Monday, July 8, 2013

|| शांति पाठ ||

 
 .............................|| शांति पाठ ||...........................
..... ॐ सह नाववतु | सह नौ भुनक्त्तु | सह वीर्यम करवावहै | तेजस्वि नावधीतमस्तु | मा विद्विषावहै | ..... ॐ शान्ति: ! ॐ शान्ति: !! ॐ शान्ति: !!!
.....व्याख्या - हे परमात्मन् ! आप हम गुरु शिष्य दोनों की साथ साथ सब प्रकार से रक्षा करें , हम दोनों का आप साथ साथ समुचित रूप से पालन पोषण करें , हम दोनों साथ ही साथ सब प्रकार से बल प्राप्त करें , हम दोनों की अध्ययन की हुई विद्या तेजपूर्ण हो - कहीं किसी से हम विद्या में परास्त न हों और हम दोनों जीवन भर परस्पर स्नेह-सूत्र से बंधे रहें , हमारे अंदर परस्पर या अन्य किसी से कभी द्वेष न हो | हे परमात्मन् ! तीनों तापों की निवृत्ति हो |
..................ॐ शान्ति: ! ॐ शान्ति: !! ॐ शान्ति: !!! ..................
..... नोट - यह शान्ति पाठ है , इसका पाठ नित्य प्रात: एवं सायं करने से आत्मबल, तेज बल , और मानसिक बल की वृद्धि होती है | दोनों वेला में भोजन के पूर्व भी इसका पाठ करने से शुभता में वृद्धि होती है |

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