यह ब्लॉग ज्योतिष शास्त्र , आगम शास्त्र एवं अन्य उन सभी विषयों पर आपको जानकारी देगा , जिनका मानव जीवन में आवश्यक उपयोग हो सकता है . आपका अपना 'विजय त्रिपाठी 'विजय'
जय हो
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.............................|| शांति पाठ ||...........................
..... ॐ सह नाववतु | सह नौ भुनक्त्तु | सह वीर्यम करवावहै | तेजस्वि
नावधीतमस्तु | मा विद्विषावहै | ..... ॐ शान्ति: ! ॐ शान्ति: !! ॐ
शान्ति: !!! .....व्याख्या - हे परमात्मन् ! आप हम गुरु शिष्य दोनों
की साथ साथ सब प्रकार से रक्षा करें , हम दोनों का आप साथ साथ समुचित रूप
से पालन पोषण करें , हम दोनों साथ ही साथ सब प्रकार से बल प्राप्त करें ,
हम दोनों की अध्ययन की हुई विद्या तेजपूर्ण हो - कहीं किसी से हम विद्या
में परास्त न हों और हम दोनों जीवन भर परस्पर स्नेह-सूत्र से बंधे रहें ,
हमारे अंदर परस्पर या अन्य किसी से कभी द्वेष न हो | हे परमात्मन् !
तीनों तापों की निवृत्ति हो | ..................ॐ शान्ति: ! ॐ शान्ति: !! ॐ शान्ति: !!! ..................
..... नोट - यह शान्ति पाठ है , इसका पाठ नित्य प्रात: एवं सायं करने से
आत्मबल, तेज बल , और मानसिक बल की वृद्धि होती है | दोनों वेला में भोजन के
पूर्व भी इसका पाठ करने से शुभता में वृद्धि होती है |
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