" मननात् त्रायते इति मन्त्र: " , जिसके मनन से दैहिक , दैविक , और भौतिक
त्रय तापों से रक्षा होती है उसे मन्त्र कहते हैं. मन्त्र वांग्मय को ४
भागों में १- वैदिक , २- पौराणिक , ३- आगमशास्त्रीय ( तांत्रिक ) ४- शाबर
विभक्त किया गया है.... इसके अतिरिक्त इनके ३ भेद हैं ..१- बीज मन्त्र ,२-
मन्त्र , ३- माला मंत्र ( माला मन्त्र जैसे प्रत्यंगिरा ) .... मन्त्र योग
संहिता के अनुसार १- गुरु बीज ,,२ - शक्ति बीज , ३ - रमा बीज , ४ - काम बीज
, ५ - तेज बीज ,६ -योग बीज , ७- शक्ति बीज , ८- रक्षा बीज ..... तांत्रिक
मन्त्रों में ५१ वर्ण लिए गए है . इसी आधार पर ५१ शक्तिपीठ भी हैं.
मन्त्रों में विशेष रूप से ६ बातों पर महत्व दिया गया है . १- छंद , २- ऋषि
, ३- देवता , ४- बीज , ५- कीलक , ६- शक्ति ...मंत्र के इन ६ रहस्यों को
ध्यान में रख कर ही किसी मन्त्र की साधना में प्रवृत्त होना चाहिए . इसके अतिरिक्त नपुंसक मन्त्र आदि भी कई भेद है .
यह ब्लॉग ज्योतिष शास्त्र , आगम शास्त्र एवं अन्य उन सभी विषयों पर आपको जानकारी देगा , जिनका मानव जीवन में आवश्यक उपयोग हो सकता है . आपका अपना 'विजय त्रिपाठी 'विजय'
About , Jyotish , Yantra , Mantra , Tantra , Ratna , Jadi , Vishesh
- अन्य (1)
- गीता ज्ञान (1)
- चित्र संग्रह (1)
- ज्योतिष (6)
- ज्योतिष के योग (4)
- ज्योतिष सीखें (1)
- धार्मिक जानकारी (6)
- भारतीय दर्शन एवं आगमशास्त्र (1)
- मंत्र (2)
- मुहूर्त (4)
- यंत्र (1)
- लेख (5)
- वास्तु शास्त्र (1)
- व्रत-उपवास (6)
is vishay par thoda aur vistar se likhne ka kasht kare. mantr ke vishay me bahut bharnti hai wah dur kare.
ReplyDelete