..... गुलाब की मौन भाषा .....
..... मेरे आत्मीय मित्रों ! यथोचित अभिवादन ....
..... ' गुलाब ' को देख कर सबका मन प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो जाता है , क्या आप जानते हैं ऐसा क्यूँ होता है. वैज्ञानिक शोध के अनुसार गुलाब में यह विशेष खुशबू एक तत्व ' फिनाइल थाइलेमाइन ' के कारण होती है . जो की हमारे शरीर को सुखद अहसास करने वाले हार्मोन ' बीटा एंडोर्फिन ' को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है ...इसीलिये कहा जाता है कि , जब मन उदास हो गुलाब सूंघे . गुलाब ' रोजियेसी ' प्रजाति का सदस्य है . वनस्पति विज्ञान में इसे ' रोजा डेमासेना ' के नाम से जाना जाता है .....
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..... ' गुलाब ' की अपनी एक मौन भाषा भी है , जो इसके रंग , रूप से व्यक्त होती है ...
..... १- लाल अधखिला गुलाब कहता है ...मैं तुमसे प्यार करता हूँ...
..... २- सफ़ेद गुलाब कहता है ... हमारा प्यार पवित्र है ...
..... ३- लाल पूरा खिला गुलाब कहता है ... आप बहुत खूबसूरत हैं...
..... ४- लाल और सफ़ेद गुलाब एकसाथ कहता है ...हम एक है ...एकता का प्रतीक ...
..... ५- एक पूरे खिले गुलाब के साथ दो कलियाँ कहती हैं...हम सुरक्षा देंगे ...
..... ६- सफ़ेद गुलाब की बंद कली कहती है ...अभी आप बहुत छोटे हैं प्यार करने के लिए ...
..... ७- पीला गुलाब संशय व्यक्त करता है .... मैं तुम्हें प्यार करता हूँ , पर तुम्हारे दिल में मेरे लिया क्या है , मैं नहीं समझ पा रहा ....
..... ८- अगर गुलाब की टहनी में काँटों के अलावा एक भी पत्ती न हो तो आशय है ...यहाँ कुछ भी नहीं है , न डर न आशा , तुम्हारी ख़ूबसूरती और मधुरता में मेरी चेतना खो गयी है .....
..... ९- नारंगी गुलाब कहता है ... मेरा प्यार तुम्हारे लिए अनंत है ...
..... १०- कांटे से भरी लम्बी टहनी पर इठलाती बंद कली ऐलान करती है ...यहाँ डर किसका है ...
..... ११- चार पत्तियों से जुडा गुलाब कहता है ...बेस्ट आफ लक ...
..... मेरे आत्मीय मित्रों ! यथोचित अभिवादन ....
..... ' गुलाब ' को देख कर सबका मन प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो जाता है , क्या आप जानते हैं ऐसा क्यूँ होता है. वैज्ञानिक शोध के अनुसार गुलाब में यह विशेष खुशबू एक तत्व ' फिनाइल थाइलेमाइन ' के कारण होती है . जो की हमारे शरीर को सुखद अहसास करने वाले हार्मोन ' बीटा एंडोर्फिन ' को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है ...इसीलिये कहा जाता है कि , जब मन उदास हो गुलाब सूंघे . गुलाब ' रोजियेसी ' प्रजाति का सदस्य है . वनस्पति विज्ञान में इसे ' रोजा डेमासेना ' के नाम से जाना जाता है .....
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..... ' गुलाब ' की अपनी एक मौन भाषा भी है , जो इसके रंग , रूप से व्यक्त होती है ...
..... १- लाल अधखिला गुलाब कहता है ...मैं तुमसे प्यार करता हूँ...
..... २- सफ़ेद गुलाब कहता है ... हमारा प्यार पवित्र है ...
..... ३- लाल पूरा खिला गुलाब कहता है ... आप बहुत खूबसूरत हैं...
..... ४- लाल और सफ़ेद गुलाब एकसाथ कहता है ...हम एक है ...एकता का प्रतीक ...
..... ५- एक पूरे खिले गुलाब के साथ दो कलियाँ कहती हैं...हम सुरक्षा देंगे ...
..... ६- सफ़ेद गुलाब की बंद कली कहती है ...अभी आप बहुत छोटे हैं प्यार करने के लिए ...
..... ७- पीला गुलाब संशय व्यक्त करता है .... मैं तुम्हें प्यार करता हूँ , पर तुम्हारे दिल में मेरे लिया क्या है , मैं नहीं समझ पा रहा ....
..... ८- अगर गुलाब की टहनी में काँटों के अलावा एक भी पत्ती न हो तो आशय है ...यहाँ कुछ भी नहीं है , न डर न आशा , तुम्हारी ख़ूबसूरती और मधुरता में मेरी चेतना खो गयी है .....
..... ९- नारंगी गुलाब कहता है ... मेरा प्यार तुम्हारे लिए अनंत है ...
..... १०- कांटे से भरी लम्बी टहनी पर इठलाती बंद कली ऐलान करती है ...यहाँ डर किसका है ...
..... ११- चार पत्तियों से जुडा गुलाब कहता है ...बेस्ट आफ लक ...
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