Wednesday, June 19, 2013

" मननात् त्रायते इति मन्त्र: "

" मननात् त्रायते इति मन्त्र: " , जिसके मनन से दैहिक , दैविक , और भौतिक त्रय तापों से रक्षा होती है उसे मन्त्र कहते हैं. मन्त्र वांग्मय को ४ भागों में १- वैदिक , २- पौराणिक , ३- आगमशास्त्रीय ( तांत्रिक ) ४- शाबर विभक्त किया गया है.... इसके अतिरिक्त इनके ३ भेद हैं ..१- बीज मन्त्र ,२- मन्त्र , ३- माला मंत्र ( माला मन्त्र जैसे प्रत्यंगिरा ) .... मन्त्र योग संहिता के अनुसार १- गुरु बीज ,,२ - शक्ति बीज , ३ - रमा बीज , ४ - काम बीज , ५ - तेज बीज ,६ -योग बीज , ७- शक्ति बीज , ८- रक्षा बीज ..... तांत्रिक मन्त्रों में ५१ वर्ण लिए गए है . इसी आधार पर ५१ शक्तिपीठ भी हैं. मन्त्रों में विशेष रूप से ६ बातों पर महत्व दिया गया है . १- छंद , २- ऋषि , ३- देवता , ४- बीज , ५- कीलक , ६- शक्ति ...मंत्र के इन ६ रहस्यों को ध्यान में रख कर ही किसी मन्त्र की साधना में प्रवृत्त होना चाहिए . इसके अतिरिक्त नपुंसक मन्त्र आदि भी कई भेद है .

1 comment:

  1. is vishay par thoda aur vistar se likhne ka kasht kare. mantr ke vishay me bahut bharnti hai wah dur kare.

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