श्री शुभ सम्वत् 2073, श्रावण मास शुक्ल पक्ष उदयकालीन तिथि अष्टमी, तत्पश्चात् नवमी गुरूवार अंग्रेजी तारीखानुसार 11 अगस्त 2016 को घं.21 मि.26 पर गुरू देव कन्या राशि में प्रवेश कर चुके है, तात्कालिक चन्द्र उस समय अनुराधा नक्षत्र एवं वृश्चिक राशि में स्थित था। वर्ष 2017 के प्रारम्भ में गुरूदेव कन्या राशि में ही रहेंगे।
श्री शुभ सम्वत् 2074, आश्विन मास कृष्ण पक्ष उदयकालीन तिथि सप्तमी, तत्पश्चात् अष्टमी मंगलवार अंग्रेजी तारीखानुसार 12 सितम्बर 2017 को घं.28 मि.10 पर गुरू देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे, तात्कालिक चन्द्र उस समय रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में स्थित रहेगा। सम्वम्सरान्त तक गुरूदेव कन्या राशि में ही रहेंगे।
अंग्रेजी तारीखानुसार 06 फरवरी 2017 सोमवार को घं.22 मि.04 से गुरूदेव कन्या राशि में वक्री होंगे, तत्पश्चात् ता.09 जून 2017 दिन शुक्रवार को घं.29 मि.21 पर गुरू देव मार्गी हो जाएंगे, और 09 मार्च 2018 तक मार्गी ही रहेंगे, तत्पश्चात् 09 मार्च 2018 से पुनः गुरूदेव घं.20 मि.04 पर वक्री होंगे। जिसका पाद एवं गोचर फल इस प्रकार है। विशेष तथ्य यह है कि वक्री गुरू की अवधि में विपरीत फल समझें अर्थात् शुभ स्थान पर अशुभ व अशुभ की जगह शुभ फल मानें।
सन् 2017 में कन्या राशि के गुरू का पाद बोधक फल
01 जनवरी 2017 से 12 सितम्बर 2017 तक।
मेष-सिंह-धनु राशि वालों को लौह पाद होने से जीवन त्रस्त हो जायेगा, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी, आर्थिक हानि, परिवार में तनाव।
वृष-कन्या-कुम्भ राशि वालों को ताम्रपाद से आगमन, शुभप्रद है प्रगति, लक्ष्मी प्राप्ति, वैभव, सुख-सम्पदा, प्रगति रोजगार आदि में सफल, धर्म-कर्म, सामाजिक कार्य में रूचि लेंगे।
मिथुन-वृश्चिक-मकर राशि वालों को स्वर्ण पाद से व्यापार व नौकरी में बढ़ोत्तरी, पर पारिवारिक माहौल असंतुलित रहेगा। मान सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी आयेगी, व्यर्थ भ्रमण।
कर्क-तुला-मीन राशि वालों को रजत पाद होने से सफलता मिलेगी, प्रत्येक क्षेत्र में किये प्रयास सफल होंगे, आय के नये स्त्रोत, इष्ट मित्रों का सहयोग, व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी।
सन् 2017 में कन्या राशि के लिए गुरू का गोचर फल
01 जनवरी 2017 से 12 सितम्बर 2017 तक।
मेष राशि वालां के लिये छठवें गुरू पूज्य है यह परेशानियां को बढ़ाने में सहायक होगा। कार्यो में आकस्मिक व्यवधान, स्वास्थ्य बाधा, मानसिक चिन्ता व्यग्रता रहेगी।
वृष राशि वालां के लिये पंचमस्थ गुरू शुभ है यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा, परन्तु अनुकूल परिणाम पाने के लिये विशेष प्रयास भी करना पड़ेगा। श्रम संघर्ष से अभीष्ट सिद्धि, आर्थिक अभ्युन्नति, मुकदमा-परीक्षा प्रतियोगिता में अनुकूल अवसर मिलेंगे।
मिथुन राशि वालां के लिये चतुर्थ गुरू अशुभ है अतः सुख-सौभाग्य में कमी होने के साथ ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा, आपका प्रयास-परिश्रम ही परेशानियां को कम करेगा। आर्थिक लेन देन के प्रति सचेष्ट रहें। स्वजन कुटुम्बियां से विघ्न बाधा, मित्रों से तनाव की स्थिति बनेगी।
कर्क राशि वालां के लिये तृतीय भाव में गुरू पूज्य है। विशेष प्रयास करना होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू अभ्युन्नति की ओर ले जायेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मान सम्मान पद प्रतिष्ठा धन ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। आत्मबल मनोबल की वृद्धि होगी।
सिंह राशि वालां को द्वितीयस्थ गुरू ज्यादा अच्छा नहीं है। यह दुख कलह विवाद करायेगा। कार्यक्षेत्र में उन्नति एवं सफलता तथा अभीष्ट सिद्धि कठिन संघर्ष से ही प्राप्त होगी। आजीविका विहीन लोगों को स्थिर व्यवसाय की प्राप्ति होगी।
कन्या राशि वालों को जन्मस्थ गुरू पूज्य हैं यह भाग्यवृद्धि में सहायक होगा। शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिये। कर्तव्यनिष्ठ जीवन शैली के कारण सुख सौभाग्य, द्दन-ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। पारिवारिक दायित्व का निर्वाह होगा।
तुला राशि वालों को लिये बारहवें गुरू नेष्ट है अतः स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। सहयोगीजनां से वैमनस्य बढे़गा। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियां की समस्याआें का सहज समाद्दान नहीं हो पायेगा। धन-व्यय की अधिकता रहेगी।
वृश्चिक राशि वालां के लिये ग्यारहवें गुरू शुभ और सर्वसिद्धिकारक रहेगा। सामायिक समस्याओं का समाधान अपनी इच्छा के अनुरूप होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नये निवेश या उद्यमों के प्रति आकर्षण ही नहीं बढे़गा।
धनु राशि वालां के लिये दशमस्थ गुरू पूज्य है यह कठोर श्रम संघर्ष परेशानियों उलझनों को बढ़ाने वाला ही साबित होगा, अनावश्यक परिवर्तन से हानि, मानसिक चिन्ता में वृद्धि विरोध पक्ष के कारण कार्यो में गतिरोध, व्ययाधिक्य रहेगा।
मकर राशि वालों के लिये भाग्यस्थ गुरू शुभ फलप्रद है। गुरू का आगमन आपको श्रेष्ठ स्थिति की ओर ले जाने वाला साबित होगा। आयु आरोग्य सुख की वृद्धि अभीष्ट कामों में सफलता, संतानपक्ष से सुखद अनुभूति। धन-ऐश्वर्य की वृद्धि।
कुम्भ राशि वालां के लिये अष्टम भाव में गुरू नेष्ट माना गया है किन्तु कठिनाईयां में भी आशा की किरण दिखलाई पड़ेगी। मानसिक अशान्ति, मतिभ्रम, चित्त की अस्थिरता से परेशानी होगी। आर्थिक क्षेत्र में असंतुलन बढे़गा।
मीन राशि वालों के लिये सातवें गुरू शुभ है। यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा। कार्य व्यापार की सफलता के लिये विशेष सार्थक प्रयास करना होगा। विचारां में सहिष्णुता परोपकार की भावना का उदय होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू सफलतादायी है।
सन् 2017 में तुला राशि के गुरू का पाद बोधक फल
12 सितम्बर 2017 से सम्वत्सरान्त तक।
मेष-कन्या-मकर राशि वालों को रजत पाद होने से सफलता मिलेगी, प्रत्येक क्षेत्र में किये प्रयास सफल होंगे, आय के नये स्त्रोत, इष्ट मित्रों का सहयोग, व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी।
श्री शुभ सम्वत् 2074, आश्विन मास कृष्ण पक्ष उदयकालीन तिथि सप्तमी, तत्पश्चात् अष्टमी मंगलवार अंग्रेजी तारीखानुसार 12 सितम्बर 2017 को घं.28 मि.10 पर गुरू देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे, तात्कालिक चन्द्र उस समय रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में स्थित रहेगा। सम्वम्सरान्त तक गुरूदेव कन्या राशि में ही रहेंगे।
अंग्रेजी तारीखानुसार 06 फरवरी 2017 सोमवार को घं.22 मि.04 से गुरूदेव कन्या राशि में वक्री होंगे, तत्पश्चात् ता.09 जून 2017 दिन शुक्रवार को घं.29 मि.21 पर गुरू देव मार्गी हो जाएंगे, और 09 मार्च 2018 तक मार्गी ही रहेंगे, तत्पश्चात् 09 मार्च 2018 से पुनः गुरूदेव घं.20 मि.04 पर वक्री होंगे। जिसका पाद एवं गोचर फल इस प्रकार है। विशेष तथ्य यह है कि वक्री गुरू की अवधि में विपरीत फल समझें अर्थात् शुभ स्थान पर अशुभ व अशुभ की जगह शुभ फल मानें।
सन् 2017 में कन्या राशि के गुरू का पाद बोधक फल
01 जनवरी 2017 से 12 सितम्बर 2017 तक।
मेष-सिंह-धनु राशि वालों को लौह पाद होने से जीवन त्रस्त हो जायेगा, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी, आर्थिक हानि, परिवार में तनाव।
वृष-कन्या-कुम्भ राशि वालों को ताम्रपाद से आगमन, शुभप्रद है प्रगति, लक्ष्मी प्राप्ति, वैभव, सुख-सम्पदा, प्रगति रोजगार आदि में सफल, धर्म-कर्म, सामाजिक कार्य में रूचि लेंगे।
मिथुन-वृश्चिक-मकर राशि वालों को स्वर्ण पाद से व्यापार व नौकरी में बढ़ोत्तरी, पर पारिवारिक माहौल असंतुलित रहेगा। मान सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी आयेगी, व्यर्थ भ्रमण।
कर्क-तुला-मीन राशि वालों को रजत पाद होने से सफलता मिलेगी, प्रत्येक क्षेत्र में किये प्रयास सफल होंगे, आय के नये स्त्रोत, इष्ट मित्रों का सहयोग, व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी।
सन् 2017 में कन्या राशि के लिए गुरू का गोचर फल
01 जनवरी 2017 से 12 सितम्बर 2017 तक।
मेष राशि वालां के लिये छठवें गुरू पूज्य है यह परेशानियां को बढ़ाने में सहायक होगा। कार्यो में आकस्मिक व्यवधान, स्वास्थ्य बाधा, मानसिक चिन्ता व्यग्रता रहेगी।
वृष राशि वालां के लिये पंचमस्थ गुरू शुभ है यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा, परन्तु अनुकूल परिणाम पाने के लिये विशेष प्रयास भी करना पड़ेगा। श्रम संघर्ष से अभीष्ट सिद्धि, आर्थिक अभ्युन्नति, मुकदमा-परीक्षा प्रतियोगिता में अनुकूल अवसर मिलेंगे।
मिथुन राशि वालां के लिये चतुर्थ गुरू अशुभ है अतः सुख-सौभाग्य में कमी होने के साथ ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा, आपका प्रयास-परिश्रम ही परेशानियां को कम करेगा। आर्थिक लेन देन के प्रति सचेष्ट रहें। स्वजन कुटुम्बियां से विघ्न बाधा, मित्रों से तनाव की स्थिति बनेगी।
कर्क राशि वालां के लिये तृतीय भाव में गुरू पूज्य है। विशेष प्रयास करना होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू अभ्युन्नति की ओर ले जायेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मान सम्मान पद प्रतिष्ठा धन ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। आत्मबल मनोबल की वृद्धि होगी।
सिंह राशि वालां को द्वितीयस्थ गुरू ज्यादा अच्छा नहीं है। यह दुख कलह विवाद करायेगा। कार्यक्षेत्र में उन्नति एवं सफलता तथा अभीष्ट सिद्धि कठिन संघर्ष से ही प्राप्त होगी। आजीविका विहीन लोगों को स्थिर व्यवसाय की प्राप्ति होगी।
कन्या राशि वालों को जन्मस्थ गुरू पूज्य हैं यह भाग्यवृद्धि में सहायक होगा। शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिये। कर्तव्यनिष्ठ जीवन शैली के कारण सुख सौभाग्य, द्दन-ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। पारिवारिक दायित्व का निर्वाह होगा।
तुला राशि वालों को लिये बारहवें गुरू नेष्ट है अतः स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। सहयोगीजनां से वैमनस्य बढे़गा। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियां की समस्याआें का सहज समाद्दान नहीं हो पायेगा। धन-व्यय की अधिकता रहेगी।
वृश्चिक राशि वालां के लिये ग्यारहवें गुरू शुभ और सर्वसिद्धिकारक रहेगा। सामायिक समस्याओं का समाधान अपनी इच्छा के अनुरूप होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नये निवेश या उद्यमों के प्रति आकर्षण ही नहीं बढे़गा।
धनु राशि वालां के लिये दशमस्थ गुरू पूज्य है यह कठोर श्रम संघर्ष परेशानियों उलझनों को बढ़ाने वाला ही साबित होगा, अनावश्यक परिवर्तन से हानि, मानसिक चिन्ता में वृद्धि विरोध पक्ष के कारण कार्यो में गतिरोध, व्ययाधिक्य रहेगा।
मकर राशि वालों के लिये भाग्यस्थ गुरू शुभ फलप्रद है। गुरू का आगमन आपको श्रेष्ठ स्थिति की ओर ले जाने वाला साबित होगा। आयु आरोग्य सुख की वृद्धि अभीष्ट कामों में सफलता, संतानपक्ष से सुखद अनुभूति। धन-ऐश्वर्य की वृद्धि।
कुम्भ राशि वालां के लिये अष्टम भाव में गुरू नेष्ट माना गया है किन्तु कठिनाईयां में भी आशा की किरण दिखलाई पड़ेगी। मानसिक अशान्ति, मतिभ्रम, चित्त की अस्थिरता से परेशानी होगी। आर्थिक क्षेत्र में असंतुलन बढे़गा।
मीन राशि वालों के लिये सातवें गुरू शुभ है। यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा। कार्य व्यापार की सफलता के लिये विशेष सार्थक प्रयास करना होगा। विचारां में सहिष्णुता परोपकार की भावना का उदय होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू सफलतादायी है।
सन् 2017 में तुला राशि के गुरू का पाद बोधक फल
12 सितम्बर 2017 से सम्वत्सरान्त तक।
मेष-कन्या-मकर राशि वालों को रजत पाद होने से सफलता मिलेगी, प्रत्येक क्षेत्र में किये प्रयास सफल होंगे, आय के नये स्त्रोत, इष्ट मित्रों का सहयोग, व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी।
वृष-कर्क-धनु राशि वालों को स्वर्ण पाद से व्यापार व नौकरी में बढ़ोत्तरी, पर पारिवारिक माहौल असंतुलित रहेगा। मान सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी आयेगी, व्यर्थ भ्रमण भी करना पड़ेगा।
मिथुन-तुला-कुम्भ राशि वालों को लौह पाद होने से जीवन त्रस्त हो जायेगा, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी, आर्थिक हानि, परिवार में तनाव, अशान्ति।
सिंह-वृश्चिक-कुम्भ राशि वालों को ताम्रपाद से आगमन, शुभप्रद है प्रगति, लक्ष्मी प्राप्ति, वैभव, सुख-सम्पदा, प्रगति रोजगार आदि में सफल, धर्म-कर्म, सामाजिक कार्य में रूचि लेंगे।
सन् 2017 में तुला राशि के गुरू का गोचर फल
12 सितम्बर 2017 से सम्वत्सरान्त तक।
मेष राशि वालों के लिये सातवें गुरू शुभ है। यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा। कार्य व्यापार की सफलता के लिये विशेष सार्थक प्रयास करना होगा। विचारां में सहिष्णुता परोपकार की भावना का उदय होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू सफलतादायी है।
वृष राशि वालां के लिये छठवें गुरू पूज्य है यह परेशानियां को बढ़ाने में सहायक होगा। कार्यो में आकस्मिक व्यवधान, स्वास्थ्य बाधा, मानसिक चिन्ता व्यग्रता रहेगी।
मिथुन राशि वालां के लिये पंचमस्थ गुरू शुभ है यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा, परन्तु अनुकूल परिणाम पाने के लिये विशेष प्रयास भी करना पड़ेगा। श्रम संघर्ष से अभीष्ट सिद्धि, आर्थिक अभ्युन्नति, मुकदमा-परीक्षा प्रतियोगिता में सफलता के अनुकूल अवसर मिलेंगे। एकाधिक स्त्रोतो से आमदनी होगी।
कर्क राशि वालां के लिये चतुर्थ गुरू अशुभ है अतः सुख-सौभाग्य में कमी होने के साथ ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा, आपका प्रयास-परिश्रम ही परेशानियां को कम करेगा। आर्थिक लेन देन के प्रति सचेष्ट रहें। स्वजन कुटुम्बियां से विघ्न बाधा, मित्रों से तनाव की स्थिति बनेगी।
सिंह राशि वालां के लिये तृतीय भाव में गुरू पूज्य है। विशेष प्रयास करना होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू अभ्युन्नति की ओर ले जायेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मान सम्मान पद प्रतिष्ठा धन ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। आत्मबल मनोबल की वृद्धि होगी।
कन्या राशि वालों को द्वितीयस्थ गुरू ज्यादा अच्छा नहीं है। यह दुख कलह विवाद करायेगा। कार्यक्षेत्र में उन्नति एवं सफलता तथा अभीष्ट सिद्धि कठिन संघर्ष से ही प्राप्त होगी।
तुला राशि वालों को जन्मस्थ गुरू पूज्य हैं यह भाग्यवृद्धि में सहायक होगा। शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिये। कर्तव्यनिष्ठ जीवन शैली के कारण सुख सौभाग्य, द्दन-ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। पारिवारिक दायित्व का निर्वाह होगा।
वृश्चिक राशि वालों को लिये बारहवें गुरू नेष्ट है अतः स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। सहयोगीजनां से वैमनस्य बढे़गा। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियां की समस्याआें का सहज समाद्दान नहीं हो पायेगा। धन-व्यय की अधिकता रहेगी।
धनु राशि वालां के लिये ग्यारहवें गुरू शुभ और सर्वसिद्धिकारक रहेगा। सामायिक समस्याओं का समाधान अपनी इच्छा के अनुरूप होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नये निवेश या उद्यमों के प्रति आकर्षण ही नहीं बढे़गा, अपितु अपेक्षित सफलता भी मिलेगी। नौकरी में पदोन्नति।
मकर राशि वालां के लिये दशमस्थ गुरू पूज्य है यह कठोर श्रम संघर्ष परेशानियों उलझनों को बढ़ाने वाला ही साबित होगा, अनावश्यक परिवर्तन से हानि, मानसिक चिन्ता में वृद्धि विरोध पक्ष के कारण कार्यो में गतिरोध, व्ययाधिक्य रहेगा।
कुम्भ राशि वालों के लिये भाग्यस्थ गुरू शुभ फलप्रद है। गुरू का आगमन आपको श्रेष्ठ स्थिति की ओर ले जाने वाला साबित होगा। आयु आरोग्य सुख की वृद्धि अभीष्ट कामों में सफलता, संतानपक्ष से सुखद अनुभूति। धन-ऐश्वर्य की वृद्धि।
मीन राशि वालां के लिये अष्टम भाव में गुरू नेष्ट माना गया है किन्तु कठिनाईयां में भी आशा की किरण दिखलाई पड़ेगी। मानसिक अशान्ति, मतिभ्रम, चित्त की अस्थिरता से परेशानी होगी। आर्थिक क्षेत्र में असंतुलन बढे़गा।
मिथुन-तुला-कुम्भ राशि वालों को लौह पाद होने से जीवन त्रस्त हो जायेगा, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी, मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी, आर्थिक हानि, परिवार में तनाव, अशान्ति।
सिंह-वृश्चिक-कुम्भ राशि वालों को ताम्रपाद से आगमन, शुभप्रद है प्रगति, लक्ष्मी प्राप्ति, वैभव, सुख-सम्पदा, प्रगति रोजगार आदि में सफल, धर्म-कर्म, सामाजिक कार्य में रूचि लेंगे।
सन् 2017 में तुला राशि के गुरू का गोचर फल
12 सितम्बर 2017 से सम्वत्सरान्त तक।
मेष राशि वालों के लिये सातवें गुरू शुभ है। यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा। कार्य व्यापार की सफलता के लिये विशेष सार्थक प्रयास करना होगा। विचारां में सहिष्णुता परोपकार की भावना का उदय होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू सफलतादायी है।
वृष राशि वालां के लिये छठवें गुरू पूज्य है यह परेशानियां को बढ़ाने में सहायक होगा। कार्यो में आकस्मिक व्यवधान, स्वास्थ्य बाधा, मानसिक चिन्ता व्यग्रता रहेगी।
मिथुन राशि वालां के लिये पंचमस्थ गुरू शुभ है यह श्रेष्ठ प्रभाव उत्पन्न करेगा, परन्तु अनुकूल परिणाम पाने के लिये विशेष प्रयास भी करना पड़ेगा। श्रम संघर्ष से अभीष्ट सिद्धि, आर्थिक अभ्युन्नति, मुकदमा-परीक्षा प्रतियोगिता में सफलता के अनुकूल अवसर मिलेंगे। एकाधिक स्त्रोतो से आमदनी होगी।
कर्क राशि वालां के लिये चतुर्थ गुरू अशुभ है अतः सुख-सौभाग्य में कमी होने के साथ ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा, आपका प्रयास-परिश्रम ही परेशानियां को कम करेगा। आर्थिक लेन देन के प्रति सचेष्ट रहें। स्वजन कुटुम्बियां से विघ्न बाधा, मित्रों से तनाव की स्थिति बनेगी।
सिंह राशि वालां के लिये तृतीय भाव में गुरू पूज्य है। विशेष प्रयास करना होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरू अभ्युन्नति की ओर ले जायेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मान सम्मान पद प्रतिष्ठा धन ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। आत्मबल मनोबल की वृद्धि होगी।
कन्या राशि वालों को द्वितीयस्थ गुरू ज्यादा अच्छा नहीं है। यह दुख कलह विवाद करायेगा। कार्यक्षेत्र में उन्नति एवं सफलता तथा अभीष्ट सिद्धि कठिन संघर्ष से ही प्राप्त होगी।
तुला राशि वालों को जन्मस्थ गुरू पूज्य हैं यह भाग्यवृद्धि में सहायक होगा। शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिये। कर्तव्यनिष्ठ जीवन शैली के कारण सुख सौभाग्य, द्दन-ऐश्वर्य की वृद्धि होगी। पारिवारिक दायित्व का निर्वाह होगा।
वृश्चिक राशि वालों को लिये बारहवें गुरू नेष्ट है अतः स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। सहयोगीजनां से वैमनस्य बढे़गा। सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियां की समस्याआें का सहज समाद्दान नहीं हो पायेगा। धन-व्यय की अधिकता रहेगी।
धनु राशि वालां के लिये ग्यारहवें गुरू शुभ और सर्वसिद्धिकारक रहेगा। सामायिक समस्याओं का समाधान अपनी इच्छा के अनुरूप होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नये निवेश या उद्यमों के प्रति आकर्षण ही नहीं बढे़गा, अपितु अपेक्षित सफलता भी मिलेगी। नौकरी में पदोन्नति।
मकर राशि वालां के लिये दशमस्थ गुरू पूज्य है यह कठोर श्रम संघर्ष परेशानियों उलझनों को बढ़ाने वाला ही साबित होगा, अनावश्यक परिवर्तन से हानि, मानसिक चिन्ता में वृद्धि विरोध पक्ष के कारण कार्यो में गतिरोध, व्ययाधिक्य रहेगा।
कुम्भ राशि वालों के लिये भाग्यस्थ गुरू शुभ फलप्रद है। गुरू का आगमन आपको श्रेष्ठ स्थिति की ओर ले जाने वाला साबित होगा। आयु आरोग्य सुख की वृद्धि अभीष्ट कामों में सफलता, संतानपक्ष से सुखद अनुभूति। धन-ऐश्वर्य की वृद्धि।
मीन राशि वालां के लिये अष्टम भाव में गुरू नेष्ट माना गया है किन्तु कठिनाईयां में भी आशा की किरण दिखलाई पड़ेगी। मानसिक अशान्ति, मतिभ्रम, चित्त की अस्थिरता से परेशानी होगी। आर्थिक क्षेत्र में असंतुलन बढे़गा।
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