शनि का गोचर फल
श्री शुभ सम्वत् 2073, कार्तिक शुक्ल पक्ष उदया तिथि दशमी, तदुपरान्त एकादशी तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार 2 नवम्बर 2014 दिन रविवार को घं.20 मि.52 पर शनि देव का प्रवेश वृश्चिक राशि में हो चुका है। उस समय तात्कालिक चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र एवं कुम्भ राशि पर स्थित था।
वर्ष 2017 की शुरूआत में शनि देव अपनी मार्गी गति से वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुए प्रवेश करेंगे। श्री शुभ सम्वत् 2073 माघ मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 26 जनवरी 2017 को घं.19 मि.29 पर शनि देव मार्गी गति से धनु राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि पर स्थित रहेगा। श्री शुभ सम्वत् 2074 चैत्र मास शुक्ल पक्ष उदया तिथि दशमी तात्कालिक तिथि एकादशी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार 06 अप्रैल 2017 को शनि देव घं.21 मि.46 पर वक्री होंगे, तत्पश्चात् श्री शुभ सम्वत् 2074 आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष उदया तिथि द्वादशी, तात्कालिक तिथि त्रयोदशी मंगलवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 20 जून 2017 को घं.28 मि.46 पर शनि देव वक्री गति से वृश्चिक राशि में पुनः प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा भरणी नक्षत्र एवं मेष राशि पर स्थित रहेगा, तत्पश्चात् श्री शुभ सम्वत् 2074 कार्तिक मास शुक्ल पक्ष उदया तिथि षष्ठी, तात्कालिक तिथि सप्तमी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 26 अक्टूबर 2017 को घं.19 मि.39 पर शनि देव मार्गी गति से पुनः धनु राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि पर स्थित रहेगा, सम्वत्सरान्त तक शनिदेव धनु राशि पर ही स्थित रहेंगे।
विशेष तथ्य यह है कि वक्री शनि की अवधि में विपरीत फल समझें अर्थात् शुभ स्थान पर अशुभ व अशुभ की जगह शुभ फल मानें। शनि का पादबोधक एवं गोचर फल इसप्रकार है।
सन् 2017 में वृश्चिक के शनि का पाद बोधक फल
(वर्ष के प्रारम्भ से अन्त तक)
संक्षिप्त में मेष-कन्या-कुम्भ राशि वालों के लिए स्वर्णपाद से शनि का आगमन कुछ कष्टप्रद रहेगा, यश-प्रतिष्ठा में कमी प्रियजन या पारिवारिक जन का विछोह।
वृष-सिंह-धनु राशि वालों को ताम्रपाद से शनि का आगमन आर्थिक व्यावसायिक क्षेत्र में प्रगति, पूर्व निर्द्दारित कार्यों में सफलता, भौतिक सुख साधनों में वृद्धिकारक है।
मिथुन-तुला-मकर राशि वालों के लिये रजतपाद से शनि का आगमन किसी नये कार्य का शुभारम्भ आजीविका के साधनों में वृद्धि पारिवारिक सुख शांति, जन-सम्पर्क बढ़ेगा।
कर्क-वृश्चिक-मीन राशि वालों को लौहपाद से शनि का आगमन संघर्षपूर्ण होगा। आजीविका के लिए श्रम-संघर्ष, पारिवारिक तनाव, परिश्रम से ही स्थितियाँ अनुकूल हो सकती हैं।
वृश्चिक राशिस्थ शनि का गोचर फल
( 01 जनवरी 2017 से 26 जनवरी 2017 तक एवं 20 जून 2017 से 26 अक्टूबर 2017 तक )
मेष राशि वालों को- अष्टम शनि अशुभ है। कष्ट वाद-विवाद व कलह की स्थिति बनी रहेगी। राजकीय पक्ष से विरोध का सामना करना पड़ेगा। स्त्री को कष्ट, स्वास्थ्य में कमी गड़बड़ी एवं अत्यन्त अशुभ दशा वालों को पत्नी का वियोग भी सहना पड़ेगा। स्त्रियों को उदर विकार से भी कष्ट होगा।
वृष राशि वालों को- सप्तम शनि पूज्य है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा, रूके हुये धन की प्राप्ति और आय में वृद्धि होगी, लेकिन दुख और कलह से चित्त अशान्त रहेगा।
मिथुन राशि वालों को- छठा शनि शुभ है। यश कीर्ति तथा कार्य में लाभ एवं सफलता मिलेगी। रोगों से छुटकारा मिलेगा, एवं स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अनेक तरह के उत्तम भोगों की प्राप्ति होगी। शत्रु पक्ष निर्बल होकर परास्त होगा।
कर्क राशि वालों के लिए - पाँचवा शनि पूज्य है। परिश्रम एवं संघर्ष से ही कार्य में सफलता संभव है। कुसंगति से बुद्धि विवेक नष्ट होगा। धर्म पत्नी से सम्बन्ध तनाव की स्थिति तक जा सकते हैं आर्थिक पक्ष कमजोर होकर अशुभ दशा वालों के लिए चिंतनीय भी हो सकता है।
सिंह राशि वालों को - चतुर्थ शनि अशुभ है। दुख एवं कलह विवाद की स्थिति बनायेगा। सामाजिक एवं राजकीय पक्ष से असहयोग एवं विरोद्द प्राप्त होगा। आर्थिक अभाव प्रबल रूप ले सकता है। नौकरी पेशा वालों को स्थान परिवर्तन संभव है।
कन्या राशि वालों को- तीसरा शनि श्रेष्ठ है, लेकिन श्रम संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। कभी-कभी चिंता व्यय की अधिकता और असफलता से कष्ट मिलेगा। ससुराल पक्ष से तनाव, पत्नी से वाद-विवाद कलह व पिता से असंतोष मिलेगा।
तुला राशि वालों को - इस राशि वालांं को द्वितीय शनि पूज्य है। यह साढ़ेसाती की अन्तिम ढैय्या है, इसमें स्थान परिवर्तन की बहुत अधिक संभावना है।
वृश्चिक राशि वालों को -जन्मस्थ शनि पूज्य है, साढ़ेसाती की बीच की ढय्या है। शनि का रजत पाद कष्टप्रद है। अतः सुख-दुख समान रूप से चलते रहेंगे। मानसिक शक्ति कमजोर होगी। जीवन साथी व अपने घनिष्ठ कुटुम्बियों से विवाद होगा।
धनु राशि वालों को- द्वादश शनि अशुभ है। विघ्न तथा कष्ट बने रहेंगे। अशुभ दशा वालों को संतान के प्रति विशेष चिंता रहेगी। संतान पक्ष को व्याधियों से कष्ट होगा।
मकर राशि वालों को - एकादश शनि शुभ है। लम्बी बीमारी से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा। नये पद एवं अधिकार में वृद्धि होगी। पत्नी पक्ष से सहयोग मिलेगा व धन की प्राप्ति भी होगी। स्त्री एवं संतान का सुख प्राप्त होगा।
कुम्भ राशि वालों का - दशम शनि शुभ है। श्रम व संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी पर समय -समय पर धन की प्राप्ति होती रहेगी। आर्थिक सफलता होते हुए भी सम्पत्ति क्षय का भी भय बना रहेगा। व्यक्तित्व आत्मनिर्भर होगा।
मीन राशि वालों को - नवम शनि पूज्य है। अपने से छोटे लोगों के अवज्ञा करने से चित्त अशान्त होगा। मान सम्मान में कमी होगी। तीर्थाटन निष्प्रयोजन होने से असंतोष एवं धर्म के प्रति अनास्था होगी।
सन् 2017 में धनु के शनि का पाद बोधक फल (27 जनवरी 2017 से 19 जून 2017 तक एवं 27 अक्टूबर 2017 से सम्वत्सरान्त तक)
संक्षिप्त में मेष-सिंह-वृश्चिक राशि वालों के लिये रजतपाद से शनि का आगमन किसी नये कार्य का शुभारम्भ आजीविका के साधनों में वृद्धि पारिवारिक सुख शांति, जन-सम्पर्क बढ़ेगा।
वृष-कन्या-मकर राशि वालों को लौहपाद से शनि का आगमन संघर्षपूर्ण होगा। आजीविका के लिए श्रम-संघर्ष, पारिवारिक तनाव, परिश्रम से ही स्थितियाँ अनुकूल हो सकती हैं।
मिथुन-तुला-मीन राशि वालों को ताम्रपाद से शनि का आगमन आर्थिक व्यावसायिक क्षेत्र में प्रगति, पूर्व निर्द्दारित कार्यों में सफलता, भौतिक सुख साधनों में वृद्धिकारक है।
कर्क-धनु-कुम्भ राशि वालों के लिए स्वर्णपाद से शनि का आगमन कुछ कष्टप्रद रहेगा, यश-प्रतिष्ठा में कमी प्रियजन या पारिवारिक जन का विछोह।
धनु राशिस्थ शनि का गोचर फल
( 27 जनवरी 2017 से 19 जून 2017 तक एवं 27 अक्टूबर 2017 से सम्वत्सरान्त तक )
श्री शुभ सम्वत् 2073, कार्तिक शुक्ल पक्ष उदया तिथि दशमी, तदुपरान्त एकादशी तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार 2 नवम्बर 2014 दिन रविवार को घं.20 मि.52 पर शनि देव का प्रवेश वृश्चिक राशि में हो चुका है। उस समय तात्कालिक चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र एवं कुम्भ राशि पर स्थित था।
वर्ष 2017 की शुरूआत में शनि देव अपनी मार्गी गति से वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुए प्रवेश करेंगे। श्री शुभ सम्वत् 2073 माघ मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 26 जनवरी 2017 को घं.19 मि.29 पर शनि देव मार्गी गति से धनु राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि पर स्थित रहेगा। श्री शुभ सम्वत् 2074 चैत्र मास शुक्ल पक्ष उदया तिथि दशमी तात्कालिक तिथि एकादशी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार 06 अप्रैल 2017 को शनि देव घं.21 मि.46 पर वक्री होंगे, तत्पश्चात् श्री शुभ सम्वत् 2074 आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष उदया तिथि द्वादशी, तात्कालिक तिथि त्रयोदशी मंगलवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 20 जून 2017 को घं.28 मि.46 पर शनि देव वक्री गति से वृश्चिक राशि में पुनः प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा भरणी नक्षत्र एवं मेष राशि पर स्थित रहेगा, तत्पश्चात् श्री शुभ सम्वत् 2074 कार्तिक मास शुक्ल पक्ष उदया तिथि षष्ठी, तात्कालिक तिथि सप्तमी गुरूवार तदनुसार अंग्रेजी तारीखानुसार ता. 26 अक्टूबर 2017 को घं.19 मि.39 पर शनि देव मार्गी गति से पुनः धनु राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय तात्कालिक चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि पर स्थित रहेगा, सम्वत्सरान्त तक शनिदेव धनु राशि पर ही स्थित रहेंगे।
विशेष तथ्य यह है कि वक्री शनि की अवधि में विपरीत फल समझें अर्थात् शुभ स्थान पर अशुभ व अशुभ की जगह शुभ फल मानें। शनि का पादबोधक एवं गोचर फल इसप्रकार है।
सन् 2017 में वृश्चिक के शनि का पाद बोधक फल
(वर्ष के प्रारम्भ से अन्त तक)
संक्षिप्त में मेष-कन्या-कुम्भ राशि वालों के लिए स्वर्णपाद से शनि का आगमन कुछ कष्टप्रद रहेगा, यश-प्रतिष्ठा में कमी प्रियजन या पारिवारिक जन का विछोह।
वृष-सिंह-धनु राशि वालों को ताम्रपाद से शनि का आगमन आर्थिक व्यावसायिक क्षेत्र में प्रगति, पूर्व निर्द्दारित कार्यों में सफलता, भौतिक सुख साधनों में वृद्धिकारक है।
मिथुन-तुला-मकर राशि वालों के लिये रजतपाद से शनि का आगमन किसी नये कार्य का शुभारम्भ आजीविका के साधनों में वृद्धि पारिवारिक सुख शांति, जन-सम्पर्क बढ़ेगा।
कर्क-वृश्चिक-मीन राशि वालों को लौहपाद से शनि का आगमन संघर्षपूर्ण होगा। आजीविका के लिए श्रम-संघर्ष, पारिवारिक तनाव, परिश्रम से ही स्थितियाँ अनुकूल हो सकती हैं।
वृश्चिक राशिस्थ शनि का गोचर फल
( 01 जनवरी 2017 से 26 जनवरी 2017 तक एवं 20 जून 2017 से 26 अक्टूबर 2017 तक )
मेष राशि वालों को- अष्टम शनि अशुभ है। कष्ट वाद-विवाद व कलह की स्थिति बनी रहेगी। राजकीय पक्ष से विरोध का सामना करना पड़ेगा। स्त्री को कष्ट, स्वास्थ्य में कमी गड़बड़ी एवं अत्यन्त अशुभ दशा वालों को पत्नी का वियोग भी सहना पड़ेगा। स्त्रियों को उदर विकार से भी कष्ट होगा।
वृष राशि वालों को- सप्तम शनि पूज्य है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा, रूके हुये धन की प्राप्ति और आय में वृद्धि होगी, लेकिन दुख और कलह से चित्त अशान्त रहेगा।
मिथुन राशि वालों को- छठा शनि शुभ है। यश कीर्ति तथा कार्य में लाभ एवं सफलता मिलेगी। रोगों से छुटकारा मिलेगा, एवं स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अनेक तरह के उत्तम भोगों की प्राप्ति होगी। शत्रु पक्ष निर्बल होकर परास्त होगा।
कर्क राशि वालों के लिए - पाँचवा शनि पूज्य है। परिश्रम एवं संघर्ष से ही कार्य में सफलता संभव है। कुसंगति से बुद्धि विवेक नष्ट होगा। धर्म पत्नी से सम्बन्ध तनाव की स्थिति तक जा सकते हैं आर्थिक पक्ष कमजोर होकर अशुभ दशा वालों के लिए चिंतनीय भी हो सकता है।
सिंह राशि वालों को - चतुर्थ शनि अशुभ है। दुख एवं कलह विवाद की स्थिति बनायेगा। सामाजिक एवं राजकीय पक्ष से असहयोग एवं विरोद्द प्राप्त होगा। आर्थिक अभाव प्रबल रूप ले सकता है। नौकरी पेशा वालों को स्थान परिवर्तन संभव है।
कन्या राशि वालों को- तीसरा शनि श्रेष्ठ है, लेकिन श्रम संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। कभी-कभी चिंता व्यय की अधिकता और असफलता से कष्ट मिलेगा। ससुराल पक्ष से तनाव, पत्नी से वाद-विवाद कलह व पिता से असंतोष मिलेगा।
तुला राशि वालों को - इस राशि वालांं को द्वितीय शनि पूज्य है। यह साढ़ेसाती की अन्तिम ढैय्या है, इसमें स्थान परिवर्तन की बहुत अधिक संभावना है।
वृश्चिक राशि वालों को -जन्मस्थ शनि पूज्य है, साढ़ेसाती की बीच की ढय्या है। शनि का रजत पाद कष्टप्रद है। अतः सुख-दुख समान रूप से चलते रहेंगे। मानसिक शक्ति कमजोर होगी। जीवन साथी व अपने घनिष्ठ कुटुम्बियों से विवाद होगा।
धनु राशि वालों को- द्वादश शनि अशुभ है। विघ्न तथा कष्ट बने रहेंगे। अशुभ दशा वालों को संतान के प्रति विशेष चिंता रहेगी। संतान पक्ष को व्याधियों से कष्ट होगा।
मकर राशि वालों को - एकादश शनि शुभ है। लम्बी बीमारी से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा। नये पद एवं अधिकार में वृद्धि होगी। पत्नी पक्ष से सहयोग मिलेगा व धन की प्राप्ति भी होगी। स्त्री एवं संतान का सुख प्राप्त होगा।
कुम्भ राशि वालों का - दशम शनि शुभ है। श्रम व संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी पर समय -समय पर धन की प्राप्ति होती रहेगी। आर्थिक सफलता होते हुए भी सम्पत्ति क्षय का भी भय बना रहेगा। व्यक्तित्व आत्मनिर्भर होगा।
मीन राशि वालों को - नवम शनि पूज्य है। अपने से छोटे लोगों के अवज्ञा करने से चित्त अशान्त होगा। मान सम्मान में कमी होगी। तीर्थाटन निष्प्रयोजन होने से असंतोष एवं धर्म के प्रति अनास्था होगी।
सन् 2017 में धनु के शनि का पाद बोधक फल (27 जनवरी 2017 से 19 जून 2017 तक एवं 27 अक्टूबर 2017 से सम्वत्सरान्त तक)
संक्षिप्त में मेष-सिंह-वृश्चिक राशि वालों के लिये रजतपाद से शनि का आगमन किसी नये कार्य का शुभारम्भ आजीविका के साधनों में वृद्धि पारिवारिक सुख शांति, जन-सम्पर्क बढ़ेगा।
वृष-कन्या-मकर राशि वालों को लौहपाद से शनि का आगमन संघर्षपूर्ण होगा। आजीविका के लिए श्रम-संघर्ष, पारिवारिक तनाव, परिश्रम से ही स्थितियाँ अनुकूल हो सकती हैं।
मिथुन-तुला-मीन राशि वालों को ताम्रपाद से शनि का आगमन आर्थिक व्यावसायिक क्षेत्र में प्रगति, पूर्व निर्द्दारित कार्यों में सफलता, भौतिक सुख साधनों में वृद्धिकारक है।
कर्क-धनु-कुम्भ राशि वालों के लिए स्वर्णपाद से शनि का आगमन कुछ कष्टप्रद रहेगा, यश-प्रतिष्ठा में कमी प्रियजन या पारिवारिक जन का विछोह।
धनु राशिस्थ शनि का गोचर फल
( 27 जनवरी 2017 से 19 जून 2017 तक एवं 27 अक्टूबर 2017 से सम्वत्सरान्त तक )
मेष राशि वालों को - नवम शनि पूज्य है। अपने से छोटे लोगों के अवज्ञा करने से चित्त अशान्त होगा। मान सम्मान में कमी होगी। तीर्थाटन निष्प्रयोजन होने से असंतोष एवं धर्म के प्रति अनास्था होगी। कलह एवं व्याधियों से जीवन दुखी होगा।
वृष राशि वालों को- अष्टम शनि अशुभ है। कष्ट वाद-विवाद व कलह की स्थिति बनी रहेगी। राजकीय पक्ष से विरोध का सामना करना पड़ेगा। स्त्री को कष्ट, स्वास्थ्य में कमी गड़बड़ी एवं अत्यन्त अशुभ दशा वालों को पत्नी का वियोग भी सहना पड़ेगा। स्त्रियों को उदर विकार से भी कष्ट होगा।
मिथुन राशि वालों को- सप्तम शनि पूज्य है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा, रूके हुये धन की प्राप्ति और आय में वृद्धि होगी, लेकिन दुख और कलह से चित्त अशान्त रहेगा।
कर्क राशि वालों को- छठा शनि शुभ है। यश कीर्ति तथा कार्य में लाभ एवं सफलता मिलेगी। रोगों से छुटकारा मिलेगा, एवं स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अनेक तरह के उत्तम भोगों की प्राप्ति होगी। शत्रु पक्ष निर्बल होकर परास्त होगा।
सिंह राशि वालों के लिए - पाँचवा शनि पूज्य है। परिश्रम एवं संघर्ष से ही कार्य में सफलता संभव है। कुसंगति से बुद्धि विवेक नष्ट होगा। धर्म पत्नी से सम्बन्ध तनाव की स्थिति तक जा सकते हैं आर्थिक पक्ष कमजोर होकर अशुभ दशा वालों के लिए चिंतनीय भी हो सकता है।
कन्या राशि वालों को - चतुर्थ शनि अशुभ है। दुख एवं कलह विवाद की स्थिति बनायेगा। सामाजिक एवं राजकीय पक्ष से असहयोग एवं विरोद्द प्राप्त होगा। आर्थिक अभाव प्रबल रूप ले सकता है। नौकरी पेशा वालों को स्थान परिवर्तन संभव है।
तुला राशि वालों को- तीसरा शनि श्रेष्ठ है, लेकिन श्रम संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। कभी-कभी चिंता व्यय की अधिकता और असफलता से कष्ट मिलेगा। ससुराल पक्ष से तनाव, पत्नी से वाद-विवाद कलह व पिता से असंतोष मिलेगा।
वृश्चिक राशि वालों को - इस राशि वालांं को द्वितीय शनि पूज्य है। यह साढ़ेसाती की अन्तिम ढैय्या है, इसमें स्थान परिवर्तन की बहुत अधिक संभावना है।
धनु राशि वालों को -जन्मस्थ शनि पूज्य है, साढ़ेसाती की बीच की ढय्या है। शनि का रजत पाद कष्टप्रद है। अतः सुख-दुख समान रूप से चलते रहेंगे। मानसिक शक्ति कमजोर होगी। जीवन साथी व अपने घनिष्ठ कुटुम्बियों से विवाद होगा।
मकर राशि वालों को- द्वादश शनि अशुभ है। विघ्न तथा कष्ट बने रहेंगे। अशुभ दशा वालों को संतान के प्रति विशेष चिंता रहेगी। संतान पक्ष को व्याधियों से कष्ट होगा।
कुम्भ राशि वालों को - एकादश शनि शुभ है। लम्बी बीमारी से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा। नये पद एवं अधिकार में वृद्धि होगी। पत्नी पक्ष से सहयोग मिलेगा व धन की प्राप्ति भी होगी। स्त्री एवं संतान का सुख प्राप्त होगा।
मीन राशि वालों का - दशम शनि शुभ है। श्रम व संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी पर समय -समय पर धन की प्राप्ति होती रहेगी। आर्थिक सफलता होते हुए भी सम्पत्ति क्षय का भी भय बना रहेगा। व्यक्तित्व आत्मनिर्भर होगा।
वृष राशि वालों को- अष्टम शनि अशुभ है। कष्ट वाद-विवाद व कलह की स्थिति बनी रहेगी। राजकीय पक्ष से विरोध का सामना करना पड़ेगा। स्त्री को कष्ट, स्वास्थ्य में कमी गड़बड़ी एवं अत्यन्त अशुभ दशा वालों को पत्नी का वियोग भी सहना पड़ेगा। स्त्रियों को उदर विकार से भी कष्ट होगा।
मिथुन राशि वालों को- सप्तम शनि पूज्य है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा, रूके हुये धन की प्राप्ति और आय में वृद्धि होगी, लेकिन दुख और कलह से चित्त अशान्त रहेगा।
कर्क राशि वालों को- छठा शनि शुभ है। यश कीर्ति तथा कार्य में लाभ एवं सफलता मिलेगी। रोगों से छुटकारा मिलेगा, एवं स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अनेक तरह के उत्तम भोगों की प्राप्ति होगी। शत्रु पक्ष निर्बल होकर परास्त होगा।
सिंह राशि वालों के लिए - पाँचवा शनि पूज्य है। परिश्रम एवं संघर्ष से ही कार्य में सफलता संभव है। कुसंगति से बुद्धि विवेक नष्ट होगा। धर्म पत्नी से सम्बन्ध तनाव की स्थिति तक जा सकते हैं आर्थिक पक्ष कमजोर होकर अशुभ दशा वालों के लिए चिंतनीय भी हो सकता है।
कन्या राशि वालों को - चतुर्थ शनि अशुभ है। दुख एवं कलह विवाद की स्थिति बनायेगा। सामाजिक एवं राजकीय पक्ष से असहयोग एवं विरोद्द प्राप्त होगा। आर्थिक अभाव प्रबल रूप ले सकता है। नौकरी पेशा वालों को स्थान परिवर्तन संभव है।
तुला राशि वालों को- तीसरा शनि श्रेष्ठ है, लेकिन श्रम संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। कभी-कभी चिंता व्यय की अधिकता और असफलता से कष्ट मिलेगा। ससुराल पक्ष से तनाव, पत्नी से वाद-विवाद कलह व पिता से असंतोष मिलेगा।
वृश्चिक राशि वालों को - इस राशि वालांं को द्वितीय शनि पूज्य है। यह साढ़ेसाती की अन्तिम ढैय्या है, इसमें स्थान परिवर्तन की बहुत अधिक संभावना है।
धनु राशि वालों को -जन्मस्थ शनि पूज्य है, साढ़ेसाती की बीच की ढय्या है। शनि का रजत पाद कष्टप्रद है। अतः सुख-दुख समान रूप से चलते रहेंगे। मानसिक शक्ति कमजोर होगी। जीवन साथी व अपने घनिष्ठ कुटुम्बियों से विवाद होगा।
मकर राशि वालों को- द्वादश शनि अशुभ है। विघ्न तथा कष्ट बने रहेंगे। अशुभ दशा वालों को संतान के प्रति विशेष चिंता रहेगी। संतान पक्ष को व्याधियों से कष्ट होगा।
कुम्भ राशि वालों को - एकादश शनि शुभ है। लम्बी बीमारी से ग्रस्त लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा। नये पद एवं अधिकार में वृद्धि होगी। पत्नी पक्ष से सहयोग मिलेगा व धन की प्राप्ति भी होगी। स्त्री एवं संतान का सुख प्राप्त होगा।
मीन राशि वालों का - दशम शनि शुभ है। श्रम व संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी पर समय -समय पर धन की प्राप्ति होती रहेगी। आर्थिक सफलता होते हुए भी सम्पत्ति क्षय का भी भय बना रहेगा। व्यक्तित्व आत्मनिर्भर होगा।
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