल 16/44 से सूर्यास्त तक)। दाक्षिणात्यों का वट सावित्री व्रत (ज्येष्ठी योग)। मन्वादि। बिल्व त्रिरात्र। जलयात्रा। देव स्नान पूर्णिमा। संत कबीर दास जयन्ती। ज्येष्ठ मासीय यम-नियमादि समाप्त। अब्द साध्य व्रत।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष
06.शनि-आषाढ़ मास कृष्ण पक्षारम्भ। इष्टि। आषाढ़ मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। वट सावित्री व्रत का पारण।
07.रवि-श्री गुरु हरगोविन्द सिंह जन्म दिवस। सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में 24/28 पर।    
08.सोम-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/26 पर। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। शुक्र उदय पूर्व में 19/19 पर। 
13.शनि-कालाष्टमी। श्री शीतलाष्टमी। पर्युषितान्न (बासी भोजन करना विहित है)।     
14.रवि-सूर्य की मिथुन संक्रान्ति 23/54 पर। चन्द्रदर्शन मु.45 समर्घ। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल 17/30 से संक्रान्ति काल तक, तत्पश्चात् विशेष पुण्यकाल  अगले दिन। गौ, अन्न, वस्त्र दान, मन्दाकिनी में स्नान। बुध पुनर्वसु नक्षत्र में 09/21 पर।   
15.सोम-संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल  सूर्योदय से घं.06 मि.18 तक। गौ, अन्न, वस्त्र दान, मन्दाकिनी में स्नान।
16.मंगल-10 तिथि वृद्धि।
17.बुध-योगिनी एकादशी व्रत सबका। परम पूज्य श्री देवरहा बाबा की पुण्य तिथि। गोपदम् व्रत का उद्यापन।  
18.गुरू-प्रदोष व्रत। मंगल मीन राशि में 20/15 पर। बुध वक्री 10/27 पर।
19.शुक्र-मास शिवरात्रि व्रत।
20.शनि-श्राद्ध की अमावस्या। सूर्य सायन कर्क राशि में 27/09 पर। सायन सूर्य दक्षिणायन। सायन वर्षा ऋतु प्रारम्भ। दैत्यों की मध्य रात्रि एवं देवताओं का मध्यान्ह। विराज दिन। ऐतरेय ब्राह्मण।
21.रवि-स्नान-दानादि की अमावस्या। अन्वाधान। सूर्य ग्रहण। अयन करिदिन। सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में 23/28 पर। चन्द्र-चन्द्र, स्त्री-स्त्री योग, वाहन अश्व, सौम्या नाड़ी, तदीश गुरू (पुरूष), अतः श्रेष्ठ वर्षा हो। बुध अस्त पश्चिम में 09/17 पर। 
आषाढ़ शुक्ल पक्ष
22.सोम-आषाढ़ मास शुक्ल पक्षारम्भ। चन्द्र दर्शन मु.45 समर्घ। ग्रहण करिदिन। राष्ट्रीय आषाढ़ मासारम्भ। बुध (वक्री) आर्द्रा नक्षत्र में 13/12 पर। 
23.मंगल-पुष्य नक्षत्रयुता रथयात्रा। जगन्नाथपुरी यात्रा दर्शन प्रदक्षिणा। श्री बलराम जगदीश रथोत्सव। मनोरथ द्वितीया (बंगाल)। हिजरी जिल्काद 11वां माह शुरु। मंगल उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में 28/11 पर।
25.गुरू-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। शुक्र मार्गी 12/19 पर।
26.शुक्र-स्कन्द षष्ठी व्रत। कुमार षष्ठी। कर्दम षष्ठी। 06 तिथि क्षय।
27.शनि-विवस्वत सप्तमी। विवस्वत सूर्य पूजा।
28.रवि-महाष्टमी व्रत। श्री दुर्गाष्टमी व्रत। खार्ची पूजा (त्रिपुरा)।
29.सोम-कन्दर्प नवमी। भड्डली। शूद्रादि।
30.मंगल-सोपपदा। मन्वादि। वेदारम्भ में अनध्याय। पुनर्यात्रा। उल्टा रथ (उड़ीसा)। बहुधा यात्रा। गिरिजा पूजा। आशा दशमी। मेला शरीक भगवती (कश्मीर)। गुरू (वक्री) धनु राशि में 05/21 पर।
जुलाई 2020  
01.बुध-हरिशयनी एकादशी व्रत सबका। चातुर्मास्य व्रतारम्भ। चातुर्मास्य व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। रात्रि में विष्णु पूजा। शाक-त्याग व्रतारम्भ। गोपद्म व्रत का उद्यापन। हरिवासर 26/34 से।
02.गुरू-प्रदोष व्रत। हरिवासर 15/18 तक।
03.शुक्र-जया पार्वती व्रत। सायँकाल चतुर्दशी में श्री शिव शयनोत्सव।
04.शनि-व्रत की पूर्णिमा। कोकिला पूर्णिमा। प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में कोकिला रुपिणी शिवा का पूजन। वायु परीक्षा।  
05.रवि-स्नान-दानादि की पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रयुता परमपुण्यदायिनी आषाढ़ी पूर्णिमा (परमपुण्य काल सूर्योदय से 10/15 तक)। गुरु पूर्णिमा। गुरु व्यास पूजा। मन्वादि। बौधायन श्रावणी उपाकर्म। कर्णघन्टा (कनखल) तीर्थ में स्नान। सन्यासियों का चातुर्मास्य व्रतारम्भ। करिदिन। अन्वाधान। गोपद्म व्रतारम्भ। सारनाथ में बौद्ध भिक्षुओं का धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस। बौद्ध भिक्षुओं का वर्षा वास ग्रहण। मेला ज्वालामुखी (कश्मीर)। आषाढ़ मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त। सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में 23/03 पर। चन्द्र-चन्द्र, स्त्री-पुरूषी योग, वाहन चातक, नाड़ी नीरा, तदीश शुक्र (स्त्री) अतः वर्षा श्रेष्ठ हो।  
श्रावण कृष्ण पक्ष
06.सोम-श्रावण मास कृष्ण पक्षारम्भ। श्रावणमासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। श्रावण मास में शाक त्याग करना चाहिये। नक्त व्रतारम्भ। अशून्य शयन द्वितीया व्रत (चन्द्रोदयव्यापिनी द्वितीया में)। श्रावण सोमवार व्रत।
07.मंगल-बृहत्तल्पा। भौम व्रत, गौरी दुर्गा पूजा। संकटमोचन में हनुमद्-दर्शन, श्री दुर्गा जी की यात्रा एवं दर्शन-काशी में।  
08.बुध-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/32 पर।  ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। 
10.शुक्र-श्री नागपंचमी व्रत (मरुस्थल एवं बंगाल में)।
11.शनि-बुध उदय पूर्व में 07/04 पर।          
12.रवि-बुध मार्गी 13/57 पर।
13.सोम-श्रावण सोमवार व्रत। 
14.मंगल-भौम व्रत, गौरी दुर्गा पूजा। संकटमोचन में हनुमद्-दर्शन, श्री दुर्गा जी की यात्रा एवं दर्शन-काशी में। श्री गुरु हरकिशन जयन्ती। 
16.गुरू-कामदा एकादशी व्रत सबका। सूर्य की कर्क संक्रान्ति 10/47 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल सूर्योदय से संक्रान्ति काल तक, तत्पश्चात् सामान्य पुण्यकाल संक्रान्ति काल से 17/11 तक। घृत-धेनु दान। मन्दाकिनी में स्नान। संकल्पादि में प्रयोजनीय वर्षा ऋतु प्रारम्भ। निरयण सूर्य दक्षिणायन। मंगल रेवती नक्षत्र में 27/34 पर। 
18.शनि-शनि प्रदोष व्रत।   
19.रवि-मास शिवरात्रि व्रत। सूर्य पुष्य नक्षत्र में 22/36 पर। चन्द्र-चन्द्र, स्त्री-स्त्री योग। वाहन नाग, नाड़ी नीरा, तदीश शुक्र (स्त्री), अतः अल्प वृष्टि हो।
20.सोम-स्नान-दान-श्राद्धादि की सोमवती अमावस्या (आज तैल स्पर्श का निषेध है)। हरियाली अमावस्या। चितलगी अमावस्या। आदि अमावस्या (तमिलनाडु)/कर्कटक बवु (केरल)। अन्वाधान। श्रावण सोमवार व्रत।
श्रावण शुक्ल पक्षारम्भ
21.मंगल-श्रावण मास शुक्ल पक्षारम्भ। इष्टि। आज से भाद्रपद शुक्ल 1 तक नक्त व्रतारम्भ। भौम व्रत, गौरी दुर्गा पूजा। संकटमोचन, श्री दुर्गा जी की यात्रा एवं दर्शन-काशी में। 
22.बुध-चन्द्र-दर्शन मु.30 साम्यर्घ। श्रृंगार (सिंधारा) देशाचार से। सूर्य सायन सिंह राशि में 14/08 पर। 
23.गुरू-सुकृत तृतीया। मधुश्रवा तृतीया व्रत (मैथिल गुर्जर देश में प्रसिद्ध)। हरि तृतीया (हरियाली तीज)। स्वर्ण गौरी व्रत। ब्रह्मलीन धर्म-सम्राट् यतिचक्र चूड़ामणि पूज्य चरण-रज स्वामी करपात्रि जी महाराज जयन्ती। राष्ट्रीय श्रावण मासारम्भ। अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद जयन्ती। हिजरी जिल्हेज 12वाँ माह शुरू। शुक्र मृगशिरा नक्षत्र में 19/58 पर।
24.शुक्र-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। वरद चतुर्थी व्रत। दूर्वा गणपति व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। 
25.शनि-श्री नाग पंचमी व्रत (मध्यान्ह व्यापिनी पंचमी में)। नागपूजा एवं नागकूप यात्रा। तक्षक पूजा। गोबर आदि से भित्ति पर बने नागों की पूजा। श्री हनुमान जी का ध्वजारोपण। ग्राम-ग्राम में विविध प्रकार के व्यायामों का प्रदर्शन। नागदृष्ट व्रत। कल्कि जयन्ती (सायान्ह व्यापिनी षष्ठी में)। वर्ण श्रृयाल षष्ठी व्रत। 
26.रवि-श्री शीतलाषष्ठी व्रत। बुध पुनर्वसु नक्षत्र में 10/34 पर। गुरू (वक्री) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 15/24 पर।  
27.सोम-श्री शीतलासप्तमी पूजन व्रत। गोस्वामी श्री तुलसीदास जयन्ती। श्री दुर्गाष्टमी व्रत। रोटक व्रतारम्भ। सोमेश्वर पूजन। श्री वर महालक्ष्मी व्रत (दक्षिण भारत)। श्रावण सोमवार व्रत। 08 तिथि क्षय।
30.गुरू-पुत्रदा एकादशी व्रत सबका। पवित्रा। झूलन यात्रारम्भ (पूर्वान्ह में)।  
31.शुक्र-श्री विष्णु पवित्रारोपण। आज से भाद्रपद शुक्ल 12 तक दधि त्याग व्रतारम्भ। शुक्र मिथुन राशि में 29/10 पर।
अगस्त 2020     
01.शनि-शनि प्रदोष व्रत। लोकमान्य तिलक पुण्यतिथि। ईदुज्जुहा (बकरीद)। बुध कर्क राशि में 27/31 पर। 
02.रवि-सूणमाण्डणा (पूरा दिन शुद्ध है)। सूर्य आश्लेषा नक्षत्र में 21/28 पर। चन्द्र-चन्द्र, स्त्री-पुरूष योग, वाहन मेष, नीरा नाड़ी, तदीश शुक्र (स्त्री), अतः श्रेष्ठ वृष्टि हो। 
03.सोम-स्नान दान व्रतादि की श्रवण नक्षत्रयुता परमपुण्यदायिनी श्रावणी पूर्णिमा (परमपुण्य काल 07/19 से सूर्यास्त तक)। अन्वाधान। रक्षा बन्धन (राखी) पूर्णिमा (भद्रा के बाद)। सायंकाल हयग्रीवोत्पत्ति, हयग्रीव जयन्ती। भदैनी स्थित मन्दिर में हयग्रीव दर्शन-पूजन। ऋषि तर्पण। आपस्तम्ब उपाकर्म। संस्कृत दिवस। सत्याग्रह बलिदान दिवस। अमरनाथ यात्रा दर्शन पूजन। प्रदोष काल में नारली पूर्णिमा। यजुर्वेदियों, अथर्ववेदियों, काण्वमाध्यनन्दिन (कात्यायन), बौधायन, हिरण्यकेशीय, आपस्तम्ब, तैत्तरीय द्विजातियों का श्रावणी उपाकर्म। झूलन यात्रा समापन। झूलन पूर्णिमा। नारियल। बलभद्र पूजा (उड़ीसा)। भारतीय संगीत के पुनरूद्धारक विष्णु दिगम्बर पलुष्कर जयन्ती। श्रावणमासीय व्रत यम नियमादि समाप्त। बुध पुष्य नक्षत्र में 24/27 पर।  
भाद्रपद मास कृष्ण पक्षारम्भ 
04.मंगल-भाद्रपद मास कृष्ण पक्षारम्भ। इष्टि। भाद्रपद मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। अशून्य शयन द्वितीया 2 व्रत। भाद्रपद मास में दधित्याग करना चाहिये। मट्ठा का निषेध नहीं है। ऋग्वेदीय उपाकर्म।
05.बुध-कज्जली निमित्त जागरण।
06.गुरू-कज्जली तृतीया व्रत। कजरी तीज। तीजड़ी (सिन्धी)।   
07.शुक्र-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 21/13 पर। बहुला चतुर्थी। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। बुध अस्त पूर्व में 14/53 पर।
08.शनि-शुक्र आर्द्रा नक्षत्र में 17/57 पर।
09.रवि-हलषष्ठी व्रत (सायान्हव्यापिनी षष्ठी में)। पुत्रार्थियों को एवं सन्तानवती महिलाओं को यह व्रत करना चाहिये। बृहद् गौरी व्रत। कपिला षष्ठी व्रत। चम्पा षष्ठी। चन्द्रषष्ठी व्रत (मरूस्थल में)।
10.सोम-श्री शीतला सप्तमी व्रत। 06 तिथि वृद्धि। बुध आश्लेषा नक्षत्र में 19/50 पर। 
11.मंगल-श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत स्मार्त। श्री कृष्ण जन्मोत्सव। मन्वादि। मंत्रादि।
12.बुध-श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत वैष्णव। श्री सन्त ज्ञानेश्वर जयन्ती। गोकुलाष्टमी। नन्दोत्सव।
13.गुरू-गोगा नवमी। 
15.शनि-जया एकादशी व्रत सबका। गो-वत्स पूजा द्वादशी। पर्युषण पर्वारम्भ (जैन)। भारतीय स्वतंत्रता दिवस। भारतीय स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगाँठ।
16.रवि-प्रदोष व्रत। सूर्य मघा नक्षत्र में एवं सूर्य की सिंह संक्रान्ति 19/11  पर। चन्द्र दर्शन मु.45 समर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 12/47 से सूर्यास्त तक। छत्र-स्वर्ण, वस्त्र-दान, गँगा में स्नान। सूर्य मघा नक्षत्र में चन्द्र-चन्द्र, स्त्री-स्त्री योग, वाहन महिष, नाड़ी नीरा, तदीश शुक्र (स्त्री) अतः अल्प वृष्टि हो। मंगल अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में 18/28 पर। 
17.सोम-मास शिवरात्रि व्रत। बुध मघा नक्षत्र सिंह राशि में 08/29 पर।    
18.मंगल-श्राद्ध की अमावस्या। पिठौरी अमावस्या। कुशोत्पाटिनी अमावस्या। ‘ओम् हूँ फट्’ मन्त्र से कुशोत्पाटन।
19. बुध-स्नान-दानादि की अमावस्या। लोहार्गल स्नान। श्री शक्ति पूजा। पोला (वृषभोत्सव)। मौन व्रतारम्भ (जैन)। भाद्रपद शुक्ल पक्षारम्भ। श्रावण मासीय नक्त व्रत का अन्तिम दिन। श्री गुरू ग्रन्थ साहब प्रथम प्रकाश दिवस। 01 तिथि क्षय।   
भाद्रपद शुक्ल पक्षारम्भ
20.गुरू-भाद्रपद शुक्ल पक्षारम्भ। चन्द्रदर्शन मु.30 साम्यर्घ। श्रावण मासीय नक्त व्रत का अन्तिम दिन (देशाचार से)। श्री गुरू अर्जुनदेव गुरयायी। 
21.शुक्र-हरितालिका तीज व्रत (स्त्रियों को यह व्रत अवश्य करना चाहिये)। वाराह जयन्ती। मन्वादि। वाराहावतार। बृहदगौरी व्रत। गौरी तृतीया। श्री शंकर देव तिथि (आसाम)। श्री गुरू रामदास जोति जोत। हिजरी मोहर्रम 1 माह शुरू। हिजरी सन् 1442 शुरू।
22.शनि-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। (आज चन्द्र दर्शन का निषेध है)। सिद्ध विनायक चतुर्थी 4। पत्थर चौथ। भाद्रपद सिंहार्क हस्त नक्षत्र में सामवेदियों का उपाकर्म। सम्वत्सरी चतुर्थी पक्ष (जैन)। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। मेला पाट 3 दिन (जम्मू-कश्मीर)। सूर्य सायन कन्या राशि में 21/21 पर। शुक्र पुनर्वसु नक्षत्र में 11/21 पर।
23.रवि-ऋषि पंचमी। मध्यान्ह में सप्तर्षि पूजा। आपस्तम्भ श्रावणी। हेमाद्रिका नाग पंचमी। ललिता षष्ठी व्रत (गुर्जर)। सम्वत्सरी महापर्व (जैन)। राष्ट्रीय भाद्रपद मासारम्भ। बुध पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में 28/01 पर।
24.सोम-सूर्य षष्ठी व्रत। लोलार्क षष्ठी। पुत्रार्थियों को आज से 16 दिन तक काशी के लोलार्क कुण्ड में स्नान एवँ पूजन अर्चन करना चाहिये। मुक्ताभरण सप्तमी व्रत। दूबड़ी सातम। उमा महेश्वर पूजन।
25.मंगल-अपराजिता। संतान। श्री राधाष्टमी। दूर्वाष्टमी। अनुराधा नक्षत्र में ज्येष्ठा गौरी का आवाहन 13/59 के बाद।  
26.बुध-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री राधाष्टमी। दूर्वाष्टमी (देशाचार से)। आज से 16 दिनात्मक महालक्ष्मी व्रतारम्भ। महर्षि दधीचि जयन्ती। ज्येष्ठा नक्षत्र में ज्येष्ठा गौरी का पूजन-व्रत 13/04 के बाद।
27.गुरू-श्री चन्द्र नवमी। अदुःख नवमी। उदासीन सम्प्रदाय महोत्सव। भागवत सप्ताहारम्भ। गौरी गणपति पूजन। काशी के लक्ष्मी कुण्ड में स्नान। मूल नक्षत्र में ज्येष्ठा गौरी का विसर्जन 12/37 के बाद। दशावतार दशमी 10 व्रत। अगस्त्योदय 18/42 पर। 
28.शुक्र-श्री रामदेव जी का मेला (नवल दुर्ग)।  
29.शनि-जल झूलनी व्रत सबका। डोल ग्यारस (म. प्र.)। वामन द्वादशी व्रत। वामनावतार। वामन जयन्ती।
30.रवि-प्रदोष व्रत। गो त्रिरात्र व्रत। दुग्ध व्रत। हरिवासर का अभाव है। मोहर्रम (ताजिया)। सूर्य पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में 15/06 पर। सूर्य-चन्द्र, स्त्री-पुरूष योग, वाहन मण्डूक, अमृता नाड़ी, तदीश चन्द्र (स्त्री), अतः बहुत हवा चले वृष्टि खूब हो।  
31.सोम-गुरू रामदास गुरयाई दिवस। बुध उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में 13/11 पर। शुक्र कर्क राशि में 26/03 पर।
सितम्बर 2020 
01.मंगल-अनन्त चतुर्दशी व्रत। कदली व्रत पूजन। रम्भा रोपण। व्रत की पूर्णिमा। इन्द्र श्राद्धारम्भ। प्रौष्ठपदी पूर्णिमा। महालयारम्भ। पितृ पक्ष आरम्भ। पूर्णिमा श्राद्ध (09/39 के बाद)। 
02.बुध-स्नान-दानादि की भाद्रपदी पूर्णिमा। इंदुला 15। प्रतिपदा श्राद्ध (10/52 के बाद)। उमा महेश्वर पूजन-व्रत। कु. संध्या पूजा। भाद्रपद मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त। इष्टि। गुरू अमरदास जी जोति जोत। बुध कन्या राशि में 12/04 पर।
प्रथम (शुद्ध) आश्विन कृष्ण पक्ष    
03.गुरू-आश्विन मास कृष्ण पक्षारम्भ। आश्विन मास में दूध का त्याग करना चाहिये। अशून्य शयन द्वितीया व्रत। आश्विन मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। पितृ पक्षारम्भ (मतान्तर से)। शुक्र पुष्य नक्षत्र में 28/49 पर।
04.शुक्र-द्वितीया श्राद्ध 14/24 के पूर्व)।
05.शनि-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 20/16 पर। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। तृतीया श्राद्ध (16/39 के पूर्व)।   
06.रवि-चतुर्थी श्राद्ध।   
07.सोम-पंचमी श्राद्ध। भरणी श्राद्ध। चंद्र षष्ठी व्रत। गुरू अंगददेव गुरयाई दिवस। बुध उदय पश्चिम में 11/51 पर।
08.मंगल-षष्ठी श्राद्ध। बुध हस्त नक्षत्र में 15/53 पर।   
09.बुध-सप्तमी श्राद्ध।  
10.गुरू-अष्टमी श्राद्ध। जीवित्पुत्रिका (जीउतिया) व्रत। अशोकाष्टमी। श्री महालक्ष्मी व्रत। कालाष्टमी 8। मंगल वक्री 20/24 पर। 
11.शुक्र-मातृ नवमी। नवमी श्राद्ध। सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध आज ही करना चाहिये। जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण।
12.शनि-दशमी श्राद्ध। गुरू नानकदेव जी जोति जोत।
13.रवि-इन्दिरा एकादशी व्रत सबका। एकादशी श्राद्ध। सूर्य उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में 09/02 पर। सूर्य-चन्द्र, स्त्री-स्त्री योग, वाहन चातक, नाड़ी नीरा, तदीश शुक्र (स्त्री) अतः अल्प वर्षा हो। गुरू मार्गी 06/11 पर।
14.सोम-द्वादशी श्राद्ध। चक्रांकित महाभागवतों का, सन्यासी, यति, वैष्णवों का श्राद्ध आज ही करना चाहिये।   
15.मंगल-भौम प्रदोष व्रत। युगादि। मास शिवरात्रि व्रत। त्रयोदशी श्राद्ध।
16.बुध-मघा श्राद्ध। चतुर्दशी श्राद्ध। शस्त्रादि से मृत लोगों का श्राद्ध आज ही करना चाहिये। सूर्य की कन्या संक्रान्ति 19/07 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल 12/43 से सूर्यास्त तक। गृह-वस्त्र दान, गोदावरी में स्नान, संकल्पादि में प्रयोजनीय शरद ऋतु प्रारम्भ। शुक्र आश्लेषा नक्षत्र में 07/45 पर। 
17.गुरू-स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या। अमावस्या श्राद्ध। पितृ विसर्जन। महालया समाप्त। सर्वपैत्री। अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध आज ही करना चाहिये। विश्वकर्मा पूजा। अधिक मासारम्भ। बुध चित्रा नक्षत्र में 16/45 पर।
प्रथम (अधिक) आश्विन शुक्ल पक्ष
18.शुक्र-चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। 
19.शनि-हिजरी सफर 2 माह शुरू। 03 तिथि क्षय
20.रवि-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। 
22.मंगल-सूर्य सायन तुला राशि में 19/09 पर। बुध तुला राशि में 16/56 पर।
23.बुध-राष्ट्रीय आश्विन मासारम्भ। राहु (वक्री) वृष राशि में 12/24 पर। केतु (वक्री) ज्येष्ठा नक्षत्र वृश्चिक राशि में 12/24 पर।
26.शनि-सूर्य हस्त नक्षत्र में 24/28 पर। सूर्य-चन्द्र, स्त्री-पुरूष योग, वाहन अश्व, अमृता नाड़ी, तदीश चन्द्र (स्त्री), अतः बहुत हवा के साथ श्रेष्ठ वृष्टि हो।     
27.रवि-कमला (पुरूषोत्तमी) एकादशी व्रत सबका। शुक्र मघा नक्षत्र सिंह राशि में 25/02 पर।  
28.सोम-बुध स्वाती नक्षत्र में 06/25 पर।
29.मंगल-भौम प्रदोष व्रत। शनि मार्गी 10/40 पर।
अक्टूबर 2020
01.गुरू-स्नान-दान-व्रतादि की पुरूषोत्तमी पूर्णिमा।
द्वितीय (अधिक) आश्विन कृष्ण पक्ष
02.शुक्र-महात्मा गाँधी जयन्ती। लालबहादुर शास्त्री जयन्ती। अधिक आश्विन मास कृष्ण पक्षारम्भ।
04.रवि-मंगल (वक्री) रेवती नक्षत्र मीन राशि में 18/05 पर। 
05.सोम-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 19/54 पर। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक।   
08.गुरू-चेहल्लुम।
09.शुक्र-शुक्र पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में 11/17 पर।
10.शनि-सूर्य चित्रा नक्षत्र में 13/34 पर। सूर्य-चन्द्र, स्त्री-स्त्री योग, वाहन मण्डूक, नाड़ी नीरा, तदीश शुक्र (स्त्री) अतः अल्प वर्षा हो।   
13.मंगल-कमला (पुरूषोत्तमी) एकादशी व्रत सबका। बुध अस्त पश्चिम में 23/31 पर।
14.बुध-प्रदोष व्रत। बुध वक्री 06/35 पर। आखिरी चहार शम्बा।
15.गुरू-मास शिवरात्रि व्रत। 14 तिथि क्षय।
16.शुक्र-स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या। अधिक मास समाप्त। शहादते इमाम हसन।
द्वितीय (शुद्ध) आश्विन शुक्ल पक्ष
17.शनि-शारदीय नवरात्रारम्भ। कलश स्थापन। ध्वजारोहण। महाराजा अग्रसेन जयन्ती। दौहित्र कृत मातामह श्राद्ध। सूर्य की तुला संक्रान्ति 07/05 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल सूर्योदय से 11/05 तक। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल आगे 13/29 तक। आज से वृश्चिक संक्रान्ति पर्यन्त तिल तेल का आकाश में दीपदान करना चाहिए। दीप, तिल गौ, रसादि दान। गोदावरी में स्नान। 
18.रवि-चन्द्र दर्शन मु.45 समर्घ।
19.सोम-हिजरी रवि उल अव्वल 3 माह शुरू।
20.मंगल-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। उपांग ललिता पंचमी 5 व्रत। ललिता पंचमी 5। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। शुक्र उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में 16/11 पर।
21.बुध-मूल नक्षत्र में सरस्वती देवी का आवाहन।
22.गुरू-पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में सरस्वती देवी का पूजन। सूर्य सायन वृश्चिक राशि में 28/37 पर। 
23.शुक्र-भद्रकाली अवतार। महाष्टमी। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सरस्वती देवी के निमित्त बलिदान। अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रारम्भ 06/58 बजे से। ओली प्रारम्भ (जैन) चतुर्थी पक्ष। राष्ट्रीय कार्तिक मासारम्भ। सूर्य स्वाती नक्षत्र में 24/00 पर। सूर्य-चन्द्र, स्त्री-पुरूष योग, वाहन महिष, नीरा नाड़ी, तदीश शुक्र (स्त्री), अतः बहुत हवा के साथ श्रेष्ठ वृष्टि हो। शुक्र कन्या राशि में 10/45 पर। 
24.शनि-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। अष्टमी का हवनादि आज ही करें।  श्रवण नक्षत्र में सरस्वती देवी का विसर्जन। अन्नपूर्णा परिक्रमा समाप्त 07/00 बजे। ओली प्रारम्भ (जैन पंचमी पक्ष)। मन्वादि। श्री अष्टभुजी दुर्गा शक्ति पीठ (दुर्गा मंदिर) ‘वाई’ ब्लाक, किदवई नगर कानपुर में शतचण्डी यज्ञ का हवन पूर्णाहुति एवं महाप्रसाद वितरण। शक्ति संगीत सभा।   
25.रवि-श्री दुर्गानवमी व्रत। श्री महानवमी। नवमी का हवनादि आज ही करें। मन्वादि। श्री विजयादशमी। विजय मुहूर्त 13/47 से 14/29 तक। शमी पूजा। अपराजिता पूजा। नीलकण्ठ दर्शन। राजाओं का पट्टाभिषेक। बौद्धावतार। सीमोल्लंघन। शस्त्रादि पूजा। दशमी श्रवण नक्षत्र में राजाओं का पट्टाभिषेक।
27.मंगल-पापांकुशा एकादशी व्रत सबका। काशी में नाटी इमली का भरत मिलाप। श्री माधवाचार्य जयन्ती। बुध (वक्री) चित्रा नक्षत्र में 14/35 पर।
28.बुध-प्रदोष व्रत। कार्तिक मास के लिए द्विदल त्याग व्रतारम्भ।
30.शुक्र-शरद पूर्णिमा। लक्ष्मी पूजा। कुमार पूर्णिमा। कोजागरी पूर्णिमा व्रत। रात्रि में लक्ष्मी कुबेरादि पूजा। ईद-ए-मिलाद (बारावफात)। बुध उदय पूर्व में 29/15 पर। गुरू उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 13/00 पर  
31.शनि-स्नान-दान-व्रतादि की आश्विनी पूर्णिमा। अन्वाधान। नवान्न भक्षण। बंगदेशीय लखी पूजा। आश्वयुजी कर्म (आश्वलायन शाखा)। महर्षि बाल्मीकि जयन्ती। आश्विन मासीय स्नान-व्रत-यम-नियमादि समाप्त। आकाश दीपदान यज्ञ प्रारम्भ। आज से कार्तिक मास पर्यन्त आकाश में दीपदान करना चाहिए। ओली समाप्त (जैन)। कार्तिक मासीय व्रत-यम नियमादि प्रारम्भ। इष्टि। शुक्र हस्त नक्षत्र में 17/09 पर।
नवम्बर 2020
कार्तिक कृष्ण पक्ष

01.रवि-कार्तिक मास कृष्ण पक्षारम्भ। कार्तिक मासीय व्रत-यम नियमादि प्रारम्भ। कार्तिक मास में द्विदल (दाल) का त्याग करना चाहिए। तुलसीदल से श्री विष्णु पूजा।  
02.सोम-अशून्य शयन द्वितीया 2 व्रत।
03.मंगल-बुध मार्गी 23/20 पर।
04.बुध-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 19/57 पर। करवा चौथ। करक चतुर्थी व्रत। दशरथ चतुर्थी। दशरथ ललिता व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। ईद-ए-मौलाद। 
06.शुक्र-स्कन्द षष्ठी व्रत। सूर्य विशाखा नक्षत्र में 08/14 पर। 05 तिथि वृद्धि।      
08.रवि-अहोई अष्टमी व्रत सबका (सायं कालीन अष्टमी में)।
09.सोम-श्री गुरु हरराय जोति जोत। श्री गुरु हरकिशन गुरयायी। 09 तिथि क्षय।
11.बुध-रम्भा एकादशी व्रत सबका। आज आकाश में दीपदान करना चाहिये। बुध स्वाती नक्षत्र में 21/34 पर। डशुक्र चित्रा नक्षत्र में 15/01 पर।
12.गुरू-गोवत्स पूजा। गो वत्स द्वादशी (प्रदोष व्यापिनी द्वादशी में) नारी कर्त्तक नीरांजन विधि 5 दिन तक। वसु द्वादशी। धन त्रयोदशी। धनतेरस (देशाचार से)। धन्वन्तरि जयन्ती। यम पंचकारम्भ।
13.शुक्र-प्रदोष व्रत। धन त्रयोदशी। धनतेरस। श्री हनुमान जयन्ती। हनुमान जी का जन्म सायं मेष लग्न में (हनुमान जी का दर्शन पूजन)। नरक चतुर्दशी व्रत। रुप चतुर्दशी। सायँ प्रदोष वेला में देवालयों में दीपदान तत्पश्चात् घर में दीपदान करना चाहिए। कामेश्वरी जयन्ती। मास शिवरात्रि व्रत। काली चतुर्दशी (महानिशीथ काल में)। निशामुख में यम के लिए घर से बाहर दीपदान। गो त्रिरात्र व्रत प्रारम्भ। अरुणोदय काल पंचकारम्भ।
14.शनि-श्राद्ध की अमावस्या। दीपावली। प्रातः हनुमद्दर्शन। प्रदोष काल में लक्ष्मीन्द्र-कुबेरादि पूजा (प्रदोष काल 17/10 से 19/48 तक। खाता (बसना पूजा) महानिशीथ काल में महालक्ष्मी पूजा। महाकाली पूजा। महानिशीथ काल 23/14 से 24/06 बजे तक। शेष रात्रि में दरिद्र निःस्सारण। महावीर निर्वाण दिवस (जैन)। स्वामी रामतीर्थ जन्म एवं निर्वाण दिवस। ऋषि बोधोत्सव। स्वामी दयानन्द निर्वाण दिवस। गौरी-केदार व्रत। जवाहरलाल नेहरू जन्म दिवस, बाल दिवस। मंगल मार्गी 19/02 पर।
15.रवि-स्नान-दानादि की अमावस्या। अन्नकूट। गोवर्धन पूजा। बलि पूजा। बलि प्रतिपदा। सायं प्रदोष बेला में बलिपूजा। सायं द्यूत क्रीड़ा। यष्टिकार्षण। नारीकर्त्तक नीरांजन विधि समाप्त। यम पंचक समाप्त। गौ-क्रीड़ा। गो-संवर्धन सप्ताह प्रारम्भ। मार्गपाली बंगाल।
कार्तिक शुक्ल पक्ष
16.सोम-चन्द्र दर्शन मु.15 महर्घ। भ्रातृ द्वितीया। यम द्वितीया। चित्रगुप्त पूजा। यम पूजा दीप दानादि। यमुना स्नान। कलम दावात पूजन। भैया दूज। भगिनी गृह में भोजन। विश्वकर्मा पूजा (तिथि अनुसार) श्री गुरू ग्रन्थ साहब गुरयायी दिवस। 02 तिथि क्षय। सूर्य की वृश्चिक संक्रान्ति 06/54 पर। चन्द्र दर्शन मु.30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल सूर्योदय से संक्रान्ति काल तक तत्पश्चात् सामान्य पुण्यकाल संक्रान्ति काल से 13/18 तक। दीप वस्त्र, दान, नर्मदा में स्नान, संकल्पादि में प्रयोजनीय हेमन्त ऋतु प्रारम्भ। आकाश दीप-दान समाप्त। नेपाली संवत् 1141 वीर निर्वाण संवत् 2547 प्रारम्भ। गुर्जर नव सम्वत्सरारम्भ 2077। शुक्र तुला राशि में 25/02 पर।   
17.मंगल-हिजरी रवि उस्सानी 04 माह शुरू।
18.बुध-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। दूर्वा गणपति व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। सूर्य षष्ठी व्रत का प्रथम संयम।
19.गुरू-सौभाग्य पंचमी व्रत। पाण्डव पंचमी। ज्ञान पंचमी (जैन)। सूर्य षष्ठी व्रत का द्वितीय संयम (एक भुक्त खरना)। सतगुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह जोति जोत। सूर्य अनुराधा नक्षत्र में 14/12 पर।
20.शुक्र-सूर्य षष्ठी व्रत (डाला छठ)। सायंकाल प्रथमार्घ्य दान। अरुणोदय काल में द्वितीयार्घ्य दान। गुरू मकर राशि में 13 18 पर 
21.शनि-कल्पादि। सूर्य षष्ठी व्रत का पारण। सूर्य सायन धनु राशि में 26/13 पर। बुध विशाखा नक्षत्र में 18/28 पर।  
22.रवि-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। श्री गोपाष्टमी। गो-पूजा एवं श्रृंगार। गायों को यवन्नादि दान। गो संवर्धन सप्ताह समाप्त। राष्ट्रीय मार्गशीर्ष मासारम्भ। शुक्र स्वाती नक्षत्र में 10/35 पर।      
23.सोम-अक्षय नवमी व्रत। जगद्धात्री पूजा। कूष्माण्ड नवमी। त्रेता युगादि (मतान्तर से)। स्वर्णयुक्त कूष्माण्ड दान। मथुरा प्रदक्षिणा। विष्णु त्रिरात्रारम्भ। विष्णु प्रतिमा सहित तुलसी पूजा द्वादशी तक, तत्पश्चात् प्रतिमादान। धातृ (आँवला) वृक्ष की परिक्रमा-पूजन-तर्पण, तत्पश्चात् आँवला वृक्ष के नीचे भोजन। 
25.बुध-प्रबोधिनी एकादशी व्रत सबका। देवोत्थानी एकादशी। तुलसी विवाहरम्भ। ईख रस का प्राशन। भीष्म पंचकारम्भ। तुलसी विवाहोत्सव। श्री विष्णु त्रिरात्र समाप्त। चातुर्मास्य व्रत-यम-नियमादि समाप्त। द्विदल (दाल) दान। हरिवासर 29/11 से।
26.गुरू-मन्वादि। कवि कुलगुरु कालिदास जयन्ती। हरिवासर 21/21 तक।
27.शुक्र-प्रदोष व्रत। फातिहा यजदहूम।
28.शनि-रोटक व्रत समाप्त। निशीथ काल व्यापिनी चतुर्दशी में वैकुण्ठ चतुर्दशी 14 व्रत। अरुणोदय काल में मणिकर्णिका घाट पर स्नान। निशीथ काल में महाविष्णु पूजा। श्री काशी विश्वनाथ प्रतिष्ठा दिवस। नर्मदेश्वर शिवलिंग को तुलसी पत्र समर्पण। बुध वृश्चिक राशि में 07/04 पर।
29.रवि-व्रत की पूर्णिमा। कार्तिक व्रतोद्यापन। त्रिपुरोत्सव। त्रिपुरा पूर्णिमा। पुष्कर मेला (अजमेर)।
30.सोम-स्नान-दानादि की कार्तिकी पूर्णिमा। मत्स्यावतार। मन्वादि। रास पूर्णिमा। रथयात्रा (जैन)। मन्वादि। भृगु आश्रम (बलिया) ददरी में स्नान का विशेष महत्व है। चातुर्मास्य समाप्त। (जैन)। श्री निम्बार्क जयन्ती। श्री गुरु नानक जयन्ती। कार्तिकेय दर्शन। हरिहर क्षेत्र का मेल (सोनपुर)। भीष्म पंचक समाप्त। कार्तिक मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त। गोपद्म व्रत समाप्त। बुध अनुराधा नक्षत्र में 10/30 पर। बुध अस्त पूर्व में 07/20 पर।
दिसम्बर 2020
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
01.मंगल-मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्षारम्भ। मार्गशीर्ष मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ। अशून्य शयन द्वितीया 2 व्रत।
02.बुध-सूर्य ज्येष्ठा नक्षत्र में 18/33 पर। शुक्र विशाखा नक्षत्र में 28/36 पर।
03.गुरू-संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। चन्द्रोदय 19/36 पर। सौभाग्य सुन्दरी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक। 
07.सोम-श्री महाकाल भैरवाष्टमी। श्री महाकाल भैरव जयन्ती। सायंकाल अष्टमी में श्री भैरव जी का दर्शन पूजन। भैरव उत्पत्ति। भैरव जयन्ती। कालाष्टमी।     
08.मंगल-प्रथमाष्टमी (उड़ीसा)। बुध ज्येष्ठा नक्षत्र में 23/29 पर। 
10.गुरू-शुक्र वृश्चिक राशि में 29/17 पर।
11.शुक्र-उत्पन्ना एकादशी व्रत सबका। वैतरणी व्रत। 
12.शनि-शनि प्रदोष व्रत (पुत्रार्थियों को यह व्रत करना चाहिए)। 13 तिथि क्षय।
13.रवि-मास शिवरात्रि व्रत। शुक्र अनुराधा नक्षत्र में 21/23 पर।
14.सोम-स्नान-दान-श्राद्धादि की सोमवती अमावस्या (आज तैल-स्पर्श का निषेध है)। अन्वाधान। कमला जयन्ती। गौरीतपो व्रत। महाव्रतारम्भ।ा
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
15.मंगल-मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्षारम्भ। रुद्रव्रत (पीड़िया)। आधी रात के बाद पीड़िया का नदी या तालाब में विसर्जन। सूर्य की धनु संक्रान्ति एवं सूर्य मूल नक्षत्र में 21/32 पर। चन्द्र दर्शन मुहुर्त 30 साम्यर्घ। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल 15/08 से संक्रान्ति काल तक। दीप वस्त्र, दान, गोदावरी में स्नान। धनु (खर) मासारम्भ।
16.बुध-चन्द्रदर्शनम् मु.30 साम्यर्घ।
17.गुरू-रम्भा तृतीया। सतगुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह गुरयायी। हिजरी जमादि उल अव्वल 5 माह शुरू। बुध मूल नक्षत्र धनु राशि में 11/38 पर। 
18.शुक्र-वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत। ब्रह्मावर्त (बिठूर) में सिद्ध गणेश मंदिर में अभिषेक।
19.शनि-नागपंचमी व्रत। श्री राम विवाहोत्सव। गुह्य षष्ठी व्रत। (महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है)। मूलक रुपिणी षष्ठी (बंगाल)। स्कन्द षष्ठी व्रत (सायंकालीन षष्ठी में)। श्री अन्नपूर्णा षष्ठी व्रत। गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस।
20.रवि-चम्पा षष्ठी व्रत। सन्त तारण तरण जयन्ती (जैन) मध्य प्रदेश।
21.सोम-मित्र सप्तमी। भक्त नरसिंह मेहता जयन्ती। सूर्य सायन मकर राशि में 15/33 पर। सूर्य सायन उत्तरायण। सायन शिशिर ऋतु प्रारम्भ। दैत्यों का मध्यान्ह देवताओं की मध्य रात्रि।  
22.मंगल-श्री दुर्गाष्टमी व्रत। अयन करिदिन। राष्ट्रीय पौष मासारम्भ।
23.बुध-कल्पादि नवमी। नवमी में नन्दा देवी के पूजन से विष्णु लोक की प्राप्ति।      
24.गुरू-मंगल अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में 10/19 पर। शुक्र ज्येष्ठा नक्षत्र में 13/26 पर।
25.शुक्र-मोक्षदा एकादशी व्रत सबका। गीता जयन्ती। मौनी एकादशी (जैन)। वैकुण्ठ एकादशी। क्रिसमस डे (बड़ा दिन)। बुध पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 21/20 पर।
26.शनि-अखण्ड द्वादशी।
27.रवि-प्रदोष व्रत। अनंग त्रयोदशी व्रत।
28.सोम-पिशाच मोचन चतुर्दशी। कपर्दीश्वर दर्शन पूजन। काशी में पिशाचमोचन पर पार्वण श्राद्ध करने से पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है। सूर्य पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में 23/45 पर।  
29.मंगल-व्रत की पूर्णिमा। श्री विद्या जयन्ती। दत्तात्रेय जयन्ती। श्री दत्त जयन्ती। बत्तीसी पूर्णिमा 15।
30.बुध-स्नान-दानादि की अग्रहायणी पूर्णिमा। गुरु ग्रन्थ साहब का वार्षिकोत्सव। मार्गशीर्ष मासीय व्रत-यम-नियमादि समाप्त।
पौष कृष्ण पक्ष
31.गुरू-पौष मास कृष्ण पक्षारम्भ। पौष मासीय व्रत-यम-नियमादि प्रारम्भ।

Monday, September 24, 2018

पितृ पक्ष का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

पितृ पक्ष का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व
    आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की रश्मि तथा रश्मि के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। श्राद्ध की मूलभूत परिभाषा यह है कि प्रेत और पितर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाय वही श्राद्ध है। मृत्यु के बाद दशगात्र और षोडशी-सपिण्डन तक मृत व्यक्ति की प्रेत संज्ञा रहती है। सपिण्डन के बाद वह पितरों में सम्मिलित हो जाता है।
    पितृपक्ष में पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से रेतस् का अंश लेकर वह चन्द्रलोक में अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से वह चक्र ऊपर की ओर होने लगता है। 15 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल प्रतिपदा से उसी रश्मि के साथ रवाना हो जाता है। इसीलिये इसको पितृपक्ष कहते हैं। अन्य दिनों में जो श्राद्ध तथा तर्पण किया जाता है, उसका सम्बन्ध सूर्य की उस सुषुम्ना नाड़ी से रहता है, जिसके द्वारा श्रद्धारश्मि मध्यान्हकाल में पृथ्वी पर आती रहती है और यहाँ से तत्तत् पितर का भाग ले जाती है, परन्तु पितृपक्ष में जितने पितृप्राण चन्द्रमा के ऊर्ध्व देश में रहते है, वे स्वतः चन्द्रपिंड की परिवर्तित स्थिति के कारण पृथ्वी पर व्याप्त रहते हैं। इसी कारण पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध का इतना अधिक माहात्म्य है।
    प्रत्येक शरीर में आत्मा तीन रूप में व्याप्त है-1. विज्ञानात्मा, 2. महानात्मा, 3. भूतात्मा। विज्ञानात्मा (उसे कहते हैं जो) गर्भाधान से पहले स्त्री पुरूष में सम्भोग की इच्छा प्रकट करता है। वह रोदसी मण्डल से आता है। रोदसी मण्डल पृथ्वी से 27 हजार मील की दूरी पर स्थित है। महानात्मा चन्द्रलोक से पुरूष के शरीर में 28 अंशात्मक रेतस् बनकर आता है, उसी 28 अंश रेतस् से पुरूष पुत्र पैदा करता है। भूतात्मा माता द्वारा खाये गये अन्न के रस से बने वायु द्वारा गर्भ पिण्ड में प्रवेश करता है। उसे वायु में अहंकार का ज्ञान होता है। उसी को प्रज्ञानात्मा तथा भूतात्मा कहते हैं। यह भूतात्मा पृथ्वी के सिवा अन्य किसी लोक में नहीं जा सकता। मृत प्राणी का महानात्मा स्वजातीय चन्द्रलोक में चला जाता है। चन्द्रलोक में उस महानात्मा से 28 अंश रेतस् माँगा जाता है, क्योंकि चंद्रलोक से 28 अंश लेकर ही वह उत्पन्न हुआ था। इसी 28 अंश रेतस् को पितृऋण कहते हैं। 28 अंश रेतस् के रूप में श्रद्धा नामक मार्ग से भेजे जाने वाले पिण्ड तथा जल आदि के दान को ही श्राद्ध कहते है। इस श्राद्ध नामक मार्ग का सम्बन्ध मध्यान्हकाल में पृथ्वी से होता है। इसीलिए मध्यान्हकाल में श्राद्ध करने का विधान है। पृथ्वी पर कोई भी वस्तु सूर्यमण्डल तथा चन्द्रमण्डल के सम्पर्क से ही बनती है। संसार में सोम सम्बन्धी वस्तु विशेषतः चावल और यव हैं। यव में मेधा की अधिकता है। धान और यव में रेतस् (सोम) का अंश विशेष रूप में रहता है। आश्विन कृृष्णपक्ष (पितृ पक्ष) में यदि चावल तथा यव का पिण्डदान किया जाय तो चन्द्रमंडल को 28 अंश रेतस् पहुँच जाता है। पितर इसी चन्द्रमा के ऊर्ध्व देश में रहते हैं, विदूर्ध्वलोके पितरो वसन्तः स्वाधः सुधादीधित मामनन्ति। (गोलाध्याय)।
    धर्मशास्त्र का निर्देश है कि माता-पिता आदि के निमित्त उनके नाम और गोत्र का उच्चारण कर मंत्रों द्वारा जो अन्न आदि अर्पित किया जाता है, वह उनको प्राप्त हो जाता है। उन्हें गन्धर्वलोक प्राप्त होने पर भोग्यरूप में, पशुयोनि में तृणरूप में, सर्पयोनि में वायु रूप में, यक्षयोनि में पेयरूप में, दानवयोनि में मांसरूप में, प्रेतयोनि में रूधिररूप में, और मनुष्यरूप में अन्न आदि के रूप में उपलब्ध होता है।
    जब पितर यह सुनते हैं कि श्राद्धकाल उपस्थित हो गया है तो वह एक दूसरे का स्मरण करते हुए मनोमय रूप से श्राद्धस्थल पर उपस्थित हो जाते हैं और ब्राह्मणों के साथ वायु रूप में भोजन करते हैं। यह भी कहा गया है कि जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं तो पितर अपने पुत्रों पौत्रों के यहाँ आते हैं। विशेषतः आश्विन अमावस्या के दिन वह दरवाजे पर आकर बैठ जाते हैं। यदि उस दिन उनका श्राद्ध नहीं किया जाता तो वह शाप देकर लौट जाते हैं। अतः उस दिन पत्र-पुष्प, फल और जल तर्पण से यथाशक्ति उनको तृप्त करना चाहिए। श्राद्ध से विमुख नहीं होना चाहिए। कन्या गते सवितरि पितरो यान्ति वै सुतान्। अमावस्या दिने प्राप्ते गृहद्वारं समाश्रिताः। श्राद्धाभावे स्वभवनं शापं दत्वा व्रजन्ति ते।।
    मुख्यतः श्राद्ध दो प्रकार के है। पहला एकोद्दिष्ट और दूसरा पार्वण, लेकिन बाद में चार श्राद्धों को मुख्यता दी गई। इनमें पार्वण, एकोद्दिष्ट, वृद्धि और सपिण्डीकरण आते हैं। आजकल यही चार श्राद्ध समाज में प्रचलित हैं। वृद्धि श्राद्ध का मतलब नान्दीमुख श्राद्ध है। श्राद्धों की पूरी संख्या बारह है- नित्यं नैमित्तिकं काम्य वृद्धिश्राद्ध सपिंडनम्। पार्वण चेति विज्ञेयं गोष्ठ्यां शुद्धयर्थष्टमम्।। कर्मागं नवमं प्रोक्तं दैविकं दशमं स्मृतमृ। यात्रा स्वेकादर्श प्रोक्तं पुष्टयर्थ द्वादशं स्मृतम्।।
    इनमें नित्यश्राद्ध, तर्पण और पंचमहायज्ञ आदि के रूप में, प्रतिदिन किया जाता है। नैमित्तिक श्राद्ध का ही नाम एकोद्दिष्ट है। यह किसी एक व्यक्ति के लिए किया जाता है। मृत्यु के बाद यही श्राद्ध होता है। प्रतिवर्ष मृत्युतिथि पर भी एकोद्दिष्ट ही किया जाता है। काम्य श्राद्ध, अभिप्रेतार्थ सिद्धर्य्थ अर्थात् किसी कामना की पूर्ति की इच्छा के लिए किया जाता है। वृद्धि श्राद्ध पुत्र जन्म आदि के अवसर पर किया जाता है। इसी का नाम नान्दी श्राद्ध है। सपिण्डनश्राद्ध मृत्यु के बाद दशगात्र और षोडषी के बाद किया जाता है। इसके बाद मृत व्यक्ति को पितरों के साथ मिलाया जाता है।
    प्रेतश्राद्ध में जो पिण्डदान किया जाता है, उस पिण्ड को पितरों को दिये पिण्ड में मिला दिया जाता है। पार्वण श्राद्ध प्रतिवर्ष आश्विन कृष्णपक्ष में मृत्यु तिथि और अमावस्या के दिन किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी पर्वों पर भी यह श्राद्ध किया जाता था। गोष्ठी श्राद्ध विद्वानों को सुखी समृद्ध बनाने के उद्देश्य से किया जाता था। इससे पितरों की तृप्ति होना स्वाभाविक है। शुद्धि श्राद्ध शारीरिक मानसिक और अशौचादि अशुद्धि के निवारण के लिए किया जाता है। कर्मांग श्राद्ध सोमयाग, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन आदि के अवसर पर किया जाता है। दैविक श्राद्ध देवताओं की प्रसन्नता के लिए किया जाता है। यात्राश्राद्ध यात्रा काल में किया जाता है। पुष्टिश्राद्ध धन-धान्य समृद्धि की इच्छा से किया जाता है।
    धर्मशास्त्रों में श्राद्ध के सम्बन्ध में इतने विस्तार से विचार किया गया है कि इसके सामने अन्य समस्त धार्मिक कृत्य गौण से लगने लगते हैं। शास्त्रकारों ने अपने पांडित्य और मनोविज्ञान का यत्परोनास्ति रूप प्रदर्शित किया है। जब घर में कोई नयी समृद्धि या मांगलिक उत्सव हो तो उस समय अपने स्वर्गीय जनों की याद आना नितांत स्वाभाविक है। जो कभी हमारे सुख, दुःख में सम्मिलत होते थे, उनकी स्मृति मिटाए नहीं मिटती। अतः यह इच्छा स्वाभाविक है कि वह अज्ञात लोक के वासी भी हमारे आनन्दोत्सव में सम्मिलित हों, शरीर से न सही, आत्मा से हमारे साथ रहें, अतः उनके प्रति श्रद्धावनत होना स्वाभाविक है। उनका शास्त्रीय मंत्रों द्वारा मानसिक आवाहन, पूजन ही श्राद्ध है।
    इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि मन की भावना बड़ी प्रबल होती है। श्रद्धाभिभूत मन के सामने स्वर्गीय आत्मा सजीव और साकार हो उठती है। श्राद्ध में माता-पिता आदि के रूप का ध्यान करना आवश्यक कर्तव्य निर्धारित किया गया है। लोगों का यह अनुभव है कि श्राद्ध के समय माता-पिता, पिता या किसी अन्य स्नेही की झलक दिखाई दी। आज का मनोविज्ञान भी श्राद्ध के इस सत्य के निकट पहुँचता जा रहा है।
    श्राद्ध के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है। उनपर भी शास्त्रों में बहुत विचार किया गया है। कौन वस्तु कैसी हो, कहाँ से ली जाय, कब ली जाय। भोजन सामग्री कैसी हो, किन पात्रों में बनायी जाय, कैसे बनायी जाय। फल, साग, तरकारी आदि में भी कुछ अश्राद्धीय ठहरा दी गयी है। प्रत्येक वस्तु की शुद्धता और स्तर निर्धारित कर दिया है। पुष्प और चन्दन जो निर्धारित है, उन्हीं का उपयोग हो सकता है।
    इसके अलावा श्राद्ध में कैसे ब्राह्मणों को आमन्त्रित किया जाय, किस प्रकार किया जाय, कब किया जाय और निमन्त्रित ब्राह्मण निमन्त्रण के बाद किस तरह का आचरण करें, भोजन किस प्रकार करें, आदि सभी बातें विस्तार पूर्वक बतलायी गयी हैं। ब्राह्मणों को, उत्तम, मध्यम और अधम तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। निषिद्ध ब्राह्मणों की सूची बड़ी लम्बी है। शास्त्र का कठोर आदेश है कि अन्य किसी धार्मिक कार्य में ब्राह्मणों की परीक्षा न की जाय, पर श्राद्ध में जिन ब्राह्मणों को आमन्त्रित करना हो, उनकी परीक्षा अवश्य की जाय और परीक्षा आमन्त्रित करने के पूर्व की जाय, बाद में नहीं- न ब्राह्मणं परीक्षेत देवै कर्मणि धर्मवित्। पित्रये कर्मणि तु प्राप्ते परीक्षेत प्रयत्नतः।
    उशनाः - भोजनं तु निःशेषं कुर्यात् प्राज्ञः कथन्चन।
        अन्यत्र दध्नः क्षीराद्वा क्षौद्रात्सक्तुभ्य एव च।।
    उशना ने कहा है - बुद्धिमान व्यक्ति कभी निःशेष भोजन न करे। अर्थात्-थाली में कुछ अवश्य छोड़ दे। लेकिन दधि, दूध सहत और सत्तु को नहीं छोड़ना चाहिए।
    ब्राह्मे - न चाश्रु पातयेज्जातु    न शुष्कां गिरमीयेत्।
        न चोद्विक्षेत् भुन्जानान न च कुर्वीत मत्सरम्।।
    ब्रह्मपुराण में कहा है - आँसू को न गिरावे। न रूखी वाणी कहे। भोजन करते हुए ब्राह्मणों को न देखें और न मत्सर ( डाह, ईर्ष्या ) करे।
    यमः -- स्वाध्यायं श्रावयेत्सम्यक् धर्मशास्त्राणि चैव हि।
    यम ने कहा है -- वेद और धर्मशास्त्रों को अच्छी प्रकार से सुनावे।
    गोत्रस्य त्वपरिज्ञाने    कश्यपं गोत्रमुच्यते।
    तस्मादाह श्रुतिः सर्वाः प्रज्ञाः कश्यपसंभवाः।।
    वहीं पर चन्द्रिका में स्मृत्यन्तर का वचन है कि - गोत्र के अपरिज्ञान में कश्यप गोत्र कहा है। इसीलिए श्रुति ( वेद ) ने कहा है कि - जितनी प्रजा हैं वे सब कश्यप से पैदा हुई है। यह व्यवस्था उनके लिए है जिन्हें अपना गोत्र नहीं मालूम है।
    श्राद्ध किसी दूसरे के घर में, दूसरे की भूमि पर कभी न किया जाय। जिस भूमि पर किसी का स्वामित्व न हो, सार्वजनिक हो, ऐसी भूमि पर श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्रीय निर्देश है कि दूसरे के घर में जो श्राद्ध किया जाता है, उसमें श्राद्ध करने वाले पितरों को कुछ नहीं मिलता। गृह-स्वामी के पितर बलात् सब छीन लेते हैं - परकीय गृहे यस्तु स्वात्पितृस्तर्पयेद्यदि। तद्भूमि स्वामिनस्तस्य हरन्ति पितरोबलात्।।
    यह भी कहा गया है कि दूसरे के प्रदेश में यदि श्राद्ध किया जाय तो उस प्रदेश के स्वामी के पितर श्राद्धकर्म का विनाश कर देते हैं- परकीय प्रदेशेषु पितृणां निवषयेत्तुयः। तद्भूमि स्वामि पितृभिः श्राद्धकर्म विहन्यते।।
    इसीलिए तीर्थ में किये गये श्राद्ध से भी आठगुना पुण्यप्रद श्राद्ध अपने घर में करने से होता है-तीर्थादष्टगृणं पुण्यं स्वगृहे ददतः शुभे। यदि किसी विवशता के कारण दूसरे के गृह अथवा भूमि पर श्राद्ध करना ही पड़े तो भूमि का मूल्य अथवा किराया पहले उसके स्वामी को दे दिया जाय।
    मृतक की अन्त्येष्टि और श्राद्ध की जो व्यवस्था इस समय प्रचलित है, वह हमारे वेदों में वर्णित है। गृह्यसूत्रों में पितृयज्ञ अथवा पितृश्राद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। आश्वलायन गृह्मसूत्र की सातवीं और आठवीं कण्डिका में विस्तार पूर्वक श्राद्ध विधि वर्णित की गयी है, मूलतः वेदों में भी श्राद्ध और पिण्डदान का उल्लेख किया गया है। श्राद्ध में जो मंत्र पढ़े जाते हैं, उनमें से कुछ ये हैं अत्र पितरो मादमध्वं यथाभागमा वृषायध्वम। इस पितृयज्ञ में पितृगण हृष्ट हो और अंशानुसार अपना-अपना भाग ग्रहण करें। नम वः पितरो रसाय। नमो वः पितरो शोषाय। पितरों को नमस्कार ! बसन्त ऋतु का उदय होने पर समस्त पदार्थ रसवान हों। तुम्हारी कृपा से देश में सुन्दर बसन्त ऋतु प्राप्त हो। पितरों को नमस्कार ! ग्रीष्म ऋतु आने पर सर्व पदार्थ शुष्क हों। देश में ग्रीष्म ऋतु भलीभाँति व्याप्त हो।
    इसी प्रकार छहों ऋतुओं के पूर्णतः सुन्दर, सुखद होने की कामना और प्रार्थना की गयी है। यह भी कहा गया है कि पितरों, तुम लोगों ने हमको गृहस्थ (विवाहित) बना दिया है, अतः हम तुम्हारे लिए दातव्य वस्तु अर्पित कर रहे हैं।
    वेदों के बाद हमारे स्मृतिकारों और धर्माचार्यों ने श्राद्धीय विषयों को बहुत व्यापक बनाया और जीवन के प्रत्येक अंग के साथ सम्बद्ध कर दिया। मनुस्मृति से लेकर आधुनिक निर्णय सिन्धु, धर्मसिन्धु तक की परम्परा यह सिद्ध करती है कि इस विधि में समय समय पर युगानुरूप संशोधन, परिवर्धन व परिवर्तन होता रहा है। नयी मान्यता, नयी परिभाषा, नयी विवेचना और तदनुरूप नई व्यवस्था बराबर होती रहती है। दुर्भाग्य की बात यह है कि विदेशी आधिपत्य के बाद जब हिन्दु समाज पंगु हो गया, समाज का नियन्त्रण विदेशी पद्धति और विधि-विधान से होने लगा तो युग की आवश्यकता के अनुरूप नयी परिभाषा, व्यवस्था का क्रम भी अवरूद्ध हो गया, फलस्वरूप उपयोगितावादी मानव मन की तुष्टि अपने पुरातन संस्कारों से नहीं हो पा रहीं है और वह संस्कार विहीन होता जा रहा है। जीवित माता पिता, बंधु-बाधव भी आज मात्र उपयोगितावादी की कसौटी पर कसे जा रहे हैं, तब माता-पिता के प्रति आस्था, श्रद्धा और भक्ति की तो बात ही क्या ! इतना ही नहीं, हमारी आस्था स्वयं अपने घर से डिगती जा रही है। देश में व्याप्त समस्त अशान्ति, विक्षोभ, असंतोष, अनैतिकता आदि का मूल कारण यही है।  जब हम स्वयं अघोर नहीं है तो अघोराः पितरः सन्तु की कामना कैसे कर सकते है।
संकलन- ऋद्धि विजय त्रिपाठी  

Tuesday, July 31, 2018

सन् 2018 में शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले विशिष्ट ग्रह योग
जनवरी
    मासारम्भ में शुक्र व बुध के प्रभावी होने से बाजार का रूख कुछ गरम रहेगा। मारूती, रिलायंस जीयो, अम्बूजा सीमेन्ट, बजाज फाइनेन्सरी, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, हुण्डई आदि के शेयर्स तेज होगें। परन्तु निवेशक शीघ्र फायदा उठायें यह अल्प कालिक योग है। माह के दूसरे सप्ताह प्रथम चार दिनों शुक्र का प्रभाव बना रहेगा अतः  टेक्सटाइल, नोकिया, सैमसंग, रिलायंस ग्रुप, बैक आफ बड़ौदा, एस.बी. आई, महिन्द्रा कोटक बैंक, व टाटाग्रुप आदि के शेयरों में मजबूती देखने को मिलेगी। इस सप्ताह के अंत में सूर्यदेव की मकर संक्रान्ति 30 मुहूर्ती साम्यर्घ पड़ेगी जो शेयर मार्केट में स्थिरता ले आयेगी यह समय खरीदारी का उपयुक्त समय है, बैकिंग, दवा आदि बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर, रिलांयस जीयो, इलेक्ट्रानिक, ऐजुकेशन, कन्सट्रॅक्शन से जुड़ी कम्पनीयों, आई.टी., माइक्रोसाफ्ट, विप्रो, सोनी, टाटा ग्रुप मे निवेश करे लाभ होगा। तीसरे सप्ताह मे अमावस्या की वृद्धि होगी अतः बाजार में सभी शेयर्स मसलन रिलायंस, आई.सी.आई.सी.आई, विप्रो, पेंन्ट बनाने वाली कम्पनीयों आदि इण्डस्ट्री के शेयर्स, कोल्डडिं्रक कम्पनियां, निफ्टी, डाउजोन्स, नेरोलैक, काफी, सीमेन्ट बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स मशीनरी व कम्प्यूटर्स आदि बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स, इलेक्ट्रॉनिक कम्पनियों के शेयर्स,आदि के शेयर्स में काफी अच्छी मंदी होके तेजी देखने को मिलेगी निवेशक इस स्थिति का फायदा अवश्य उठायें यह एक लाभकारी निवेश होगा। मासान्त मे गुरू व शनि के प्रभाव से मार्केट मे मंदी आना प्रारम्भ हो जायेगी यदि आप चाहे तो इस समय से पूर्व ही अपने शेयर्स निकाल सकते है। स्मालकैप, मिडकैप, निफ्टी, न.एस.सी., के लगभग सेसेंक्स को प्रभावित करने वाले शेयर्स के भावों मे मंदी आपको देखने को मिलेगी।
    फरवरी
    मासारम्भ में सूर्य व मंगल के प्रभावित होने से पूरे सप्ताह खरीदारी का एक योग रहेगा रिलायंस ग्रुप के लगभग सभी शेयर्स, बैकिंग सेक्टर मे एस.बी.आई, एच.डी.एफ.सी., कोटक महिन्द्रा, ईन्डस्ईन्ड, आई.सी.आई., बैंक आफ बड़ौदा, आदि एवं बिरला सनलाइफ, टाटा, सीफी, आदि के भावों में तेजी आयेगी। विदेशी कम्पनीयों के शेयर्स मे भी वृद्धि होगी। दूसरे सप्ताह मे सूर्यदेव की कुम्भ संक्रान्ति सोमवारी पड़ रही है, अतः रिलांयस इण्डस्ट्रीज के सभी शेयर्स, सीमेन्ट कम्पनीयों के शेयर्स, सीप्ला, डाबर, टाटास्टील, वीडियोकॉन, आईडिया, भारती एयरटेल, हिण्डालको , टी कम्पनीयों के शेयर मंदे हो जायेगें। तीसरे सप्ताह मे राहु व केतु का दुष्प्रभाव मार्केट मे पड़ने से मंदी ही बनी रहेगी अतः मिडकैप व सेंसेक्स को प्रभावित करने वाली कम्पनीयों के शेयरों में भी बिकवाली की आशंका है। इसमें एक तरफा मुनाफा कमा लेना निवेशकों के लिये उचित रहेगा। अन्यथा ऊपर के भावों मे फंसे रहना पड़ सकता है। मासान्त मे शुक्र व बुध का अच्छा प्रभाव शेयर मार्केट पर पड़ेगा अतः मारूति, हाण्डा, डेल, कैडबरी, आटो मोबाइल, तेल से सम्बन्धित कम्पनियों के शेयर्स अमेरिकी और एशियाई शेयर बाजार संवेदी सूचकांक आधारित कम्पनियां सत्यम विप्रो सैमसंग वीडियोकान आदि के शेयर्स तेज होगे, वही बैंकिग मे पी.एन.बी., विजया, एच.डी.एफ.सी, एस.बी.आई., युनियन बैंक आदि मे भी तेजी आयेगी। अन्नादि पदार्थों में तेजी आयेगी। एच.सी.एल, ओरियन्टल, हिन्डाल्को, हिन्दुजा, जीयो, नेस्डैक, नेस्लें, कैडबरी, आदि कम्पनियों के शेयर्स में अच्छा सुधार होगा। आप इस सप्ताह निवेश कर सकते है।
मार्च
    मासारम्भ के प्रथम सप्ताह में शुक्र व मंगल के प्रभाव से शेयर बाजार में तेजी का असर होने से म्यूच्युअल फंड, बजाज आटो एवं फाईनेन्स, पार्लें, फूड इण्डस्ट्रीज, भवन निर्माण सामग्री बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स आदि में अच्छी तेजी आयेगी। एल.जी, सैमसंग, हुंडई आदि के शेयरों में भी तेजी का अच्छा योग बनेगा। दुसरे सप्ताह मे गुरू के वक्री होने से कुछ शेयर्स मे तो अच्छी तेजी आयेगी परन्तु कुछ के भाव गिर जायेगें। तेजी बिड़ला ग्रुप के शेयर्स, टेली मार्केटींग, एन.डी.टी.वी., हिण्डाल्को, जीयो आदि मे रहेगी।ं टेक्सटाइल, वीडियोकान, सैमसंग, एल.जी, एल.आई.सी., हॉण्डा, बजाज आटो, आदि शेयर्स मंदे रहेंगे। इसके उपरान्त सूर्यदेव की मीन संक्रान्ति 14 को पड़ेगी अतः नेस्लें, टिस्को, एस.बी.आई, सत्यम आदि के भाव सम रहेंगे। बैंकिंग के शेयरों में हल्की मंदी आकर बाद में तेजी आयेगी। ता.14 से 23 को मार्केट मे खरीदारी का अवसर है, निवेश करें। मशीनरी, वाहन आदि से जुड़े शेयर्स काफी तेज होंगे। सूचना प्रौद्योगिकी, वी.एस.एन.एल., एम.टी.एन.एल, लाल व सफेद रंग के पदार्थों में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी। मासान्त मे बुध के वक्री हो जाने से विदेशी मुद्रा में बढ़त, ब्याज दरें मंदी हागी, बैंकिंग सेक्टर मे भी मंदी का असर देखने को मिलेगा, बैंकें एफ डी आदि पर ब्याज दरें घटा देगी। होम लोन, कार लोन, व्यापारी लोन सस्ते होगें। आई.टी, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट बनाने वाली सभी कम्पनीयों के शेयर्स में तेजी का योग बनेगा। अर्थ व्यवस्था चरमारने का पूरे अंदेशा बनेगा परन्तु कुछ अच्छे सुझावों से कार्य बनेगा। कुछ वस्तुओं पर टैक्स छुटने परन्तु कुछ पर अधिक टैक्स लगाये जाने की स्थितिया बनेगी। व्यापार जगत मे कुछ नई कम्पनीया जगह बना ले जायेगी।
अप्रैल
     मासारम्भ मे बुध वक्रावस्था मे उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण मे प्रवेश करेगा अतः अतः इस सप्ताह शेयरों में मन्दी का दौर चलेगा। सत्यम कम्प्यूटर, सोनी, हुण्डई, नोकिया, डेल, प्रकाश इण्डस्ट्रीज, टाटा ग्रुप के सभी शेयर्स व केमिकल्स नेरोलैक आई.सी.आई., रिलांयन्स ग्रुप, बजाज, टेल्को आदि कम्पनियों के शेयर्स गिर जायेगें। दुसरे सप्ताह मे सूर्य देव की मेष संक्रान्ति पड़ रही है अतः तेजी का योग बनेगा एल.जी.,डेल, भारती ऐयरटेल, सीप्ला, कैडबरी, गोडरेज, वोलटॉस, माइक्रोसाफ्ट, विप्रो, हीटाची, एशियाई कम्पनियां, प्लास्टिक की वस्तुएं बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स टेलीकाम एवं सौन्दर्य सामग्री उद्योग, लोहे एवं स्टील के उपकरण बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स मे किया हुआ निवेश लाभकारी रहेगा। ता. 15 को बुध माग्री होगा अतः कोल्डड्रिंक, सिगरेट चाय काफी नेरोलक आदि कम्पनियों के शेयर्स में सुद्दार होगा। वाहन केमिकल्स वित्तीय संस्थाओं के शेयर्स सामान्य रहेंगे पी.एन.बी, टाटा, जे.के.,ए.बी.एन.लॉयड, अविन्द मिल्स, बैंको मे सभी शेयर्स दवाई बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स आदि के शेयर गिर जायेगें। मासान्त में मामूली गिरावट दर्ज की जाएगी। फूड इण्डस्ट्रीज, रेडीमेड गारमेन्ट्स कंपनियों के शेयर्स एवं सीमेन्ट तथा भौतिक वादी वस्तुओं को बनाने वाली कंपनियों के शेयर्स, वित्तीय शेयर्स, बैंक शेयर्स, जी-टीवी, टाटा-टी, रिलायंस के शेयर्स के भाव बढ़ेगें।
             मई
    मासारम्भ मे मकर के मंगल के प्रभावह होने के कारण शेयर बाजार हल्की मंदी का रूख तो दिखायेगा, परन्तु कुछ ही समय के उपरान्त बाजार में तेजी आयेगी परन्तु शेयर बाजार में अकस्मात् स्थिरता भी दिखाई दे सकती है। 8 से 13 तारीख मे बुध के प्रभावी होने के कारण रिलायंस इण्डस्ट्रीज, बिरला ग्रुप, विप्रो, डाबर, बैजनाथ, कोलगेट, आर.एस.पी.एल., फिल्म जगत से जुड़ी कम्पनीयों के शेयर्स, लारसेन, कोल इण्डिया, ब्रिटानिया,  डी.एल.एफ., हैवेल्स, हिंदुस्तान जिंक एवं मुख्यता सारी विदेशी कम्पनीयों के शेयर्स आदि में तेजी आयेगी। ता.14 को सूर्य देव की वृष संक्रान्ति पड़ेगी जिसके फलस्वरूप माह के तीसरे सप्ताह मे डाबर, रैनबैक्सी, मैरिको, एन.एच.पी.सी., ऑयल इण्डिया, सिप्ला, हिन्दुस्तान लीवर, पीडलाईट, पावरग्रिड, टेक महिन्द्रा आदि शेयरों में तेजी दिखाई देगी। ए.सी.सी, अम्बुजा सीमेंट, आई.पी.सी.एल, आई.बी.पी., इनफोसिस में कुछ उतार-चढ़ाव के मध्य बाजार में तेजी ही रहेगी। आटो मोबाइल, साफ्टवेयर से सम्बन्धित कम्पनियों में भी तगड़ी मंदी इस सप्ताह मे देखने को मिलेगी। मासान्त में बुद्द व सूर्य के मिले-जुले प्रभाव से दूर संचार, मीडिया, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से सम्बन्द्दित कम्पनियां, पुरानी अर्थव्यवस्था स जुड़े शेयरों में निवेश करना उचित है। स्टील, नेमलीन लाइट, व्यूजुअल, रिलायंस, एल.आई.सी.,आइ.सी.आई.सी.आई, यू.टी.आई, एच.डी.एफ.सी आदि के शेयर अच्छे उतार चढ़ाव के बाद तेजी ही लायेंगे। बैकिंग व रियल स्टेट से जुड़े शेयर्स गिरने की आशंका है।
जून
    मासारम्भ में शनिदेव अपनी वक्रावस्था मे प्रभावी रहेगें  अतः बाजार में तेजी का वातावरण दिखेगा, एच.सी.एल.टेक, कपड़े बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स, बिरला सन लाईफ, रिलांयस जीयो, टिस्को, रिलायन्स, कम्प्यूटर, फूड इण्डस्ट्री शुगर इण्डस्ट्री औद्योगिक कम्पनियों के शेयर्स वित्तीय संस्थाओं के शेयर्स में तेजी आएगी। पेट्रोल, डीजल आदि के दाम भी बढ़ने की आशंका है। दुसरे सप्ताह मे चतुर्दशी का क्षय ऐप्पल, इन्टेल, माइक्रोसाफ्ट, विप्रो आदि में खासा तेजी देखने को मिलेगी, केमिकल्स गृहस्थ वस्तुओं को बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स, हिन्डाल्को हिन्दुजा एच.सी.एल. ओरिएन्टल, हिन्दुस्तान टेस्को, इण्डेन आदि कम्पनियों के शेयर्स में तेजी आयेगी। तीसरे सप्ताह मे नेप्च्यून के वक्री होने तथा सूर्यदेव की मिथुन संक्रान्ति पड़ने से मंदी आएगी,यह मंदी एन.एस.सी के मुख्य शेयर्स, आई.टी.सी. टेलीकॉम इण्डस्ट्री के शेयर्स में आयेगी। बिचौलिए बाजार में हावी रहेगें। बाजार में जबरदस्त उतार-चढ़ाव का माहौल रहेगा, कभी तेजड़िये तो कभी मंदड़िये हावी होंगे। मासान्त में मंगल के वक्री होने से साफ्टवेयर बनाने वाली, सीमेन्ट बनाने वाली, हेल्थ इक्युपमेन्ट बनाने वाली, कम्युटर गेम्स बनाने वाली, आटो मोबाइल सेक्टर, गोल्ट ज्वैलरी बनाने वाली   कम्पनियों के शेयर्स इस सप्ताह तेज होंगे। परन्तु इस सप्ताह कुछ कम्पनीयों के शेयर गिर भी जायेगें जिनमे बैंकिग सेक्टर, भवन निर्माण सामग्री, फनीर्चर, दवा, मशीनरी बनाने वाली कम्पनीया शामिल है।
जुलाई
    माह के पहले सप्ताह मे शुक्र के सिंह राशि मे प्रवेश होने से अधिकांश शेयरों में मंदी आने के उपरान्त तेजी आएगी। परन्तु बाजार के मूड को देखते हुए संस्थागत बिकवाली से अनिश्चितता का माहौल रहेगा। ए.सी.सी, अम्बुजा सीमेंट, श्री सीमेन्ट इन तीनो के शेयर आई.पी.सी.एल,कैडबरी, कोलगेट, कोल इण्डिया, टाटा पावर, अरविन्द मिल्स, नेस्लें, एस.बी.आई., एच.डी.एफ.सी. इनफोसिसनेट, ओरिएन्टल, हिन्डालको, हिन्दुजा, टिस्को, हिन्दुस्तान पेंटाफोर, इण्डेन आदि कम्पनियों के शेयर्स घट-बढ़ कर चलेंग अंत तेजी मे होगें। दूसरे सप्ताह मे गुरू के माग्री होने से अडानी पावर, अपोलो, अशोका लीलैण्ड, बाटा, बर्जर पेन्ट, भारत फोर्ज, भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स, कैस्ट्राल, बॉस, बायकॉन आदि के शेयर बढ़ेगें। तीसरे सप्ताह मे सूर्यदेव की कर्क संक्रान्ति बुद्दवासरीय पड़ेगी अतः सी.इ.एस.सी., आई.सी.आई बैंक, डालमिया भारत लिमिटेड, डीश टीवी, एक्साईड, जी.एम.आर., गोडरेज, ग्लेनमार्क, फार्मा, ईमामी लिमिटेड, आईसर मोटर्स, हेक्सावेयर, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट, ईण्डियन बैंक, जे.एस.डब्लयू एनर्जी, जिन्दल स्टील आदि शेयर्स धीरे-धीरे बढ़ेगें। मासान्त मे बुध के वक्री होने से एल.एण्ड टी. जुबील्यन्ट फूड, जुबील्यन्ट लाईफ, एल.आई.हाउसिंग फाईनेन्स, मन्नापुरम फाईनेन्स, एम.आर.एफ., नैटको फार्मा, एन.एम.डी.सी., आयल एण्ड नेचुरल गैस, ओबेराय रियेलटी, एन.टी.पी.सी., आयुर्वेदिक दवायें बनाने वाली कम्पनी, सौन्दर्य प्रसाधन से जुड़ी कम्पनी, ईस्पात ईण्डस्ट्री, कन्ट्रक्शन ईण्डस्ट्री, कोल ईण्डस्ट्री, हेल्थ ईण्डस्ट्री आदि से जुड़ी कम्पनीयों के शेयर्स मे इस अंतिम सप्ताह मे तेजी देखने को मिलेगी। 
            अगस्त
    मासारम्भ में शुक्र के कन्या राशि मे प्रवेश करने से शेयर बाजार में उतार चढ़ाव के बाद अन्त में मंदी लायेगा सूचकांक(सेंसेंक्स) को प्रभावित करने वाले सारे शेयर्स के भाव गिरने लगेंगें। दूसरे सप्ताह मे हर्शल के वक्री हो जाने के कारण शेयर मार्केट मे आप इन शेयर्स मे निवेश करे मारूति, महिन्द्रा, जीयो, टाटा पावर, कैसट्राल, अपोलो    नेस्लें, आई.टी.सी., हिन्दुस्तान लिवर लिमिटेड, नोकिया, सिफी, भारती एयरटेल, हिन्डाल्को, इन्टेल, बैंकिग मे बैंक आफ इण्डिया, ईण्सईन्ड, देना, बी.ओ.बी., आई.सी.आई., कर्नाटका, युनियन, आदि।   तीसरे सप्ताह मे बुध के माग्री होने से मंदी पलटना शुरू होगी अधिकांश शेयर्स के भावों मे गिरावट देखने को मिलेगी। इसका खास असर सीमेन्ट कम्पनीयों, ऐजुकेशन सेक्टर से जुड़ी कम्पनीयों, आटोमोबाईल, आन लाईन ट्रेडिग करने वाली कम्पनीयों, मशीनरी से जुड़ी कम्पनीयों आदि मे देखने को मिलेगा। मासान्त में मंगल के माग्री होने से रिलांयस ग्रुप से जुड़े लगभग शेयर्स मंदे हो जायेगें, टाटा ग्रुप से जुड़े शेयर्स स्थिर हो जायेगें यह समय काफी समझदारी से निर्णय लेने वाला है। पिछले सप्ताह से चली आ रही मंदी मेडिकल, हार्डवेयर, बच्चों की वस्तुयें बनाने वाली कम्पनी, होम अपलायंस, कृषि के उपकरण बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स, ट्रैवलिग सेक्टर से जुड़ी कम्पनीयों, लेदर ईण्डस्ट्रीज,  फाईनेन्स सेक्टर, बीमा करने वाली कम्पनीयों के शेयर्स, एच.पी., एच.सी.एल., वीप्रो, हुण्डई, नेस्लें, ब्रीटानीया काफी धीरे-धीरें पर तेज होगें। 
    सितम्बर
    मासारम्भ मे शुक्र का तुला राशि मे प्रवेश करेगा अतः बाजार धीमा रहेगा। ता.01 से लेकर 7 तक विदेशी कम्पनीयों, लेदर निर्यात से जुड़ी कम्पनीयों, खनन करने वाली कम्पनीयों एवं कम्यूटर के पार्ट बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स मे गिरावट दर्ज की जायेगी,आई.टी, मेडिकल व ऐजुकेशन से जुड़ी कम्पनीयों के शेयर तेज होंगे इनमे निवेश करें। दुसरे सप्ताह शनि के माग्री होने का प्रभाव पड़ेगा मार्केट में अच्छा उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा परन्तु अंततः तेजी ही आयेगी कैडबरी, पार्ले, नेस्ले, कोल इण्डिया, टेफ्को, टाटा पावर, निफ्टी के मूख्य शेयर्स आदि के शेयरों में खासा उछाल देखने को मिलेगा, परन्तु इस सप्ताह बैकिंग सेक्टर, फाइनेन्स सेक्टर, बीमा करने वाली कम्पनीयों के शेयर्स गिर जायेगें। ता.17 को सूर्य देव की कन्या संक्रान्ति पड़ेगी, जिससे तेजी-मंदी का मिला जुला असर रहेगा। तेजी के रहते मंदी का एक झटका भी लगेगा इस बीच जो भी निवेश पड़े है उन्हे पड़ा रहने दें बाद मे बिकवाली करके लाभ अर्जित करें, इलेक्ट्रानिक उपकरण को बनाने वाली कम्पनीयों, वित्तीय कम्पनीयों, सप्लायर्स, एच.सी.एल. टेक, खाने पीने की वस्तुओं को बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स में तेजी  आयेगी,मशीनरी, टेक्सटाइल, स्टेशनरी काफी, चाय आदि में भी तेजी ले आयेगा। मासान्त में निवेशक बैकिंग (एस.बी.आई., इण्डसईण्ड, कोटक बैंक, डी.बी.एस., आई.सी.आई.), टेलीकॉम (भारती एयरटेल, रिलायंस जीयो) एवं छोटे भाव के सभी शेयर्स मे निवेश करे ये सप्ताह लाभप्रद रहेगा। टेक्सटाइल, वीडियोकान, सैमसंग, माइक्रोसाफ्ट, रिलायंस ग्रुप से जुड़े सभी मुख्य शेयर्स, एल.आई.सी. लिमिटेड, टी.सी.एल, महिन्द्रा कोटक,टाटाग्रुप, टाटा टी, गोडरेज, ब्रिटानीया आदि शेयरों में मजबूती देखने को मिलेगी।
अक्टूबर
    मासारम्भ मे प्लूटो के माग्री होन से इंजीनियरिंग सेक्टर, आयॅल सेक्टर, टेक्सटाइल उद्योग, संचार मीडिया क्षेत्र से जुड़ी कम्पनियों, फैशन की वस्तुओं को बनाने वाली कम्पनीयों, हार्डवेयर, मशीनरी के पार्ट बनाने वाली कम्पनीयों के शेयर्स, मिडकैप, महिन्द्र एण्ड महिन्द्रा तथा लगभग सभी मोटर्स कम्पनियों के शेयरों मे वृद्धि होगी। बैंकिंग कम्पनियों के शेयरों में बिकवाली दबाव आने की आशंका है ये शेयर गिरेगें। दुसरे सप्ताह मे गुरू का वृश्चिक राशि मे प्रवेश होने से उपरोक्त सेक्टरों में एक बारगी बाजार नीचे भी आ सकता है, परन्तु बास, टी.एन.टी, पामोलिव, जुबिलीयन्ट, आटो स्टील पॉवर, मिड कैप, मेडिसिन से जुड़ी कम्पनियों, कन्ट्रक्शन सेक्टर, एयरलाईन्स, विदेशी कम्पनीयों के शेयर्स, वीप्रो, सीप्ला आदि तेज होगे पर कुछ समय के लिये। तीसरे सप्ताह मे सूर्यदेव की तुला संक्रान्ति पड़ने के कारण बाजार में हल्की गिरावट की आशंका प्रतीत होगी, शेयरों में स्पष्ट रूप से इस सप्ताह शेयर ब्रोकर बिकवाली का दबाव बनायेंगे परन्तु आपको हल्के धैर्य से निर्णय लेना है। पहले से पड़े हुए शेयर्स को रखकर चलना है। मासान्त मे शुक्र के प्रभावी हो जाने के कारण रिलायंस, बीमा कम्पनियां, इण्टरनेट से जुड़ी कम्पनियां, डाबर, ए.बी.एन. लायड,  डी.एस.ग्रुप, पामोलिव लिमिटेड, एल.आई.सी. लिमिटे, इनफोसिस, सिफी, नेस्ले, डेल, भेल आदि में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी।
नवम्बर
    मासारम्भ मे मंगल के प्रभाव से बाजार में एक हल्का सा मंदी का लहरा आयेगा परन्तु वह स्थाई नहीं होगा मार्केट में तेजी कुछ समय बाद आने लगेगी, रिलायंस पावर, रिलायंस जीयो, रिलायंस इन्फ्रा, ए.बी.बी. लिमिटेड, ए.सी.सी. लिमिटेड, अजंता फार्मा, एशीयन पेन्ट, ईमामी, एक्साईड ईण्डसट्रीज, गेल, टिस्को, एस.बी.आई, सत्यम विदेशी बड़ी कम्पनियां, चाइनीज कम्पनियां, एच.सी.एल, हिन्डाल्को, रैनबैक्सी,इनफोसिस आदि कम्पनियों के शेयर्स में अच्छा सुधार होगा निवेशक खासा फायदा इन शेयर्स में उठा सकते हैं। दुसरे सप्ताह मे सूर्य के प्रभाव से सेंसेंक्स का प्रभावित करने वाले सभी शेयर्स के भाव एकाएक गिरते चले जायेंगे। अतः जो पहले तेजी के सौदे करके आये हैं उन्हें 16 तारीख के पूर्व बेचकर मन्दी में आ जायें तभी बेहतर रहेगा। इस सप्ताह में बाजार की गति ऊँचे और नीचे दोनों भावों में अच्छी देखने को मिलेगी। तारीख 16 को सूर्यदेव की वृश्चिक संक्रान्ति पड़ेगी, अद्दिकांश शेयरों में घटा-बढ़ी पूरे माह चलती रहेगी। औद्योगिक कम्पनियों के शेयर्स में विशेष उछाल आएगा,इस समय आप तेजी का लाभ उठा सकते है। वहीं मुख्य शेयरो के बढ़ने के कारण सेंसेक्स मे भी बढ़त दिखेगी। मासान्त में नेप्च्यून के माग्री होने से ए.सी.सी., अम्बूजा सीमेन्ट, बिलि्ंडग मैटिरियल बनाने वाली कम्पनीयों के बैंकों के शेयर्स आदि में अच्छी मजबूती देखने को मिलेगी। आप इस माह मे रिलांयस ग्रुप, टाटा ग्रुप, कैडबरी, नेस्लें हिण्डाल्कों, रैनबैक्सी मिडिया संचार कम्पनीयों के बैंकों के शेयर्स खरीद सकते है,लाभ होगा।
दिसम्बर
    मासारम्भ के प्रथम सप्ताह मे बुध के माग्री होन से बाजार का रूख कुछ गरम रहेगा, विशेषकर बैकिंग शेयर्स,स्टील,चाय,काफी तम्बाकू बैंक टेक्सटाइल मिल्स व आई.टी. शेयर्स में तेजी आएगी। अधिकांश शेयर्स में तेजी बनी रहेगी, हीरो टोयोटा, रिलायंस ग्रुप, हाण्डा, बजाज, सुजुकी, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, हुण्डई, मारूति, टाटा ग्रुप से जुड़े शेयर्स आदि तगड़ी तेजी का रूख दिखायेंगे। दुसरे सप्ताह मे गुरू के प्रभाव से मंदी का हल्का असर दिखा के तेजी आयेगी कुछ मध्यम गति से चलने वाले इन शेयर्स जैसे रैनबैक्सी, सैमसंग, विप्रो, आदित्य बिड़ला ग्रुप के शेयर्स, डी.एल.एफ., एच.सी.एल., हिंडाल्को, डा.रेडीस, कोल्डडिं्रक, डा.लैब्स अच्छे तेज हांगे। तीसरे सप्ताह मे सूर्य देव की धनु संक्रान्ति पड़ेगी अतः युनियन बैंक, विजया, व आई.सी.आई.,पी.एन.बी., आई.डी.बी.आई, एच.डी.एफ.सी, वीडीयोकॉन, न.टी.पी.सी.हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड, माइक्रोसाफ्ट, विप्रो, नोकिया, आईडीया, फेसबूक, एस.सी.एल., नेरोलैक, काफी, चाय बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स मशीनरी कम्प्यूटर्स आदि बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स, इलेक्ट्रानिक कम्पनियें के  शेयर्स, नोकिया, एल.जी., आदि के शेयर्स में काफी अच्छी तेजी देखने को मिलेगी निवेशक इस स्थिति का फायदा अवश्य उठायें यह एक लाभकारी निवेश है। मासान्त मे रिलायन्स आल ग्रुप, केमिकल्स, टाटाग्रुप, बैकिंग, हिदुस्तान जिंक, कोल ईण्डिया, पार्ले, गेल तेज होगें।
   नोटः- यद्यपि इस जन्त्री  में प्रत्येक लेख लिखते समय ज्योतिषशास्त्र को आधार मानकर लिखा गया है। फिर भी निवेशकों को एवं व्यापारियों को चाहिये वे बुद्धि से कार्य करें। किसी भी हानि के लिये सम्पादक-लेखक प्रकाशक कतई जिम्मेदार न होंगे। किसी भी विवाद का निपटारा कानपुर न्यायालय के अन्तर्गत मान्य होगा।
लेखक- पं. विजय त्रिपाठी ‘विजय’

Friday, February 17, 2017

वास्तु शास्त्र पर एक शोध लेख

 धर्मशास्त्रीय निर्देशों के अनुसार ‘वास्तु पूजा प्रकुर्वीत ग्रहारम्भे प्रवेशे च’ अर्थात् भूमि का परीक्षण एवं पूजन अवश्य करना चाहिए। वर्तमान समय में जनमानस का रूझान (वास्तु-शास्त्र) की ओर बढ़ा है। यहाँ तक कि विदेशों में भी वास्तु पर शोध होकर भवनों का निर्माण होने लगा है यदि निवास अथवा ‘व्यापारिक स्थान’ बनाने के पूर्व ‘वास्तु-शास्त्र’ के निर्देशों पर ध्यान दें लें तो जीवन ऐश्वर्यमय  एवं सुख-शांति से व्यतीत होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है।
 वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन-निर्माण करने से पूर्व शिलान्यास करना चाहिए जिस दिशा में शिलान्यास किया जाता है, उसका विचार सूर्य संक्रान्ति के आधार पर दो दिशाओं के    मध्य भाग (कोण) के अन्तर्गत किया जाता है। शिलान्यास के लिये पाँच शिलाओं का स्थापन करना चाहिए। स्थापन से पूर्व यथासम्भव देवार्चन एवं शिला-पूजन करना चाहिए। भवन-निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि दीवार सीधी और एक आकृति वाली होनी चाहिए, कहीं से मोटी और कहीं से पतली दीवार होने से उसका प्रभाव गृहस्वामी के लिए कष्टप्रद होता है। भवन में कक्षों के अर्न्तगत रोशनी और हवा का ध्यान रखते हुए खिड़कियों तथा सामान आदि के लिये अलमारी अवश्य करना चाहिए।
 प्लाट के चारों ओर खाली स्थान छोड़ना चाहिए, जिसमें पूर्व और उत्तर दिशा में अधिक खाली स्थान रखकर गैराज व लान का प्रयोग शुभकारक होता है। भवन-निर्माण में उत्तर एवं पूर्व दिशा में भूखंड का खाली स्थान दक्षिण एवं पश्चिम दिशा की अपेक्षा अधिक रहना श्रेयस्कर होता है। भवन-निर्माण के समय उसकी आकृति का ध्यान रखना अति आवश्यक है। प्रायः भवनों के निम्नलिखित आकार का फल इस प्रकार है-
1. आयताकार  सभी प्रकार की प्राप्ति
2. चतुरान्न  धन-वृद्धि
3. भद्रासन  जीवन में सफलता
4. गोलाकार  ज्ञान एवं स्वास्थ्यवर्धक
5. चक्राकार  निर्धनता
6. त्रिकोणाकार  राजभय
7. शंक्वाकार  धनहानि, रोगकारक, मृत्युभय, दण्डादि
8. विषम भुजाकार मानसिक परेशानियाँ
9. दण्डाकार  पशुहानि
10. पणवाकार  नेत्रपीड़ा एवं गृह हानि
11. भुजाकार  स्त्रियों के लिए कष्ट एवं हानि
12. वृहद् मुखाकार पारिवारिक हानि, भ्रातृ-कलह
13. व्यंजनाकार (पंखा) धन-हानि एवं जीव हिंसा
14. कूर्म पृष्ठाकार शत्रुता, मृत्यु, हिंसा, अवनतिकारक
15. धनुषाकार  विविध परेशानियाँ, चोट एवं शत्रुभय
16. शूपाकार  सामान्य एवं कष्टकारक
वास्तु शास्त्र में 16 कक्षों की निर्धारित दिशाओं में निम्न प्रकार से कक्षों को स्थापित करना चाहिए। मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार-पूर्व में स्नानागार, आग्नेय में रसोई, दक्षिण में शयन कक्ष, नैऋर्त्य में विश्राम कक्ष, पश्चिम में भोजन कक्ष, वायव्य में अन्न संग्रह, उत्तर में धनागार, ईशान में पूजास्थल, पूर्व एवं आग्नेय के मध्य में आग्नेय एवं दक्षिण के मध्य घृत संग्रह, दक्षिण और नैऋर्त्य के मध्य शौचालय, नैऋर्त्य और पश्चिम के मध्य अध्ययन कक्ष, पश्चिम के मध्य दण्डाकार, उत्तर-पश्चिम के मध्य शयन कक्ष, अविवाहित संतानों के लिए उत्तर एवं ईशान के मध्य औषद्द कक्ष, पूर्व एवं ईशान के मध्य स्वागत एवं सार्वजनिक कक्षों का निर्माण का उल्लेख है।
 भवन में विभिन्न कक्षों की स्थिति वास्तु के अनुसार इस प्रकार होनी चाहिए। पूजा कक्ष, भवन का मुख्य अंग है। पूजन, भजन, कीर्तन, अध्ययन-अध्यापन कार्य सदैव ईशान कोण में होना चाहिए। पूजास्थल से मानसिक शांति, बुद्धि शुद्धि, मन पर शुद्ध संस्कार प्रभाव डालते हैं। पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व में होना चाहिए, ईश्वर की मूर्ति का मुख पूर्व, पश्चिम व दक्षिण की ओर होना चाहिए। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इन्द्र, सूर्य, कार्तिकेय का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर होना चाहिए। गणेश, कुबेर, दुर्गा, भैरव, षोडश,मातृका का मुख सदैव दक्षिण की ओर होना चाहिए। हनुमान जी का मुख नैऋत्य कोण की ओर होना चाहिए, पूजास्थल अन्य किसी कोण में बनाना उचित नहीं है। फैक्ट्री, मिल या इण्डस्ट्री के ईशान कोण में मंदिर अथवा आराद्दना-स्थल का निर्माण करना चाहिए। स्वागत कक्ष, अतिथि गृह, पीने का पानी, यह सभी ईशान कोण की ओर रखना शुभ होता है।
 रसोईघर- भवन में रसोईघर आग्नेय कोण या पूर्व या आग्नेय के मध्य या पूर्व में बनाना चाहिए। रसोईघर में चूल्हा या गैस आग्नेय कोण में रखें। ताजी हवा का पंखा उत्तर व पूर्व दिशा में लगायें।
 भोजनालय - प्राचीन काल में भोजन रसोईघर में ही किया जाता था, परन्तु वर्तमान में भोजन के लिए अलग कक्ष की स्थापना की जाती है। बहुधा स्थानाभाव में भोजन कक्ष ड्रांइगरूम के एक भाग में बना लिया जाता है। डायनिंग टेबल ड्रांइगरूम के दक्षिण-पूर्व में रखनी चाहिए अथवा भोजन कक्ष में भी दक्षिण-पूर्व में रखनी चाहिए। भोजनालय या भोजन कक्ष भवन में पश्चिम या पूर्व दिशा में बनाना चाहिए।
 भण्डारगृह अथवा स्टोर- प्राचीनकाल में पूरे वर्ष के लिये अन्नादि का संग्रह किया जाता था। इसलिए भवन में भण्डार-गृह की अलग व्यवस्था होती थी परन्तु वर्तमान में स्थानाभाव के कारण रसोईघर में खाद्यान्न रख लिया जाता है। खाद्यान्न रसोईघर में ईशान और आग्नेय कोण के मध्य पूर्वी दीवार के सहारे रखना चाहिए। यदि स्थान उपलब्ध है तो भवन के ईशान और आग्नेय कोण के मध्य पूर्वी भाग में भण्डार-गृह का निर्माण करना श्रेष्ठ होता है।
 शौचालय - वास्तु नियमों के आधार पर शौचालय हेतु नैऋर्त्य कोण व दक्षिण कोण के मध्य या नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य स्थान सार्वाधिक उपयुक्त है। शौचालय में शीट इस तरह रखी जानी चाहिए कि बैठते समय उसका मुख दक्षिण या पश्चिम की ओर हो। पानी का बहाव उत्तर-पूर्व में रखें। उत्तरी व पूर्वी दीवार के साथ शौचालय न बनावायें।
 स्नानगृह - वास्तु नियमों के अनुसार, स्नानागृह भवन के पश्चिम-दक्षिण दिशा के मध्य अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य होना चाहिए। मतान्तर में पूर्व में रखें। आधुनिक स्नानागृह में गीजर इत्यादि की भी व्यवस्था होती है। गीजर आदि का संबंद्द अग्नि से होने के कारण सदैव आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) में लगाना चाहिए। स्नानागृह व शौचालय के लिए अलग-अलग स्थान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। परन्तु स्थान सीमित होने के कारण ऐसा संभव न हो और स्नानागृह तथा शौचालय एक साथ बनाना पड़े तो भवन के दक्षिण-पश्चिम भाग में या वायव्य कोण में बनाना चाहिए। यदि कोई विकल्प न मिले तो आग्नेय कोण में शौचालय बनाकर उसके साथ पूर्व की ओर स्नानागृह समायोजित कर लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि स्नानागृह व शौचालय नैऋर्त्य कोण व ईशान कोण में कदापि न बनवायें, वैसे जहाँ तक संभव हो, ये अलग-अलग भाग में या वायव्य कोण में बनाने चाहिए।
 शयनकक्ष- भवन में शयन कक्ष दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में, पैर उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसा होने को सोने वाले को शांति व गहरी नींद आती है। घर में सुख-समृद्धि व धन-धान्य की वृद्धि होती है। यदि दक्षिण दिशा में सिरहाना रखना संभव न हो तो सिरहाना पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। अन्य दिशाओं में सिरहाना रखने से मन शान्त नहीं होता है।
 अध्ययन कक्ष- वास्तु नियमों के अनुसार वायव्य, नैऋत्य कोण और पश्चिम दिशा के मध्य अध्ययन कक्ष बनाना श्रेष्ठ होता है। ईशान कोण में पूर्व दिशा में पूजागृह के साथ भी सर्वोत्तम होता है।
 पानी की टंकी-  भवन की छत पर पानी की टंकी बनाने हेतु भव्य व उत्तर दिशा के मध्य या वायव्य व पश्चिम दिशा के मध्य का स्थान शुभ होता है। भूमिगत पानी की टंकी के लिए ईशान कोण सर्वोत्तम होता है।
 जल प्रवाह- भवन निर्माण के समय जलप्रवाह का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तु नियम के अनुसार समस्त जलप्रवाह पूर्व, वायव्य, उत्तर और ईशान कोण में रखना शुभ है। जल उत्तर-पूर्व व उत्तर-पश्चिम कोण से घर के बाहर निकलना चाहिए। वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा में जल निकास शुभ, उत्तर दिशा में द्दन-लाभ, दक्षिण दिशा में रोग व कष्ट, पश्चिम में धन हानिकारक है। जल का निकास ईशान, उत्तर और पूर्व दिशा में शुभ होता है। अर्थात् भवन का समस्त जलप्रवाह पूर्व, वायव्य, उत्तर और ईशान दिशा में रखना शुभ होता है। भवन के पूर्व दिशा में  नाली निकालने का मार्ग वृद्धिदायक, उत्तर दिशा में अर्थलाभ, दक्षिण दिशा की ओर रोग, पीड़ा एवं पश्चिम दिशा की ओर धन हानि होती है। अतः वास्तुशास्त्र नियमों के अनुसार जल का प्रवाह उत्तर-पूर्व (ईशान) पूर्व-उत्तर दिशा की ओर ही रखना चाहिए।
 आँगन- भवन का केन्द्रीय स्थल ब्रह्मस्थान कहलाता है। प्राचीन समय में ब्रह्मस्थान आंगन (चौक) होता था। वर्तमान में स्थानाभाव के कारण आंगन का प्रावधान खत्म होता जा रहा है। भवन के मध्य में आंगन या खुलास्थान इस प्रकार उत्तर या पूर्व की ओर रखें जिससे सूर्य का प्रकाश अधिकाधिक प्रविष्ट हो आंगन मध्य मेंं ऊँचा और चारों ओर नीचा हो तो शुभ एवं मध्य में नीचा और चारों और ऊँचा हानिकारक होता है।
 पशुशाला- वास्तु के आधार पर गौशाला अथवा पशुशाला के लिए भवन में उत्तर-पश्चिम दिशा और अर्थात् वायव्य कोण का स्थान शुभप्रद होता है।
 बालकनी- हवा, धूप व भवन के सौन्दर्य के लिए बालकनी का विशेष महत्व है। वास्तु के आधार पर यदि भूखण्ड पूर्वोन्मुख है तो बालकनी उत्तर-पूर्व यदि भूखण्ड पश्चिमोन्मुख है तो बालकनी का स्थान-सा चयन करते समय ध्यान रखें कि सूर्य का प्रकाश एवं प्राकृतिक हवा का प्रवेश भवन में होता रहे।
 गैराज- वास्तु के अनुसार गैराज भवन के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
 विद्युत एवं प्रकाश- भवन निर्माण के समय विद्युत एवं प्रकाश का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बिजली का मेन स्विच बोर्ड, भवन के दक्षिण भाग में लगवाना चाहिये। कक्ष में प्रवेश करते समय दाहिने हाथ की ओर बिजली का बोर्ड लगवाना चाहिये। बायीं ओर अशुभकारक होता है। भवन के प्रत्येक कक्ष का निर्माण इस तरह करवाना चाहिये कि सूर्य की किरणें निर्बाध प्रवेश करें। स्वास्थ्य एवं भवन की सुरक्षा के लिये सूर्य का प्रकाश व वायु संचारण का विशेष ध्यान रखना चाहिये। प्रदूषित वायु को बाहर निकालने के लिये एक्जास्ट आदि का सही दिशा में निर्धारण करना चाहिए।
 सोपान या सीढ़ी- वास्तु के अनुसार सीढ़ियों का द्वार पूर्व व दक्षिण दिशा में शुभ होता है। यदि सीढ़ियाँ घुमावदार बनवानी हों तो उसका घुमाव सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर होना चाहिए। सीढ़ियाँ हमेशा विषम संख्या में बनवानी चाहिए। सीढ़ियों के नीचे एवं ऊपर द्वार खुला होना चाहिए।
 तिजोरी- भवन मेंं तिजोरी नगदी आदि सदैव उत्तर दिशा में रखना चाहिए, क्यांकि कुबेर का वास उत्तर दिशा में होता है। तिजोरी में श्रीयंत्र या लक्ष्मी-कुबेर यंत्र भी रखना चाहिए, ऐसा करने पर तिजोरी कभी खाली नहीं होती है।
 तहखाना या तलघर- तहखाने का निर्माण भूखण्ड के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करवाना शुभ तथा अन्य दिशाओं में अशुभकारक होता है। सम्पूर्ण भवन में तलघन नहींं बनवाना चाहिए, यदि तलघर का आकार चूल्हे के आकार त्रिशाल वास्तु आकार का हो तो यह निर्माणकर्ता के लिये कष्टप्रद होता है।
 सेवक कक्ष- वास्तु के अनुसार सेवकों के लिये कक्ष भवन के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। इसमें सेवक भी प्रसन्नता से रहते हैं। उत्तर एवं दिशा की दीवारों का वजन अद्दिक न हो।
 खिड़कियाँ- भवन में खिड़कियों की संख्या सम होनी चाहिए। पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी दीवारों पर खिड़कियों का निर्माण शुभ होता है। प्रायः द्वार के सामने खिड़कियां होनी चाहिये, ऐसा करने से गृह में सुख-शांति रहती है। खिड़कियों का निर्माण सन्धि का भाग में ऊँचाई कम रखना चाहिए।
 खुला द्वार- भूखण्ड में उत्तर-पूर्व (ईशान) में खुला द्वार रखना चाहिए, दक्षिण व पश्चिम में खुला स्थान कम होना चाहिए। यदि दो मंजिल भवन है तो पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर भवन की ऊँचाई कम होनी चाहिए।
 मुख्य द्वार- वास्तु नियम के अनुसार मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो। दक्षिण एवं पश्चिम में द्वार नहीं होना चाहिए। यदि भूखण्ड पूर्वोन्मुख हो तो मुख्य द्वार ईशान और पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिये। यदि भूखण्ड दक्षिणोन्मुख हो तो मुख्य द्वार आग्नेय और दक्षिण दिशा के मध्य बनाना चाहिये। यदि भूखण्ड पश्चिमोन्मुख हो तो मुख्य द्वार पर नैऋर्त्य और पश्चिम दिशा के मध्य बनाना चाहिये। उत्तरोन्मुख हो तो मुख्य द्वार वायव्य और उत्तर दिशा के मध्य होना चाहिए। दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए। द्वार के सामने सीढ़ी, खम्बा नहीं होना चाहिए।
 भवन में वृक्ष- ऊँचे व घने वृक्ष दक्षिण,पश्चिम भाग में लगाने चाहिए। अन्य वृक्ष किसी भी दिशा में लाभदायक होते हैं।
 भवन की ऊँचाई- भवन की ऊँचाई के लिये भवन की चौड़ाई के 16वें भाग में चार हाथ (16 अँगुल) जोड़कर जितना योग हो, उसके समान ऊँचाई होनी चाहिए। यदि भवन को दो मंजिल या इससे अधिक का निर्माण कराना हो तो पहली ऊँचाई रखनी चाहिए। यही क्रम तीसरी मंजिल के लिये भी होना चाहिये।
 यदि इस क्रम में 4, 3-1/2, 3 हाथ जोड़ा जाय तो ऊँचाई उत्तम, मध्यम, कनिष्ठ तीन प्रकार की होगी। यदि इस क्रम में भी क्रमशः चार हाथ में 26, 21, 16 अंगुल तथा 3-1/2 और तीन हाथ में 26, 21, 15 अंगुल और जोड़ने पर उत्तम, मध्यम, कनिष्ठ ऊँचाई के तीन-तीन भेद हो जायेंगे। इस प्रकार कुल 12 भेद होंगे, इनमें 8वां और 10वां भाग समान होने से 11 भेद हो जायेंगे। भवन में ऊँचाई का निर्णय इस रीति से करना चाहिये। कई विद्वानों के मत में चारों दिशाओं में ऊँचाई समान होनी चाहिये, पूर्वोत्तर में ऊँचा गृह पुत्रनाशक होता है। आठों दिशाओं में भवन के ऊँचे अथवा नीचे होने का परिणाम से जानना चाहिये।

Thursday, February 16, 2017

विद्यारम्भ मुहूर्त

जनवरी (2017)
18 माघ.कृ.06 बुध हस्त में।
29 माघ.शु.02 रवि धनिष्ठा में, घं.13/03 के बाद।
फरवरी (2017)
01 माघ.शु.05 बुध  उ.भा. में।
02 माघ.शु.06 गुरू  रेवती में।
08 माघ.शु.12 बुध  आर्द्रा में।
16 फा.कृ.05 गुरू  चित्रा/स्वाती में,     षष्ठी में।
17 फा.कृ.06 शुक्र  स्वाती में,
   घं.09/26 के पूर्व।
22 फा.कृ.11 बुध  पू.षा. में।
मार्च (2017)
01 फा.शु.03 बुध  रेवती में।
02 फा.शु.04 गुरू  अश्विनी में,
   घं.13/04 के बाद।
08 फा.शु.11 बुध  पुनर्वसु में,
   घं.11/32 के पूर्व।
09 फा.शु.12 गुरू  पुष्य में,
   घं.08/59 के पूर्व।
अप्रैल (2017)
21 वैशाख कृ. 10 शुक्र धनिष्ठा में।
    घं.17 मि.03 के पूर्व।
23 वैशाख कृ. 12 रवि उ.भा. में।
28 वैशाख शु. 02 शुक्र रोहिणी में।
30 वैशाख शु. 05 रवि मृगशिरा/आर्द्रा में।
मई (2017)
01 वैशाख शु. 06 सोम आर्द्रा/ पुनर्वसु में।
05 वैशाख शु. 10 शुक्र पू.फा. में।
    घं.15 मि.40 के पूर्व।
07 वैशाख शु. 12 रवि उ.फा./ हस्त में।
    घं.15 मि.03 के पूर्व।
12 ज्येष्ठ कृ.  01 शुक्र अनुराधा, द्वितीया में।
17 ज्येष्ठ कृ.  06 बुध उ.षा./श्रवण में।       घं.16 मि.34 के पूर्व।
21 ज्येष्ठ कृ.  10 रवि पू.भा. में।
    घं.05 मि.25 के पूर्व।
28 ज्येष्ठ शु.  03 रवि आर्द्रा में।
    घं.10 मि.44 के पूर्व।
जून (2017)
05 ज्येष्ठ शु.  11 सोम चित्रा में।
    घं.09 मि.45 के पूर्व।
11 आषाढ़ कृ. 02 रवि मूल/पू.षा. में।
25 आषाढ शु. 02 रवि पुनर्वसु में।
29 आषाढ शु. 06 गुरू पू.फा. में।
    घं.07 मि.07 के पूर्व।
फरवरी (2018)
09 फाल्गुन कृ. 09 शुक्र अनुराधा में।
    घं.14 मि.36 से
    घं.16 मि. 57 के बीच।
11 फाल्गुन कृ. 11 रवि मूल में।
18 फाल्गुन शु. 03 रवि पू.भा./उ.भा. में।
21 फाल्गुन शु. 06 बुध अश्विनी में।
25 फाल्गुन शु. 10 रवि मृगशिरा/आर्द्रा में।
मार्च (2018)
04 चैत्र कृ.  03 रवि हस्त में।
    घं.13 मि.40 के पूर्व।

अक्षरारम्भ मुहूर्त

जनवरी (2017)
06 पौ.शु.08 शुक्र रेवती में।
09 पौ.शु.12 सोम रोहिणी में।
18 माघ कृ.06 बुध हस्त में,
   घं.12/49 के पूर्व।
19 माघ कृ.07 गुरू चित्रा में।
20 माघ कृ.08 शुक्र स्वाती में, घं.12/35 के पूर्व।
23 माघ कृ.11 सोम अनुराधा में।
30 माघ शु.03 सोम शतभिषा में, घं.11/31 के पूर्व। 
फरवरी (2017)
01 माघ.शु.05 बुध  उ.भा. में।
02 माघ.शु.06 गुरू  रेवती में।
03 माघ.शु.07 शुक्र  अश्विनी में।
06 माघ.शु.10 सोम  रोहिणी में, घं.14/53 के पूर्व।
08 माघ.शु.12 बुध  आर्द्रा/पुनर्वसु में, घं.12/14  बाद।
09 माघ.शु.13 गुरू  पुनर्वसु में,
   घं.09/22 के पूर्व।
13 फा.कृ.03 सोम  उ.फा. में,
 घं.08/59 से घं.16/45 के बीच।
16 फा.कृ.05 गुरू  चित्रा में,
   घं.07/24 के बाद।
17 फा.कृ.06 शुक्र  स्वाती में,
   घं.09/26 के पूर्व।
24 फा.कृ.13 शुक्र  उ.षा./श्रवण   में।
27 फा.शु.01 सोम  शतभिषा में,
   घं.05/50 के पूर्व।    
मार्च (2017)
01 फा.शु.03 बुध  रेवती में।
02 फा.शु.04 गुरू  अश्विनी में,
  घं.13 मि.04 के बाद।
08 फा.शु.11 बुध  पुनर्वसु में,
   घं.11/32 के पूर्व।
09 फा.शु.12 गुरू  पुष्य में,
   घं.08 मि.59 के पूर्व।
13 चै.कृ.01 सोम  उ.फा. में।
15 चै.कृ.03 बुध  चित्रा में,
   घं.10 मि.30 के पूर्व।
23 चै.कृ.10 गुरू  उ.षा. में,
   घं.13 मि.28 के बाद।
24 चै.कृ.11 शुक्र  श्रवण में।
29 चै.शु.02 बुध  रेवती में।
 
मार्च (2017)
29 चैत्र शु.  02 बुध रेवती में।    मई (2017)
01 वैशाख शु. 06 सोम पुनर्वसु में।
12 ज्येष्ठ कृ.  01 शुक्र अनुराधा, द्वि. में।
17 ज्येष्ठ कृ.  06 बुध श्रवण में।
    घं.16 मि.34 के पूर्व।
22 ज्येष्ठ कृ.  11 सोम रेवती में।
29 ज्येष्ठ शु.  04 सोम पुनर्वसु/पुष्य में।
    घं.11 मि.09 के बाद।
जून (2017)
05 ज्येष्ठ शु.  11 सोम चित्रा में।
    घं.09 मि.45 के बाद।
19 आषाढ़ कृ. 10 सोम रेवती में।
    घं.14 मि.22 के पूर्व।
26 आषाढ़ शु. 03 सोम पुष्य में।
जुलाई (2017)
03 आषाढ़ शु. 10 सोम स्वाती में।
फरवरी (2018)
09 फाल्गुन कृ. 09 शुक्र अनुराधा में,       घं.14 मि.36 से
    घं.16 मि. 57 के बीच।
21 फाल्गुन शु. 06 बुध अश्विनी में।

चूड़ाकरण (चौल मुण्डन) मुहूर्त

जनवरी (2017)
19 माघ.कृ.07 गुरू चित्रा में।
30 माघ.शु.03 सोम शतभिषा में।
फरवरी    (2017)
03    माघ.शु.07    शुक्र    अश्विनी    में।
08    माघ.शु.12    बुध    पुनर्वसु    में,    घं.12/14    के    बाद।
09    माघ.शु.13    गुरू    पुनर्वसु    में।
24    फा.कृ.13    शुक्र    श्रवण    में।    
मार्च    (2017)
02    फा.शु.04    गुरू    अश्विनी    में,घं.13/04    के    बाद।
08    फा.शु.11    बुध    पुनर्वसु    में,
    घं.11/32    के    पूर्व।

अप्रैल    (2017)
21    वैशाख    कृ.    10    शुक्र    धनिष्ठा    में,    घं.17    मि.03    के    पूर्व।
22    वैशाख    कृ.    11    शनि    शतभिषा    में,    (वैश्यों    के    लिए)
30    वैशाख    शु.    05    रवि    मृगशिरा    में,    (ब्राह्मणों    के    लिए)
मई    (2017)
02    वैशाख    शु.    07    मंगल    पुष्य    में,    (क्षत्रियों    के    लिए)
08    वैशाख    शु.    13    सोम    हस्त/    चित्रा    में।
13    ज्येष्ठ    कृ.    02    शनि    ज्येष्ठा    में,    (वैश्यों    के    लिए)
16    ज्येष्ठ    कृ.         05    मंगल    उ.षा.    मे,    (क्षत्रियों    के    लिए)
18    ज्येष्ठ    कृ    .07    गुरू    श्रवण/धनिष्ठा    में।
23    ज्येष्ठ    कृ.    12    मंगल    अश्विनी    में,    (क्षत्रियों    के    लिए)
27    ज्येष्ठ    शु.    02    शनि    मृगशिरा    में।
    (वैश्यों    के    लिए)
29    ज्येष्ठ    शु.    04    सोम    पुनर्वसु/पुष्य    में।
    घं.11    मि.09    के    बाद।
30    ज्येष्ठ    शु.    05    मंगल    पुष्य    में।
    (क्षत्रियों    के    लिए)
जून    (2017)
03    ज्येष्ठ    शु.    09    शनि    हस्त    में।
    घं.06    मि.54    के    बाद,    (वैश्यों    के    लिए)    
06    ज्येष्ठ    शु.    12    मंगल    स्वाती    में।    
    घं.11    मि.45    के    बाद,    (क्षत्रियों    के    लिए)
20    आषाढ़    कृ.    11    मंगल    अश्विनी    में।    
    (क्षत्रियों    के    लिए)
25    आषाढ़    शु.    02    रवि    पुनर्वसु    में।
    (ब्राह्मणों    के    लिए)
26    आषाढ़    शु.    03    सोम    पुष्य    में।
जुलाई    (2017)    
03    आषाढ़    शु.    10    सोम    स्वाती    में।    
फरवरी    (2018)
10    फाल्गुन    कृ.    10    शनि    ज्येष्ठा    में।
    घं.14    मि.46    के    बाद,    (वैश्यों    के    लिए)
17    फाल्गुन    शु.    02    शनि    शतभिषा    में।
    (वैश्यों    के    लिए)
20    फाल्गुन    शु.    05    मंगल    रेवती,    अष्विनी    में
    (क्षत्रियों    के    लिए)

25    फाल्गुन    शु.    10    रवि    मृगशिरा    में।
    (ब्राह्मणों    के    लिए)
मार्च    (2018)
04    चैत्र    कृ.    03    रवि    हस्त    में।
    घं.13    मि.40    के    पूर्व,    (ब्राह्मणों    के    लिए)
06    चैत्र    कृ.    05    मंगल    स्वाती    में।
    (क्षत्रियों    के    लिए)
13    चैत्र    कृ.    11    मंगल    श्रवण    में।
    (क्षत्रियों    के    लिए)