Saturday, September 7, 2013

यह कितनी विडम्बना है ...

..... मेरे आत्मीय मित्रों ! जय महाशक्ति ...
..... आज आपसे एक बहुत गंभीर चर्चा करने जा रहा हूँ , पिछले कुछ वर्षों से धर्म और ज्योतिष के क्षेत्र में कुछ ऐसा बदलाव आया है जिसके कारण इन विषयों से आम जनमानस का विश्वास कम होने लगा है ...
..... अक्सर फेसबुक पर भी यन्त्र , मंत्र , तंत्र , ज्योतिष , पराविज्ञान , काला जादू , लालकिताब , रावण संहिता , भृगुसंहिता आदि अत्यंत गूढ़ विषयों पर भी आधी अधूरी जानकारी देखने को मिलती है....
..... भूत , प्रेत , पिशाच , जिन्न , चुड़ैल , बैताल , ब्रह्म राक्षस , योगिनी , डाकिनी , शाकिनी आदि के विषय में भी भ्रान्तिपरक बातें आम जन जीवन में सुनने देखने को मिलती है . इन्हीं बातो को हौव्वा बना कर आम जनमानस को डरा कर उसका शोषण करने का सर्वत्र प्रयास होता रहता है ....जबकि इसकी हकीकत कुछ और है ....
..... यद्यपि इस तरह का कार्य करने वाले इन विषयों के कदापि जानकार नहीं होते , किन्तु फिर भी अपने वाणी और क्रियाकलापों से ऐसे लोग आम जनमानस का शोषण करने में कामयाब हो ही जाते है ....
..... कुछ बड़े बाबा टाइप जीवधारी भी काला जादू , या तंत्र मन्त्र की आड़ में अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब होते है ...
..... एक दिन ' श्री पुष्कर व्यास जी' ने एक प्रश्न फेसबुक पर किया था कि , ' बृहस्पति ' का एक नाम ' जीव' भी है , यह नाम कैसे और कब पडा , इस प्रश्न के उत्तर कई ज्योतिषी बंधुओं ने स्वविवेक से दिए , किन्तु उनमें से एक भी उत्तर सही नहीं था ....? यह कितनी विडम्बना है ...
..... अब ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि इस आभासीय और वास्तविक जगत में यह कैसे जाना जाय कि जो ज्योतिषीगण इसका व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं , उन्हें ज्योतिष जैसे गूढ़ विषय का वास्तविक ज्ञान है भी या नहीं ...
..... जिन मन्त्रों के विषय में लिख रहे है उन मन्त्रों का वैज्ञानिक रूप क्या है , और वह कौन सी विधियां है जिनसे मन्त्र प्रभावशाली हो कर अपना असर दिखाते हैं...क्या हर मन्त्र हर व्यक्ति को लाभ करेगा ? क्या इसका कोई रास्ता निकाला जा सकता है ...? क्या किसी पुस्तक से पढ़कर इन मन्त्रों का प्रयोग किया जाना उचित है ? बहुत से प्रश्न है ...यह एक महत्वपूर्ण विषय है ....
..... ..... सोशल मीडिया अब काफी ताकतवर हो चुका है , मैं सोच रहा हूँ कि इसी के जरिये मैं आम जनमानस और अपने मित्रों को इन विषयों की वास्तविकता बताऊँ , ताकि वे किसी के द्वारा गुमराह न किये जा सके , और अपने उत्थान के लिए स्वत: वे ऐसे आसान उपाय और उनकी विधियां जान सके , जिससे वास्तव में उनके जीवन में सही मार्गदर्शन हो सके ...और वह अपना आत्मिक , मानसिक , आर्थिक उत्थान स्वयं कर सकें ...
..... मेरे आत्मीय मित्रों क्या उचित रहेगा ? क्या मुझे ऐसा करना चाहिए...? आपकी क्या सलाह है ....?

2 comments:

  1. अति सुन्दर श्री गुरु वर आपको कोटि कोटि प्रणाम !! मेरा नाम आपने अमर कर दिया :) कोटिशः धन्यवाद गुरु जी आपको !! जय माँ राजराजेश्वरी !! हर हर महादेव् !! श्री गुरु वेद दत्त !!

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  2. बहुत बहुत बहुत ही शानदार !! श्री गुरु वर आपको कोटि कोटि प्रणाम !! आपने मेरा नाम तो अमर कर दिया .....:)

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