. मेरे आत्मीय मित्रों ! यथोचित अभिवादन ...
..... परम पावन तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है . यह शुभ तिथि दो कारणों से अत्यंत शुभ और पावन मानी जाती है .
.....१- इसी तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया को त्रेता युग का प्रारम्भ हुआ था इस कारण इस तिथि को त्रेतायुगादि भी कहा जाता है , मान्यता है कि, इस दिन किसी भी शुभ कार्य या व्यापार का शुभारम्भ करने से वह निर्बाध चलता है .
..... २- इसी शुभ तिथि को सायंकाल ( प्रदोष वेला ) में भगवान श्री परशुराम जी का अवतार हुआ था .
..... इस दो कारणों से इस तिथि को परम शुभ माना जाता है .
..... इस वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया ०१-०५-२०१४ गुरुवार को दोपहर ११ बजकर २५ मिनट से प्राम्भ होगी और ०२-०५ -२०१४ शुक्रवार को दोपहर १२ बजकर ०५ मिनट तक रहेगी .
..... उल्लेखनीय है कि स्मृति मतानुसार श्री परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को सायं काल (प्रदोष वेला ) हुआ था , अत: जब तृतीया तिथि सायं कालीन विद्यमान होगी तब परशुराम जयन्ती मनाई जायेगी ...इस वर्ष सायं कालीन तृतीया १ मई को है ..अत: जयन्ती १ मई को सायंकालीन ( प्रदोष वेला में ) मनाई जायेगी ....
..... अक्षय तृतीया अर्थात त्रेतायुगादि पर्व उदयाकालीन तिथि के अनुसार ०२-०५-२०१४ शुक्रवार को मनाया जाएगा ...
..... इस पावन तिथि को कई व्यापारी बंधु खाता -बसना पूजन भी करते हैं. उनको यह पूजन ०२-०५-२०१४ शुक्रवार को करना चाहिए . व्यापार के लिए रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र शुभ होते हैं . इस दिन सूर्योदय से ११ बजकर १९ मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा तत्पश्चात मृगशिरा नक्षत्र शुरू होगा ..
..... इस दिन स्थिर लग्न 'वृष' सुबह ०६ बजकर ०८ मिनट से सुबह ०८ बजकर ०४ मिनट तक रहेगी .
..... चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार चर-लाभ-अमृत की संयुक्त वेला ०५/२२ से १०/१६ तक सुबह रहेगी . शुभ चौघड़िया की वेला ११/५४ से ०१/३२ दोपहर तक रहेगी .
..... ' गोधूलि सा मुनिभिरुक्ता सर्वकार्येषु प्रशस्ता ' इस धर्म शास्त्रीय वचनानुसार ०२ मई को गोधूलि वेला में तृतीया तिथि का अभाव है . अत: जो लोग गोधूलि वेला में खाता-बसना पूजन करना चाहे वे एक दिन पूर्व ०१ मई को सायंकाल ०६ / २७ से ०८ /३८ के बीच कर सकते हैं .
..... परम पावन तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है . यह शुभ तिथि दो कारणों से अत्यंत शुभ और पावन मानी जाती है .
.....१- इसी तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया को त्रेता युग का प्रारम्भ हुआ था इस कारण इस तिथि को त्रेतायुगादि भी कहा जाता है , मान्यता है कि, इस दिन किसी भी शुभ कार्य या व्यापार का शुभारम्भ करने से वह निर्बाध चलता है .
..... २- इसी शुभ तिथि को सायंकाल ( प्रदोष वेला ) में भगवान श्री परशुराम जी का अवतार हुआ था .
..... इस दो कारणों से इस तिथि को परम शुभ माना जाता है .
..... इस वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया ०१-०५-२०१४ गुरुवार को दोपहर ११ बजकर २५ मिनट से प्राम्भ होगी और ०२-०५ -२०१४ शुक्रवार को दोपहर १२ बजकर ०५ मिनट तक रहेगी .
..... उल्लेखनीय है कि स्मृति मतानुसार श्री परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को सायं काल (प्रदोष वेला ) हुआ था , अत: जब तृतीया तिथि सायं कालीन विद्यमान होगी तब परशुराम जयन्ती मनाई जायेगी ...इस वर्ष सायं कालीन तृतीया १ मई को है ..अत: जयन्ती १ मई को सायंकालीन ( प्रदोष वेला में ) मनाई जायेगी ....
..... अक्षय तृतीया अर्थात त्रेतायुगादि पर्व उदयाकालीन तिथि के अनुसार ०२-०५-२०१४ शुक्रवार को मनाया जाएगा ...
..... इस पावन तिथि को कई व्यापारी बंधु खाता -बसना पूजन भी करते हैं. उनको यह पूजन ०२-०५-२०१४ शुक्रवार को करना चाहिए . व्यापार के लिए रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र शुभ होते हैं . इस दिन सूर्योदय से ११ बजकर १९ मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा तत्पश्चात मृगशिरा नक्षत्र शुरू होगा ..
..... इस दिन स्थिर लग्न 'वृष' सुबह ०६ बजकर ०८ मिनट से सुबह ०८ बजकर ०४ मिनट तक रहेगी .
..... चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार चर-लाभ-अमृत की संयुक्त वेला ०५/२२ से १०/१६ तक सुबह रहेगी . शुभ चौघड़िया की वेला ११/५४ से ०१/३२ दोपहर तक रहेगी .
..... ' गोधूलि सा मुनिभिरुक्ता सर्वकार्येषु प्रशस्ता ' इस धर्म शास्त्रीय वचनानुसार ०२ मई को गोधूलि वेला में तृतीया तिथि का अभाव है . अत: जो लोग गोधूलि वेला में खाता-बसना पूजन करना चाहे वे एक दिन पूर्व ०१ मई को सायंकाल ०६ / २७ से ०८ /३८ के बीच कर सकते हैं .