....................कोर्स - ०१...ज्योतिष की आवश्यक जानकारी .....................
सर्वप्रथम आप यह जान ले कि पंचांग किसे कहते है , पंचांग के पांच अंग है,
१- तिथि २- वार ,३- नक्षत्र , ४- योग , ५- करण ..इन पांच का जिससे ज्ञान
होता है उसे पंचांग कहते है .
..... सम्पूर्ण भचक्र , ३६० अंशों में विभाजित है .
..... ३६० अंश = १२ राशियाँ = २७ नक्षत्र .
..... १ राशि = ३० अंश = सवा दो नक्षत्र = ९ चरण .
..... १ नक्षत्र = ४ चरण = १३ सही १/३ अंश = ८०० कला .
..... १ चरण = ३ सही १/३ अंश = २०० कला , १ अंश =६० कला .
..... १ कला = ६० विकला , १ विकला = ६० प्रतिविकला .
................................समय विभाग .....
..... ६० अनुपल = १ विपल .
..... ६० विपल = १ पल .
..... ढाई पल या ६० सेकेण्ड = १ मिनट .
.... ६० पल = २४ मिनट या १ घटी ( घड़ी).
..... ढाई घटी = १ घंटा .
..... साढ़े सात घटी = ३ घंटे या एक पहर .
..... ८ पहर = ६० घटी या २४ घंटे = एक दिन रात इसे ही अहोरात्र कहते है.
..... १५ अहोरात्र = १ पक्ष .
..... २ पक्ष= १ मास .
.....१२ मास= १ वर्ष .
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नौ ग्रह = १- सूर्य , २- चंद्र , ३- मंगल, ४ - बुध , ५- गुरु, ६- शुक्र , ७- शनि , ८- राहू , ९- केतु .
इसके अलावा हर्शल, नेप्च्यून , प्लूटो है मगर भारतीय ज्योतिषी प्राय: इनकी गणना नहीं करते , लेकिन यहाँ इन की भी विवेचना होगी .
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.... १२ राशियाँ - १- मेष २- वृष ३- मिथुन ४- कर्क ५- सिंह ६- कन्या ७- तुला ८- वृश्चिक ९- धनु १०- मकर ११- कुम्भ १२- मीन .
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..... २७ नक्षत्र -
..... ६० अनुपल = १ विपल .
..... ६० विपल = १ पल .
..... ढाई पल या ६० सेकेण्ड = १ मिनट .
.... ६० पल = २४ मिनट या १ घटी ( घड़ी).
..... ढाई घटी = १ घंटा .
..... साढ़े सात घटी = ३ घंटे या एक पहर .
..... ८ पहर = ६० घटी या २४ घंटे = एक दिन रात इसे ही अहोरात्र कहते है.
..... १५ अहोरात्र = १ पक्ष .
..... २ पक्ष= १ मास .
.....१२ मास= १ वर्ष .
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नौ ग्रह = १- सूर्य , २- चंद्र , ३- मंगल, ४ - बुध , ५- गुरु, ६- शुक्र , ७- शनि , ८- राहू , ९- केतु .
इसके अलावा हर्शल, नेप्च्यून , प्लूटो है मगर भारतीय ज्योतिषी प्राय: इनकी गणना नहीं करते , लेकिन यहाँ इन की भी विवेचना होगी .
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.... १२ राशियाँ - १- मेष २- वृष ३- मिथुन ४- कर्क ५- सिंह ६- कन्या ७- तुला ८- वृश्चिक ९- धनु १०- मकर ११- कुम्भ १२- मीन .
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..... २७ नक्षत्र -
१- अश्विनी २- भरणी ३- कृत्तिका ४-रोहिणी ५- मृगशिरा
६- आर्द्रा ७ - पुनर्वसु ८- पुष्य ९ - आश्लेषा १० - मघा ११- पूर्वाफाल्गुनी
१२ -उत्तराफाल्गुनी १३ - हस्त १४- चित्रा १५- स्वाती १६ - विशाखा १७ -
अनुराधा १८- ज्येष्ठा १९- मूल २०- पूर्वाषाढा २१- उत्तराषाढा २२- श्रवण २३-
धनिष्ठा २४ - शतभिषा २५- पूर्वाभाद्रपद २६- उत्तराभाद्रपद २७- रेवती .
....२८ वाँ - अभिजीत होता है लेकिन मुख्य गणना में २७ ही आते है ..अभिजीत
का मान उत्तराषाढा नक्षत्र के चौथे चरण से लेकर श्रवण के पहले १५ वें भाग
तक रहता है .
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....आप सभी लोग ग्रह , नक्षत्र , राशि, को क्रमश: याद कर ले..इतना ध्यान
रहे कि इन्हें अपनी उँगलियों के पोरों पर गिन कर याद करे तो बेहतर होगा ..
..... १ उंगली = ३ पोर , ४ उंगली = १२ पोर . और २७ पोर = एक भचक्र या २७ नक्षत्र ..
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१- अश्विनी ( कनिष्ठिका १ पोर)
२- भरणी ( कनिष्ठिका २ पोर)
३- कृत्तिका ( कनिष्ठिका ३ पोर)
४-रोहिणी ( अनामिका १ पोर)
५- मृगशिरा ( अनामिका २ पोर)
६- आर्द्रा ( अनामिका ३ पोर)
७ - पुनर्वसु ( मध्यमा १ पोर)
८- पुष्य ( मध्यमा २ पोर)
९ - आश्लेषा ( मध्यमा ३ पोर)
१० - मघा ( तर्जनी १ पोर)
११- पूर्वाफाल्गुनी ( तर्जनी २ पोर)
१२ -उत्तराफाल्गुनी ( तर्जनी ३ पोर)
१३ - हस्त ( कनिष्ठिका १ पोर)
१४- चित्रा ( कनिष्ठिका २ पोर)
१५- स्वाती ( कनिष्ठिका ३ पोर)
१६ - विशाखा ( अनामिका १ पोर)
१७ - अनुराधा ( अनामिका २ पोर)
१८- ज्येष्ठा ( अनामिका ३ पोर)
१९- मूल ( मध्यमा १ पोर)
२०- पूर्वाषाढा ( मध्यमा २ पोर)
२१- उत्तराषाढा ( मध्यमा ३ पोर)
२२- श्रवण ( तर्जनी १ पोर)
२३- धनिष्ठा ( तर्जनी २ पोर)
२४ - शतभिषा ( तर्जनी ३ पोर)
२५- पूर्वाभाद्रपद ( कनिष्ठिका १ पोर)
२६- उत्तराभाद्रपद ( कनिष्ठिका २ पोर)
२७- रेवती ( कनिष्ठिका ३ पोर) .
...नोट - इस प्रकार याद करें ......
....आप सभी लोग ग्रह , नक्षत्र , राशि, को क्रमश: याद कर ले..इतना ध्यान रहे कि इन्हें अपनी उँगलियों के पोरों पर गिन कर याद करे तो बेहतर होगा ..
..... १ उंगली = ३ पोर , ४ उंगली = १२ पोर . और २७ पोर = एक भचक्र या २७ नक्षत्र ..
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१- अश्विनी ( कनिष्ठिका १ पोर)
२- भरणी ( कनिष्ठिका २ पोर)
३- कृत्तिका ( कनिष्ठिका ३ पोर)
४-रोहिणी ( अनामिका १ पोर)
५- मृगशिरा ( अनामिका २ पोर)
६- आर्द्रा ( अनामिका ३ पोर)
७ - पुनर्वसु ( मध्यमा १ पोर)
८- पुष्य ( मध्यमा २ पोर)
९ - आश्लेषा ( मध्यमा ३ पोर)
१० - मघा ( तर्जनी १ पोर)
११- पूर्वाफाल्गुनी ( तर्जनी २ पोर)
१२ -उत्तराफाल्गुनी ( तर्जनी ३ पोर)
१३ - हस्त ( कनिष्ठिका १ पोर)
१४- चित्रा ( कनिष्ठिका २ पोर)
१५- स्वाती ( कनिष्ठिका ३ पोर)
१६ - विशाखा ( अनामिका १ पोर)
१७ - अनुराधा ( अनामिका २ पोर)
१८- ज्येष्ठा ( अनामिका ३ पोर)
१९- मूल ( मध्यमा १ पोर)
२०- पूर्वाषाढा ( मध्यमा २ पोर)
२१- उत्तराषाढा ( मध्यमा ३ पोर)
२२- श्रवण ( तर्जनी १ पोर)
२३- धनिष्ठा ( तर्जनी २ पोर)
२४ - शतभिषा ( तर्जनी ३ पोर)
२५- पूर्वाभाद्रपद ( कनिष्ठिका १ पोर)
२६- उत्तराभाद्रपद ( कनिष्ठिका २ पोर)
२७- रेवती ( कनिष्ठिका ३ पोर) .
...नोट - इस प्रकार याद करें ......
गुरु जी सादर चरण स्पर्श यह जो आपने ज्योतिश सिखाने का कार्य ब्लॉग और फेस बुक के उपर सिखाने का काम शुरू किया है क्या ठीक रहेगा क्योंकि आपने ही कहा था कि ज्योतिष गुरु परम्परा से ही सीखा जा सकता है बाकी आप तो स्वयं सब जानते है प्रणाम
ReplyDeleteश्री दीपक जी , आप सुखी व समृद्धिवान हो, ब्लॉग के माध्यम से कुछ विशेष लिखने का मन में आया तो शुरू कर दिया ....और कोई विशेष बात नहीं है..
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